फूलों की सुगंध नहीं, स्वाद लीजिए
गुलाब - गुलाब की लगभग सभी किस्में खाने योग्य होती हैं। इसकी पत्तियों का उपयोग सलाद, आइसक्रीम, मिठाई, गुलाब-जल, जैम-जेली, शरबत तथा भोजन की गार्निशिंग करने में किया जाता है।ये पित्त हर है .
मेरी गोल्ड या गेंदा - इसे कैलेंडुला भी कहा जाता है। इसकी पत्तियों का स्वाद कुछ चटपटा, हल्का तीखा और केसर के स्वाद जैसा होता है। इन्हें सूप, पास्ता, चावल की डिशेज, सलाद आदि की गा
गुलाब - गुलाब की लगभग सभी किस्में खाने योग्य होती हैं। इसकी पत्तियों का उपयोग सलाद, आइसक्रीम, मिठाई, गुलाब-जल, जैम-जेली, शरबत तथा भोजन की गार्निशिंग करने में किया जाता है।ये पित्त हर है .
मेरी गोल्ड या गेंदा - इसे कैलेंडुला भी कहा जाता है। इसकी पत्तियों का स्वाद कुछ चटपटा, हल्का तीखा और केसर के स्वाद जैसा होता है। इन्हें सूप, पास्ता, चावल की डिशेज, सलाद आदि की गा
र्निशिंग के लिए प्रयोग किया जाता है।
जेस्मीन (मोगरा)- इसका पारंपरिक उपयोग चाय को सुगंधित करने और इत्र आदि में किया जाता है।
चमेली- मीठे स्वाद वाला यह फूल बहुत ही खूबसूरत होता है, इसका उपयोग शैंपेन, चॉकलेट, केक, कस्टर्ड, शरबत और जेली आदि में किया जाता है। इसकी चाय भी बना सकते है यह मुंह के छालों में लाभ करता है .
गुलदाउदी- लाल, पीले, गुलाबी, सफेद और नारंगी रंग के इन फूलों का उपयोग सलाद और सिरके में फ्लेवर बढ़ाने के लिए किया जाता है।इसकी भी चाय लाभकारी है .
मधुमालती - इसके फूलों से आयुर्वेद में वसंत कुसुमाकर रस नाम की दवाई बनाई जाती है . इसकी 2-5 ग्राम की मात्रा लेने से कमजोरी दूर होती है और हारमोन ठीक हो जाते है . प्रमेह , प्रदर , पेट दर्द , सर्दी-जुकाम और मासिक धर्म आदि सभी समस्याओं का यह समाधान है . प्रमेह या प्रदर में इसके 3-4 ग्राम फूलों का रस मिश्री के साथ लें . शुगर की बीमारी में करेला , खीरा, टमाटर के साथ मालती के फूल डालकर जूस निकालें और सवेरे खाली पेट लें . या केवल इसकी 5-7 पत्तियों का रस ही ले लें . वह भी लाभ करेगा . कमजोरी में भी इसकी पत्तियों और फूलों का रस ले सकते हैं . पेट दर्द में इसके फूल और पत्तियों का रस लेने से पाचक रस बनने लगते हैं . यह बच्चे भी आराम से ले सकते हैं . सर्दी ज़ुकाम के लिए इसकी एक ग्राम फूल पत्ती और एक ग्राम तुलसी का काढ़ा बनाकर पीयें . यह किसी भी तरह का नुकसान नहीं करता . यह बहुत सौम्य प्रकृति का पौधा है .
सेमल - इसके फूलों को डोडे कहते है . इसके फूल के डोडों की सब्जी खाने से आंव (colitis) की बीमारी ठीक होती है . अगर शरीर में कमजोरी है तो इसके डोडों का पावडर एक-एक चम्मच घी के साथ सवेरे शाम लें और साथ में दूध पीयें .
