Wednesday 25 December 2013

26-12-13


अमीर साहूकार का एक बेटा था । लडक़ा गलत
संगत में बिगड सा गया था। अपने पिता के पास
बहुत पैसा है यह उसे घमंड हो गया था। दिनभर
अपने आवारा दोस्तों के साथ घूमना फिरना ही उसे
अच्छा लगता था। जैसे जैसे वह बडा हुआ पैसे
खर्च करने की आदत बढती गयी और वह अपने
दोस्तों के कहने पर पानी की तरह पैसा बहाने
लगा।
मेहनत की कमाई अपना बेटा ऐसे गंवा रहा है यह
देख साहूकार को चिंता होने लगी।
उसकी इच्छा थी कि उसका बेटा बडा हो कर सब
कारोबार संभाल ले और वह अपनी पत्नी के साथ
तीर्थयात्रा पर निकल जाये।
एक दिन साहूकार ने बेटे को बुलाया और
फटकारा ''तू घर से बहार जा कर शाम होने तक एक
रुपया भी कमाई करके लाओगे तभी रात
का खाना मिलेगा।"
वह डर गया और रोने लग गया। उसे रोता देख
मां की ममता आडे आ गयी। मां ने उसे एक
रूपया निकालकर दिया और कहा जा दे आ ।शाम
को जब साहूकार ने पूछा तो उसने वह एक
रूपया दिखाया। पिताने वह रूपया उसे कुएं में फेंकने
के लिये कहा। बिना हिचकिचाहट वह रूपया उसने
कुएं में फेंक दिया।
इस तरह रोज वह अपने माँ से पैसे लेता और
पिता को जाकर देता और फिर साहूकार उसे वह
रुपया कुएं में फेक देने को कहता तो वह कुएं में फ़ेंक
देता।
साहूकार बहुत चतुर था वह जनता था कि दाल में
कुछ काला है। उसने सारी बात
पता लगा अपनी पत्नी को कुछ दिनों के लिए
मायके भेज दिया ।
उसका बेटा तो अब फँस चुका था । वह सारा दिन
सोचता रहा। मेहनत करके पैसे कमाने के
अलावा कोई हल नजर नहीं आ रहा था। भूख
भी लगने लगी थी। रात का खाना बिना कमाई के
मिलने वाला था नहीं। आखिरकार वह काम ढूंढने
निकल पडा। पीठ पर बोझा उठाकर दो घंटे मेहनत
करने के बाद उसे एक रूपया नसीब हुआ।वह
रूपया लेकर पिता को देने घर पहूँचा।
साहूकार पहले के भांति उसको वह एक रूपया कूएँ
में फेंकने के लिये कहा। इस पर वह छटपटाया।
उसने अपने पिता से कहा ''आज मैंने
कितना मेहनत किया है, मेरा कितना पसीना बहा है
एक रूपया कमानेके लिये। इसे मैं नहीं फेंक
सकता।" जैसे ही ये शब्द उसके मुह से निकले,
साहूकार खुश हुआ उसे कुछ कहने की जरूरत
नहीं पडी। अब उसके बेटे को पैंसों की कीमत
पता चल गयी थी ।
“पैसे की कीमत पसीना बहाकर ही पता चलती हैं।
मेहनत पसीने से की गयी कमाई ही खरी कमाई
है।“

Tuesday 24 December 2013

25-12-13



रोचक तथ्य :-

1: फिलिपिन्स में पाया जाने
वाला बोया पक्षी प्रकाश में रहने का इतना शौकीन होता है कि अपने
घोंसले के चारो और जुगनु भरकर लटका देता है.

2.वेटिकनसिटी दुनिया का सबसे
छोटा देश है इसका क्षेत्रफल 0.2 वर्ग मील है और इसकी आबादी लगभग 770
है. इनमें से कोई भी इसका परमानेंट नागरिक नही है.

3.नील आर्मस्ट्राँग ने सबसे पहले
अपना बाँया पैर चँद्रमा पर रखा था और
उस समय उनके दिल की धड़कन 156
बार प्रति मिनट थी.

4.धरती के गुरूत्वाकर्षण के कारण
पर्वतों का 15,000 मीटर से
ऊँचा होना संभव नही है.

