Monday 17 December 2012

18.12.12

सभी  से मेरी एक विनती है की अपनी व्यस्त जिन्दगी में से कुछ समय निकाल कर धर्म के नाम में लगाया करो , धर्म क्या है ये भी आज के जीवन पद्दति अनुसार व्याख्यान करना बहुत मुश्किल कार्य है
प्राचीन काल में एक आम आदमी के लिए धर्म क्या था पहले ये जानते है :
समझते है सवेरे जब हम उठते थे तो सबसे पहले भूमि को छु कर उसकी वंदना करते थे , फिर माता पिता को नमन करके उनस
े आशीर्वाद प्राप्त करते है ,
उसके बाद सोच आदि से निपट कर , स्नान के लिए जाते थे जब हम नहाते थे तो सबसे पहले गंगा माता का धन्यवाद करते थे , नहाते हुए " ॐॐॐ ॐ ॐ " शब्द का उच्चारण चलता रहता था , नहाकर सबसे पहले सूर्य देवता को जल दिया जाता था , फिर घर में बने मंदिर में प्रतिदिन का पूजा पाठ होता ,
फिर हम भोजन पर आते है , जैसे ही भोजन की थाली हमारे सामने आती थी हम सबसे पहले अन्न देवता की प्रार्थना करते थे और कहते की... हे प्रभु , जिस प्रकार आप ने हमें भोजन दिया है , उसी प्रकार इस संसार के समस्त "जड़ चेतन" प्राणियो को आप भोजन प्रदान करे .ॐ
गुरुकुल पहुँचते तो मार्ग में जो भी बड़ा बुजुर्ग मिलता , उनको नमन , चरण स्पर्श करते हुए गुरुकुल पहुंचते थे ...वहा गुरु जी के चरण स्पर्श से आशीर्वाद लेकर ज्ञान की गंगा रूपी वाक्यों से ज्ञान प्राप्त करते थे ,
परन्तु आज कैसे विडंबना पैदा हो गई इस संसार में , के हम अपने बुजुर्गो के आदर्शो को छोड़ने पर उत्तारु चल रहे है या कहे की हमने उनको बिलकुल त्याग दिया है
देखो हम समझते है
सवेरे उठते ही सबसे पहले ये देखते है की हमें रात से सुबह तक किस किस ने मेसेज किया है , क्या क्या लिखा है , उसके बाद साइड कानो में मोबाइल की लीड लगाकर सुनते हुए शोच जाते है ,फ़िल्मी सगीत का मजा लेते हुए नहाते है , फिर 9XM , फैशन TV देखकर आशा करते है की भोजन वही मिल जाये , खड़े होकर , लेटकर , चलते चलते , TV के सामने बैठकर , परिवार से अलग होकर खाना खाते है , जब स्कूल , कॉलेज , जाना होता है तो ऐसे चलते है की गली मोहल्ले की बड़े बुजुर्ग सब दुश्मन है , स्कूल में पहुंचकर सबसे पहले देखते है की लडकियों का समूह किस तरफ है , कक्षा में शिक्षक को प्रणाम बस फोर्मलिटी के लिए होता है , शिक्षा बस नंबर के लिए होती है
कही भी प्रभु सिमरन नहीं होता , यही कारन है की हम धर्म के क्षेत्र में पिछड रहे है , क्योंकि न सुबह राम का नाम , न दिन में राम का नाम , खाते वक़्त नहीं , पीते वक़्त नहीं , कभी नहीं
फिर हम धर्म को सिखर पर पहुचने के बात करते है ...आप ही बताये यह कैसे संभव हो सकता है , क्या आज हम बुजुर्गो की नीतिओ का पालन नहीं कर सकते
सवेरे राम का नाम , बुजुर्गो , माता पिता छोटे बड़ो का सम्मान , धर्म मार्ग , व्यसनों से दुरी , देश प्रेम , उत्तम शिक्षा से भी हम धर्म मार्ग पर ही है

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