अकरकरा --सुबह उठकर इसके फूल चबाकर दांत साफ करने से दांत स्वस्थ रहते है . सिरदर्द में इसके फूल पीसकर माथे पर लेप करें . मिर्गी के दौरे पड़ते हों तो , इसके फूलों का पावडर और वचा का पावडर मिलाकर लें . गले में तकलीफ हो तो इसके 4-5 फूल +आम के पत्ते +जामुन के पत्ते उबालकर उसके काढ़े से गरारे करें . दंतशूल हो तो इसके फूल दांतों के बीच दबाकर रखें . मुख से दुर्गन्ध आती हो तो , इसके फूल चबाकर लार बाहर निकालें . श्वास की तकलीफ हो तो फूल का पावडर सूंघ लें , अवरोध खुल जाएगा . जुकाम हो तो फूल का पावडर पीसकर नाक के चारों तरफ लगायें .खांसी हो तो इसके फूल , काली मिर्च और तुलसी की चाय पीयें . हृदय रोग में एक गिलास पानी में एक चम्मच अर्जुन की छाल और एक अकरकरा का फूल डालकर काढ़ा बनाएं और पीयें . इससे हृदय की कार्यक्षमता बढ़ेगी . मौसम में इसके फूल इकट्ठे कर के सुखा कर भी रख सकते हैं .
पारिजात , कदम्ब आदि के फुल बहुत पौष्टिक होते है .फोड़े- फुंसी और गले के दर्द में कदम्ब के फूल और पत्तों का काढा बनाकर पीजिये। पारिजात या हरसिंगार के फूल भी पौष्टिक होते है .आसाम के सब्जी बाज़ार में इनके फूलों को बेचा जाता है जहाँ इन्हें उबालकर सूप तैयार कर के पीने का प्रचलन हैं। माना जाता है कि यह सूप सेहत के लिए गुणकारी होता है। भारत के प्राचीन ऋषियों का मानना था कि इसकी गंध आत्मा की शुद्धि करती है। आज भी कहा जाता कि यह खुशबू आत्मा कि शुद्धि तो करती ही है साथ ही, याददाश्त भी तेज करती हैl पाश्चात्य मान्यताओं के अनुसार इसकी खुशबू में बीती हुई स्मृतियों को उत्तेजित करने की शक्ति भी है जो पुनर्जन्म को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। पारिजात के फूल हदय के लिए उत्तम औषधी माने जाते हैं।
अमलतास और कचनार के फूलों का भी गुलकंद बनता है .ये पेट के लिए लाभकारी है .
गुडहल - प्रमेह है या मूत्रदाह की बीमारी है तो , इसके तीन फूलों की डंडी हटाकर फूल चूसें या चबाएं और ऊपर से पानी पी लें . यह सवेरे खाली पेट करें .अनीमिया में इसके फूल व पत्तों को सुखाकर पावडर भी ले सकते हैं .गुडहल के गुलकंद का प्रतिदिन सेवन करने से ताकत मिलती है . गर्मी में इसका शर्बत पीयें . खांसी हो या खांसी के कारण कमजोरी हो तो इसकी 5-10 ग्राम जड़ को 400 gm पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और पीयें .
आक के फूलों में भी गुण होते है . छाया में सुखाये गए आक के फूलों के बराबर त्रिकुट (सौंठ, पीपल, काली मिर्च) और जवाखार एकत्र कर अदरक के रस में खरल कर मटर जैसी गोलियाँ बना छाया में सुखाकर रख लें। दिन रात में 2-4 गोलियाँ मुख में रख चूसते रहने से कास श्वास में लाभ होता है। अर्क पुष्पों की लौंग निकालकर उसमें समभाग सैंधा नमक और पीपल मिला खूब महीन पीसकर मटर जैसी गोलियाँ बनाकर दो से चार गोली बड़ों और 1-2 गोली बच्चों को गौदुग्ध के साथ देने से बच्चों की खांसी दूर होती है। सफेद आक का फूल वीर्यवर्धक, हल्का दीपन, पाचन अरूचि, कफ, बवासीर, खांसी तथा श्वास का नाशक है। लाल आक का फूल-मधुर कडुवा ग्राही, कुष्ठ कृमि कफ बवासीर विष, रक्तपित्त, गुल्म तथा सूजन को नष्ट करने वाला है।मिर्गी के लिए सफेद आक के फूल 1 भाग और पुराना गुड़ तीन भाग प्रथम फूलों को पीसकर, फिर गुड़ के साथ खूब खरल करें। चने जैसी गोलियाँ बनालें, प्रातः सायं 1 या 2 गोली जल के साथ सेवन करें। या आक के ताजे फूल और काली मिर्च एकत्र महीन पीस 300-300 मिलीग्राम की गोलियाँ बना रखे और दिन में 3-4 बार सेवन करावें।