5.रोम दुनिया का वो शहर है
जिसकी आबादी ने सबसे पहले 10 लाख
का आकड़ा पार किया था.

6.1992 के क्रिकेट विश्वकप में इंग्लैंड
को हराते हुए जिम्बाब्वे ने बड़ा उल्टफेर
कर दिया था. पहले बल्लेबाजी करते हुए
जिम्बाब्वे ने सिर्फ 134 रन बनाए और
इंग्लैंड का काम आसान कर दिया लेकिन हुआ ऐसा नही, इंग्लैंड की टीम 125 रन
पर ही ढेर हो गई.

7. 269 मीटर की ऊँचाई वाले टाइटैनिक
को अगर सीधा खड़ा कर दिया जाए
तो यह अपने समय की हर इमारत से ऊँचा होता .

8.टाइटैनिक की चिमनिया इतनी बड़ी थी कि इनमें से
दो ट्रेने गुजर सकती थी.

9.सिगरेट लाइटर की खोज माचिस से पहले हुई थी.

10. हमारे ऊँगलीयों के निशानों की तरह हमारी जुबान के भी निशान भिन्न होते है ।

Monday 23 December 2013

24-12-13


एक बेटा पढ़-लिख कर बहुत बड़ा आदमी बन
गया । पिता के
स्वर्गवास के बाद माँ ने हर तरह का कामकरके
उसे इस काबिल
बना दिया था । शादी के बाद पत्नी को माँ से
शिकायत रहने
लगी के वो उन के स्टेटस मे फिट नहीं है ।
लोगों को बताने मे उन्हें
संकोच होता की
ये अनपढ़ उनकी सास-माँ है । बात बढ़ने पर बेटे
ने
एक दिन माँ से कहा-
" माँ ”_मै चाहता हूँ कि मै अब इस काबिल
होगया हूँ कि कोई
भी क़र्ज़ अदा कर सकता हूँ । मै और तुम
दोनों सुखी रहें इसलिए आज तुम मुझ पर किये
गए अब तक के सारे
खर्च सूद और व्याज के साथ मिला कर
बता दो । मै वो अदा कर
दूंगा । फिर हम अलग-अलग सुखी रहेंगे।
माँ ने सोच कर उत्तर दिया -
"बेटा”_हिसाब ज़रा लम्बा है ,सोच कर
बताना पडेगा।मुझे
थोडा वक्त चाहिए ।"
बेटे ना कहा - " माँ _कोई ज़ल्दी नहीं है । दो-चार
दिनों मे बात
देना ।"
रात हुई, सब सो गए । माँ ने एक लोटे मे
पानी लिया और बेटे के
कमरे मे आई । बेटा जहाँ सो रहा था उसके एक
ओर पानी डाल
दिया । बेटे ने करवट ले ली । माँ ने दूसरीओर
भी पानी डाल
दिया। बेटे ने जिस ओर भी करवट
ली_माँ उसी ओर
पानी डालती रही तब परेशान होकर बेटा उठकर
खीज कर
बोला कि माँ ये क्या है ? मेरे पूरे बिस्तर
को पानी-पानीक्यूँ कर
डाला...?
माँ बोली-
" बेटा, तुने मुझसे पूरी ज़िन्दगी का हिसाब बनानें
को कहाथा । मै
अभी ये हिसाब लगा रही थी कि मैंने कितनी रातें
तेरे बचपन मे तेरे
बिस्तर गीला कर देनेसे जागते हुए काटीं हैं । ये
तो पहली रातहै
ओर तू अभी से घबरा गया ...? मैंने अभी हिसाब
तो शुरू
भी नहीं किया है जिसे तू अदा कर पाए।"
माँ कि इस बात ने बेटे के ह्रदय को झगझोड़ के
रख दिया । फिर
वो रात उसने सोचने मे ही गुज़ार दी । उसे ये
अहसास
हो गया था कि माँ का क़र्ज़ आजीवन
नहीं उतरा जा सकता ।
माँ अगर शीतल छाया है पिता बरगद है जिसके
नीचे बेटा उन्मुक्त
भाव से जीवन बिताता है । माता अगर
अपनी संतान के लिए हर
दुःख उठाने को तैयाररहती है तो पिता सारे जीवन
उन्हें
पीता ही रहता है ।
माँ बाप का क़र्ज़
कभी अदा नहीं किया जा सकता । हम तो बस
उनके किये गए कार्यों को आगे बढ़ाकर अपने
हित मे काम कर रहे हैं

