Tuesday, 18 December 2012

गौरवा और हाथी'...18.12.12

गौरवा और हाथी'
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एक जंगल में एक तमाल का पेड़ था| तमाल के पेड़ पर गौरवा पक्षियों का एक जोड़ा रहता था| गौरवा के घौसले में छोटे छोटे चार अंडे थे| अण्डों में से अभी बच्चे निकल भी नहीं पाए थे कि एक दिन एक मतवाले हाथी ने पेड़ की शाखाओं को तोड़ डाला,जिस पर गौरवा पक्षियों का घौसला था| पक्षी खुद तो बच गए पर सारे अंडे फूट गए|
गौरवी व्यथित ह्रदय से रोने लगी, उसे किसी प्रकार से शांति नहीं मिली| गौरवा का एक मित्र था कठफोड़वा| गौरवा को रोते देख कर कठफोड़वा उसके नजदीक जाकर उसको तसल्ली देने लगा| गौरवा ने कहा उस दुष्ट ने हमारे घौसले को तोड़ दिया और सारे अण्डों को फोड़ डाला| उसे दंड दिए बिना मेरे मन को शांति नहीं मिलेगी|

कठफोड़वा ने कहा हम उस हाथी के सामने बहुत छोटे हैं, परन्तु संगठन में बड़ी ताकत होती है| हम लोग मिल कर
प्रयास कर के उस से बदला ले सकते हैं| मेरी एक सहेली है मधु मक्खी, मैं उस से भी सहायता करने को कहूँगा |

गौरवा को आश्वासन दे कर कठफोड़वा मधु मक्खी के पास गया| उसने गौरवा की सारी कहानी उस को सुना दी| सुन कर मधु मक्खी भी सहायता के लिए तैयार हो गई| मधु मक्खी ने कहा कि पहले मेरे मित्र मेढक के पास चलना होगा वह काफी बुद्धिमान है | उसकी योजना से हम हाथी को जरुर कोई दंड दे सकते हैं| और वे दोनों मेढक के पास चले गए|

कठफोड़वा ओर मधु मक्खी ने मेढक को गौरवा की सारी कहानी बताई तो मेढक ने कहा संगठन के समक्ष वह हाथी क्या चीज है? इस के लिए आप सब मेरी योजना अनुसार काम करें| मेढक ने बताया कल दोपहर को मधु मक्खी हाथी के कान के पास जाकर वीणा जैसी मधुर धुन में गाएगी, जिसे सुन कर हाथी मुग्ध हो जाएगा और अपनी आँखें बंद कर लेगा| ठीक उसी समय कठफोड़वा हाथी की दोनों आँखोंको अपनी तेज चौंच से फोड़ देगा| अँधा हाथी जब प्यास से ब्याकुल होगा तो मैं एक बड़े गढ्ढे के पास से अपने परिवार के साथ टर्र टर्र की आवाज करूँगा,जिस से उसको जल का भ्रम होगा और वह उधर को भागेगा और वह गढ्ढे में गिर जाएगा|

अगले दिन उन सबने इसी प्रकार योजनाबध्द ढंग से हाथी को अँधा कर के गढ्ढे में गिरा दिया और वह हाथी बाहर नहीं निकल सका| भूख प्यास से तड़प कर वहीँ मर गया| इसी लिए कहते हैं कि संगठन में बड़ी ताकत होती है| संगठन से काम करने पर बड़े से बड़ा काम भी संभव हो जाता है|

जय गौ माता जय गोपाल !

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