कमल - आयुर्वेद में कमल को शीतलता प्रदान करनेवाला माना गया है। यह शरीर के रंग को उत्तम बनाता है। यह मधुर रसयुक्त, कफपित्त नाशक और दाह, रक्तविकार, विष, शरीर में होने वाली छोटीछोटी फुंसियों को दूर करने वाला होता है। कमल की पंखु़डयों का शीत, दाह कम करने वाला, हृदय का संरक्षण, रक्तसंग्राहक, पेशाब जनन और अतिसार में उपयोगी होता है। इसके उपयोग मुख्यतः रक्तपित्त, ज्वर एवं अतिसार में किया जाता है। तीव्र ज्वर में हृदय पर ज्वर पर दुष्प्रभाव से बचाने में कमल की पंखु़डयों का सेवन लाभकारी बताया गया है, जो मिश्री, श्वेत चंदन और मुलेठी के साथ लिया जाता है। इसके सेवन से तेज ज्वर की स्थिति में हृदय की ध़डकन कम होकर संतुलित हो जाती है। यह भी कहा गया है कि गर्भावस्था में भी इसके सेवन से जादुई लाभ मिलता है।
टेसू के फूल को आयुर्वेद में विशेष दर्जा हासिल है। फूलों की टहनी घर के अंदर टांगने से मच्छर नहीं आते।
बेल के फूल , नीम के फूल भी औषधि है .
एडिबल फूलों का प्रयोग करते समय निम्न सावधानियाँ रखी जानी चाहिए -
किसी भी फूल का भोजन में प्रयोग तभी करें, जब आप उसके बारे में पूरी तरह से आश्वस्त हो जाएँ कि यह खाने योग्य है।
भोजन में प्रयोग करने के लिए फूलों को कभी किसी ऐसी जगहों से न खरीदें जहाँ पर फूलों को कीड़ों से बचाने के लिए कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग किया जाता है।
फूलों को खाने में प्रयोग करने से पहले उनके तने और पिस्टिल निकाल दें, क्योंकि अधिकांश फूलों की सिर्फ पत्तियाँ ही खाने योग्य होती हैं।
यदि खाने में पहली बार फूलों का उपयोग कर रही हैं तो एक ही प्रकार के फूल लें, क्योंकि अधिक मात्रा में फूलों का उपयोग आपके पाचन-तंत्र को प्रभावित कर सकता है।
गुलाब, ट्यूलिप, इंग्लिश डेजी, मेरीगोल्ड आदि फूलों की पत्तियों का सफेद भाग कड़वा होता है, अतः प्रयोग करने से पहले इन्हें निकाल दें।
फूलों को पूरी तरह खिलने के बाद ही प्रयोग में लाएँ, मुरझाए सड़े हुए फूल या कलियों को प्रयोग में न लाएँ।
जेस्मीन (मोगरा)- इसका पारंपरिक उपयोग चाय को सुगंधित करने और इत्र आदि में किया जाता है।
चमेली- मीठे स्वाद वाला यह फूल बहुत ही खूबसूरत होता है, इसका उपयोग शैंपेन, चॉकलेट, केक, कस्टर्ड, शरबत और जेली आदि में किया जाता है। इसकी चाय भी बना सकते है यह मुंह के छालों में लाभ करता है .
गुलदाउदी- लाल, पीले, गुलाबी, सफेद और नारंगी रंग के इन फूलों का उपयोग सलाद और सिरके में फ्लेवर बढ़ाने के लिए किया जाता है।इसकी भी चाय लाभकारी है .
मधुमालती - इसके फूलों से आयुर्वेद में वसंत कुसुमाकर रस नाम की दवाई बनाई जाती है . इसकी 2-5 ग्राम की मात्रा लेने से कमजोरी दूर होती है और हारमोन ठीक हो जाते है . प्रमेह , प्रदर , पेट दर्द , सर्दी-जुकाम और मासिक धर्म आदि सभी समस्याओं का यह समाधान है . प्रमेह या प्रदर में इसके 3-4 ग्राम फूलों का रस मिश्री के साथ लें . शुगर की बीमारी में करेला , खीरा, टमाटर के साथ मालती के फूल डालकर जूस निकालें और सवेरे खाली पेट लें . या केवल इसकी 5-7 पत्तियों का रस ही ले लें . वह भी लाभ करेगा . कमजोरी में भी इसकी पत्तियों और फूलों का रस ले सकते हैं . पेट दर्द में इसके फूल और पत्तियों का रस लेने से पाचक रस बनने लगते हैं . यह बच्चे भी आराम से ले सकते हैं . सर्दी ज़ुकाम के लिए इसकी एक ग्राम फूल पत्ती और एक ग्राम तुलसी का काढ़ा बनाकर पीयें . यह किसी भी तरह का नुकसान नहीं करता . यह बहुत सौम्य प्रकृति का पौधा है .