आखिर हमें भी तो अपने बच्चों से वही चाहिए
ना 

Sunday 22 December 2013

23-12-13



7 Rules of Life!
1. Make peace with your past so it wont screw up your present.
2. What others think of you is none of your bussiness.
3. Time heals almost everything, give it time.
4. Dont conpare your life to others and dont judge them. You have no idea what their journey is all about.
5. Stop thinking too much, its alright not to know the answers. They will come to you when you least expect it.
6. No one is in charge of your happiness, except you.
7. Smile. You dont own the problems in the world.

Saturday 21 December 2013

22-12-13


एक बार एक नवयुवक किसी संत के पास पहुंचा .और बोला
“ महात्मा जी , मैं अपनी ज़िन्दगी से बहुत परेशान हूँ , कृपया इस परेशानी से निकलने का उपाय बताएं संत बोले , “ पानी के ग्लास में एक मुट्ठी नमक डालो और उसे पीयो .”
युवक ने ऐसा ही किया .
“ इसका स्वाद कैसा लगा ?”, संत ने पुछा।
“ बहुत ही खराब … एकदम खारा .” – युवक थूकते हुए बोला .
संत मुस्कुराते हुए बोले , “एक बार फिर अपने हाथ में एक मुट्ठी नमक ले लो और मेरे पीछे -पीछे आओ . “
दोनों धीरे -धीरे आगे बढ़ने लगे और थोड़ी दूर जाकर स्वच्छ पानी से बनी एक झील के सामने रुक गए .
“ चलो , अब इस नमक को पानी में डाल दो .” ,संत ने निर्देश दिया।
युवक ने ऐसा ही किया .
“ अब इस झील का पानी पियो .” , संत बोले .
युवक पानी पीने लगा …,
एक बार फिर संत ने पूछा ,: “ बताओ इसका स्वाद कैसा है , क्या अभी भी तुम्हे ये खारा लग रहा है ?”
“नहीं , ये तो मीठा है , बहुत अच्छा है ”, युवक बोला .
संत युवक के बगल में बैठ गए और उसका हाथ थामते हुए बोले , “ जीवन के दुःख बिलकुल नमक की तरह हैं ; न इससे कम ना ज्यादा . जीवन में दुःख की मात्र वही रहती है , बिलकुल वही . लेकिन हम कितने दुःख का स्वाद लेते हैं ये इस पर निर्भर करता है कि हम उसे किस पात्र में डाल रहे हैं . इसलिए जब तुम दुखी हो तो सिर्फ इतना कर सकते हो कि खुद को बड़ा कर लो …ग़्लास मत बने रहो झील बन जाओ .”॥

Friday 20 December 2013

21-12-13


एक युवक क़रीब 20 साल के बाद विदेश से अपने
शहर लौटा था !
बाज़ार में घुमते हुए सहसा उसकी नज़रें
सब्जी का ठेला लगाये एक बूढे पर जा टिकीं !
बहुत कोशिश के बावजूद भी युवक उसको पहचान
नहीं पा रहा था !
लेकिन न जाने बार बार ऐसा क्यों लग
रहा था की वो उसे बड़ी अच्छी तरह से जनता है !
उत्सुकता उस बूढ़े से भी छुपी न रही,
उसके चेहरे पर आई अचानक मुस्कान से मैं समझ
गया था कि उसने युवक को पहचान लिया था !
काफी देर ...की जेहनी कशमकश के बाद जब युवक ने
उसे पहचाना तो उसके पाँव के नीचे से
मानो ज़मीन खिसक गई !
जब युवक विदेश गया था तो उनकी एक
बड़ी आटा मिल हुआ करती थी,
घर में नौकर चाकर कIम किया करते थे !
धर्म कर्म, दान पुण्य में सब से अग्रणी इस
दानवीर पुरुष को युवक ताऊजी कह कर
बुलाया करता था !
वही आटा मिल का मालिक और आज
सब्जी का ठेला लगाने पर मजबूर .. ?
युवक से रहा नहीं गया और वो उसके पास
जा पहुँचा और बहुत मुश्किल से रुंधे गले से पूछा :
"ताऊ जी, ये सब कैसे हो गया ...?"
भरी ऑंखें से बूढ़े ने युवक के कंधे पर हाथ रख उत्तर
दिया :
"बच्चे बड़े हो गए हैं बेटा" !!

