Tuesday 4 December 2012

04..12.12

सुनने की कला सीखना परम आवश्यक हैँ । गुरु तो चारोँ तरफ हैँ किँतु यदि सुनने की कला नहीँ आती, तो सभी सिद्ध पुरुष व्यर्थ हैँ । गुरु उसी समय उपयोगी होता है, जब व्यक्ति मेँ सुनने की सामर्थ्य उत्पन्न हो जाए ।

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