सेमल - इसके फूलों को डोडे कहते है . इसके फूल के डोडों की सब्जी खाने से आंव (colitis) की बीमारी ठीक होती है . अगर शरीर में कमजोरी है तो इसके डोडों का पावडर एक-एक चम्मच घी के साथ सवेरे शाम लें और साथ में दूध पीयें .
अकरकरा --सुबह उठकर इसके फूल चबाकर दांत साफ करने से दांत स्वस्थ रहते है . सिरदर्द में इसके फूल पीसकर माथे पर लेप करें . मिर्गी के दौरे पड़ते हों तो , इसके फूलों का पावडर और वचा का पावडर मिलाकर लें . गले में तकलीफ हो तो इसके 4-5 फूल +आम के पत्ते +जामुन के पत्ते उबालकर उसके काढ़े से गरारे करें . दंतशूल हो तो इसके फूल दांतों के बीच दबाकर रखें . मुख से दुर्गन्ध आती हो तो , इसके फूल चबाकर लार बाहर निकालें . श्वास की तकलीफ हो तो फूल का पावडर सूंघ लें , अवरोध खुल जाएगा . जुकाम हो तो फूल का पावडर पीसकर नाक के चारों तरफ लगायें .खांसी हो तो इसके फूल , काली मिर्च और तुलसी की चाय पीयें . हृदय रोग में एक गिलास पानी में एक चम्मच अर्जुन की छाल और एक अकरकरा का फूल डालकर काढ़ा बनाएं और पीयें . इससे हृदय की कार्यक्षमता बढ़ेगी . मौसम में इसके फूल इकट्ठे कर के सुखा कर भी रख सकते हैं .
पारिजात , कदम्ब आदि के फुल बहुत पौष्टिक होते है .फोड़े- फुंसी और गले के दर्द में कदम्ब के फूल और पत्तों का काढा बनाकर पीजिये। पारिजात या हरसिंगार के फूल भी पौष्टिक होते है .आसाम के सब्जी बाज़ार में इनके फूलों को बेचा जाता है जहाँ इन्हें उबालकर सूप तैयार कर के पीने का प्रचलन हैं। माना जाता है कि यह सूप सेहत के लिए गुणकारी होता है। भारत के प्राचीन ऋषियों का मानना था कि इसकी गंध आत्मा की शुद्धि करती है। आज भी कहा जाता कि यह खुशबू आत्मा कि शुद्धि तो करती ही है साथ ही, याददाश्त भी तेज करती हैl पाश्चात्य मान्यताओं के अनुसार इसकी खुशबू में बीती हुई स्मृतियों को उत्तेजित करने की शक्ति भी है जो पुनर्जन्म को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। पारिजात के फूल हदय के लिए उत्तम औषधी माने जाते हैं।
अमलतास और कचनार के फूलों का भी गुलकंद बनता है .ये पेट के लिए लाभकारी है .
गुडहल - प्रमेह है या मूत्रदाह की बीमारी है तो , इसके तीन फूलों की डंडी हटाकर फूल चूसें या चबाएं और ऊपर से पानी पी लें . यह सवेरे खाली पेट करें .अनीमिया में इसके फूल व पत्तों को सुखाकर पावडर भी ले सकते हैं .गुडहल के गुलकंद का प्रतिदिन सेवन करने से ताकत मिलती है . गर्मी में इसका शर्बत पीयें . खांसी हो या खांसी के कारण कमजोरी हो तो इसकी 5-10 ग्राम जड़ को 400 gm पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और पीयें .