Thursday 19 December 2013

20-12-13


Weird facts about human body :
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1 Men lose about 40 hairs in a day and women lose 70 hairs in a day.
2 Your blood has same amount of salts in it as an ocean has.
3 You are taller in the morning than you are at night.
4 Heart circulates blood in your body about 1000 times each day.
5 Eyelashes last about 150 days.
6 There are 500 hairs in an eyebrow.
7 The average human body contains approximately 100 billion nerve cells.
8 It is not possible to sneeze with open eyes.
9 Bones are 4 times stronger than concrete.
10 Average life span of a taste bud is only 10days.
11 You are born without knee caps and they don’t appear until age of 2 to 6 years.
12 Children grow faster in spring time
13 Eyes stay the same size throughout life but nose and ears never stop growing.
14 We born with 300 bones but end up with 206 bones when we are adult.
15 Human skull is made up of 26 different bones.
16 Hair is made of same substance as fingernails.
17 Our entire body functions stop when we sneeze, even your heart beat.
18 Tongue is the strongest muscle in human body.
19 Typical person goes to bathroom six timesa day.
20 Food takes 7 seconds to reach stomach from mouth.
21 Children have more taste buds than adults.
22 Sneeze blows air out of nose at the speed of 100 miles per hour.
23 Largest muscle in your body is one on which you are sitting on.
24 Smallest bone of body is in ears.

Wednesday 18 December 2013

19-12-13


Beautiful message!
💬 Stay away from Anger..
It hurts ..Only You!
..
💬 If you are right then there is no need to get angry,

💬 And if you are wrong then you don't have any right to get angry.

💬 Patience with family is love,

💬 Patience with others is respect.

💬 Patience with self is confidence and Patience with GOD is faith.

💬 Never Think Hard about the PAST, It brings Tears...

💬 Don't think more about the FUTURE, It brings Fear...

💬 Live this Moment with a Smile,It brings Cheer.

💬Every test in our life makes us bitter or better,

💬 Every problem comes to make us or break us,

💬 The choice is ours whether we become victims or victorious.

💬 Beautiful things are not always good but good things are always beautiful

💬 Do you know why God created gaps between fingers?

💬 So that someone who is special to you comes and fills those gaps by holding your hand forever.

💬 Happiness keeps You Sweet..But being sweet brings happiness.

Tuesday 17 December 2013

18-12-13


पुराने जमाने की बात है। एक मजदूर बिल्कुल अकेला था। कभी आवश्यकता होती तो मजदूरी कर लेता तो कभी यूं ही रह जाता। एक बार उसके पास खाने को कुछ नहीं था। वह घर से मजदूरी ढूंढने के लिए निकल पड़ा। गर्मी का मौसम था और धूप बहुत तेज थी। उसे एक व्यक्ति ...
दिखा जिसने एक भारी संदूक उठा रखा था। उसने उस व्यक्ति से पूछा- क्या आपको मजदूर चाहिए? उस व्यक्ति को मजदूर की आवश्यकता भी थी, इसलिए उसने संदूक मजदूर को उठाने के लिए दे दिया। संदूक को कंधे पर रखकर मजदूर चलने लगा। गरीबी के कारण उसके पैरों में जूते नहीं थे। सड़क की जलन से बचने के लिए कभी-कभी वह किसी पेड़ की छाया में थोड़ी देर खड़ा हो जाता था। पैर जलने से वह मन-ही-मन झुंझला उठा और उस व्यक्ति से बोला- ईश्वर भी कैसा अन्यायी है। हम गरीबों को जूते पहनने लायक पैसे भी नहीं दिए। मजदूर की बात सुनकर व्यक्ति खामोश रहा।

दोनों थोड़ा आगे बढ़े ही थे कि तभी उन्हें एक ऐसा व्यक्ति दिखा जिसके पैर नहीं थे और वह जमीन पर घिसटते हुए चल रहा था। यह देखकर वह व्यक्ति मजदूर से बोला- तुम्हारे पास तो जूते नहीं है, परंतु इसके तो पैर ही नहीं है। जितना कष्ट तुम्हें हो रहा है, उससे कहीं अधिक कष्ट इस समय इस व्यक्ति को हो रहा होगा। तुमसे भी छोटे और दुखी लोग संसार में हैं। तुम्हें जूते चाहिए तो अधिक मेहनत करो। हिम्मत हार कर ईश्वर को दोष देने की जरूरत नहीं। ईश्वर ने नकद पैसे तो आज तक किसी को भी नहीं दिए, परंतु मौके सभी को बराबर दिए हैं। उस व्यक्ति की बातों का मजदूर पर गहरा असर हुआ। वह उस दिन से अपनी कमियों को दूर कर अपनी योग्यता व मेहनत के बल पर बेहतर जीवन जीने का प्रयास करने लगा।.

Monday 16 December 2013

17-12-13


श्री हनुमान जी की स्तुति जिसमें उनके बारह नामों का उल्लेख मिलता है इस प्रकार है :

हनुमान द्द्रजनी सूनुर्वायु पुत्रो महाबलः।
रामेष्टः फाल्गुनसखः पिङ् गाक्षोऽमित विक्रमः॥
उदधिक्रमणश्चैव सीता शोकविनाशनः।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा॥
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मनः।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च यः पठेत्॥
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।


उनका एक नाम तो हनुमान है ही, दूसरा अंजनी सूनु, तीसरा वायुपुत्र, चौथा महाबल, पांचवां रामेष्ट (राम जी के प्रिय), छठा फाल्गुनसख (अर्जुन के मित्र), सातवां पिंगाक्ष (भूरे नेत्र वाले) आठवां अमितविक्रम, नौवां उदधिक्रमण (समुद्र को लांघने वाले), दसवां सीताशोकविनाशन (सीताजी के शोक को नाश करने वाले), ग्यारहवां लक्ष्मणप्राणदाता (लक्ष्मण को संजीवनी बूटी द्वारा जीवित करने वाले) और बारहवां नाम है- दशग्रीवदर्पहा (रावण के घमंड को चूर करने वाले) ये बारह नाम श्री हनुमानजी के गुणों के द्योतक हैं। श्रीराम और सीता के प्रति जो सेवा कार्य उनके द्वारा हुए हैं, ये सभी नाम उनके परिचायक हैं और यही श्री हनुमान की स्तुति है। इन नामों का जो रात्रि में सोने के समय या प्रातःकाल उठने पर अथवा यात्रारम्भ के समय पाठ करता है, उस व्यक्ति के सभी भय दूर हो जाते हैं।

Sunday 15 December 2013

16-12-13


एक आदमी को किसी ने सुझाव दिया कि दूर से
पानी लाते हो,
क्यों नहीं अपने घर के पास एक कुआं खोद लेते?
हमेशा के लिए पानी की समस्या से
छुटकारा मिल जाएगा।
सलाह मानकर उस आदमी ने कुआं खोदना शुरू
किया।
लेकिन सात-आठ फीट खोदने के बाद उसे
पानी तो क्या, गीली मिट्टी का भी चिह्न
नहीं मिला।
उसने वह जगह छोड़कर दूसरी जगह खुदाई शुरू
की। लेकिन दस फीट खोदने के बाद भी उसमें
पानी नहीं निकला।
उसने तीसरी जगह कुआं खोदा, लेकिन
निराशा ही हाथ लगी।
इस क्रम में उसने आठ-दस फीट के दस कुएं
खोद डाले, पानी नहीं मिला।
वह निराश होकर उस आदमी के पास गया,
जिसने कुआं खोदने की सलाह दी थी।
उसे बताया कि मैंने दस कुएं खोद डाले, पानी एक
में भी नहीं निकला।
उस व्यक्ति को आश्चर्य हुआ। वह स्वयं
चलकरउस स्थान पर आया, जहां उसने दस
गड्ढे खोद रखे थे।
उनकी गहराई देखकर वह समझ गया।
बोला, 'दस कुआं खोदने की बजाए एक कुएं में
ही तुम अपना सारा परिश्रम और पुरूषार्थ
लगाते तो पानी कबका मिल गया होता।
तुम सब गड्ढों को बंद कर दो, केवल एक
को गहरा करते जाओ, पानी निकल आएगा।'
कहने का मतलब यही कि आज
की स्थिति यही है।
आदमी हर काम फटाफट करना चाहता है।
किसी के पास " धैर्य नहीं है।
इसी तरह पचासों योजनाएं एक साथ चलाता है
और पूरी एक भी नहीं हो पाती...