आक के फूलों में भी गुण होते है . छाया में सुखाये गए आक के फूलों के बराबर त्रिकुट (सौंठ, पीपल, काली मिर्च) और जवाखार एकत्र कर अदरक के रस में खरल कर मटर जैसी गोलियाँ बना छाया में सुखाकर रख लें। दिन रात में 2-4 गोलियाँ मुख में रख चूसते रहने से कास श्वास में लाभ होता है। अर्क पुष्पों की लौंग निकालकर उसमें समभाग सैंधा नमक और पीपल मिला खूब महीन पीसकर मटर जैसी गोलियाँ बनाकर दो से चार गोली बड़ों और 1-2 गोली बच्चों को गौदुग्ध के साथ देने से बच्चों की खांसी दूर होती है। सफेद आक का फूल वीर्यवर्धक, हल्का दीपन, पाचन अरूचि, कफ, बवासीर, खांसी तथा श्वास का नाशक है। लाल आक का फूल-मधुर कडुवा ग्राही, कुष्ठ कृमि कफ बवासीर विष, रक्तपित्त, गुल्म तथा सूजन को नष्ट करने वाला है।मिर्गी के लिए सफेद आक के फूल 1 भाग और पुराना गुड़ तीन भाग प्रथम फूलों को पीसकर, फिर गुड़ के साथ खूब खरल करें। चने जैसी गोलियाँ बनालें, प्रातः सायं 1 या 2 गोली जल के साथ सेवन करें। या आक के ताजे फूल और काली मिर्च एकत्र महीन पीस 300-300 मिलीग्राम की गोलियाँ बना रखे और दिन में 3-4 बार सेवन करावें।
कमल - आयुर्वेद में कमल को शीतलता प्रदान करनेवाला माना गया है। यह शरीर के रंग को उत्तम बनाता है। यह मधुर रसयुक्त, कफपित्त नाशक और दाह, रक्तविकार, विष, शरीर में होने वाली छोटीछोटी फुंसियों को दूर करने वाला होता है। कमल की पंखु़डयों का शीत, दाह कम करने वाला, हृदय का संरक्षण, रक्तसंग्राहक, पेशाब जनन और अतिसार में उपयोगी होता है। इसके उपयोग मुख्यतः रक्तपित्त, ज्वर एवं अतिसार में किया जाता है। तीव्र ज्वर में हृदय पर ज्वर पर दुष्प्रभाव से बचाने में कमल की पंखु़डयों का सेवन लाभकारी बताया गया है, जो मिश्री, श्वेत चंदन और मुलेठी के साथ लिया जाता है। इसके सेवन से तेज ज्वर की स्थिति में हृदय की ध़डकन कम होकर संतुलित हो जाती है। यह भी कहा गया है कि गर्भावस्था में भी इसके सेवन से जादुई लाभ मिलता है।
टेसू के फूल को आयुर्वेद में विशेष दर्जा हासिल है। फूलों की टहनी घर के अंदर टांगने से मच्छर नहीं आते।
बेल के फूल , नीम के फूल भी औषधि है .
एडिबल फूलों का प्रयोग करते समय निम्न सावधानियाँ रखी जानी चाहिए -
किसी भी फूल का भोजन में प्रयोग तभी करें, जब आप उसके बारे में पूरी तरह से आश्वस्त हो जाएँ कि यह खाने योग्य है।
भोजन में प्रयोग करने के लिए फूलों को कभी किसी ऐसी जगहों से न खरीदें जहाँ पर फूलों को कीड़ों से बचाने के लिए कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग किया जाता है।
फूलों को खाने में प्रयोग करने से पहले उनके तने और पिस्टिल निकाल दें, क्योंकि अधिकांश फूलों की सिर्फ पत्तियाँ ही खाने योग्य होती हैं।
यदि खाने में पहली बार फूलों का उपयोग कर रही हैं तो एक ही प्रकार के फूल लें, क्योंकि अधिक मात्रा में फूलों का उपयोग आपके पाचन-तंत्र को प्रभावित कर सकता है।
गुलाब, ट्यूलिप, इंग्लिश डेजी, मेरीगोल्ड आदि फूलों की पत्तियों का सफेद भाग कड़वा होता है, अतः प्रयोग करने से पहले इन्हें निकाल दें।
फूलों को पूरी तरह खिलने के बाद ही प्रयोग में लाएँ, मुरझाए सड़े हुए फूल या कलियों को प्रयोग में न लाएँ।
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