Saturday 14 December 2013

15-12-13


साक्षात्कार चल रहा था !
नोकरी बड़ी अच्छी और अच्छे वेतन वाली थी साक्षात्कार में कई युवक आये हुए थे !सभी युवक अच्छे पढ़े लिखे एवं सुसंस्कृत थे !चपरासी ने आकर पहले युवक को आवाज लगाई !
युवक अपनी फ़ाइल ले कर चेम्बर में घुसा और बोला में आई कमिंग सर ?साक्षात्कार लेने वाले ने कहा "यस" थैंक यू कहकर युवक अंदर चला गया और सामने वाली कुर्सी पर बेठ गया !
साक्षात्कार लेने वाले उसकी फ़ाइल देखीं वैरी गुड कह पुछा :"एक बात बताइये आप कही जा रहे है आपकी कार टू सीटर है! आगे चलने पर एक बस स्टैंड पर आपने देखा कि तीन व्यक्ति बस के इंतजार में खड़े है!
उन में से एक वृद्धा जो कि करीब ९० वर्ष की है तथा बीमार है अगर उसे अस्पताल नहीं पहुचाया गया तो इलाज न मिल सकने के कारण मर भी सकती है!
दूसरा आपका एक बहुत ही पक्का मित्र है जिसने आपकी एक समय बहुत मदद कि थी जिसके कारण आप आज का दिन देख रहे है!
तीसरा इंसान एक बहुत ही खूबसूरत युवती है जिसे आप बेहद प्रेम करते है जो आपकी ड्रीम गर्ल है अब आप उन तीनो में से किसे लिफ्ट देंगे आपकी कार में केवल एक ही व्यक्ति आ सकता है !
युवक ने एक पल सोचा फिर जवाब दिया" सर में अपनी ड्रीम गर्ल को लिफ्ट दूंगा " साक्षात्कार लेने वाले पुछा क्या ये ना इंसाफी नहीं है ?
युवक बोला नो सर वृद्धा तो आज नहीं तो कल मर जायेगी
दोस्त को में फिर भी मिल सकता हूँ
पर अगर मेरी ड्रीम गर्ल एक बार चली गई तो फिर में उससे दुबारा कभी नहीं मिल सकूंगा !
साक्षात्कार लेने वाले ने मुस्कुरा कर कहा वेरी गुड में तुम्हारी साफ साफ बात सुन कर प्रभावित हुआ अब आप जा सकते है !
थैंक यू कहकर युवक बाहर निकल गया !
साक्षात्कार लेने वाले ने दूसरे प्रत्याशी को बुलाने के लिए चपरासी को कहा! साक्षात्कार लेने वाले ने सभी प्रत्याशिओं से उपरोक्त प्रश्न को पुछा विभिन्न प्रत्याशियों ने विभिन्न उत्तर दिए !
किसी ने वृद्धा को लिफ्ट देने किसी ने दोस्त को लिफ्ट देने कि बात कही !जब एक प्रत्याशी से ये ही प्रश्न पुछा तो उसने उत्तर दिया "सर में अपनी कार कि चाबी अपने दोस्त को दूंगा और उससे कहूंगा कि वो मेरी कार में वृद्धा को लेकर उसे अस्पताल छोड़ता हुआ अपने घर चला जाये !
में उससे अपनी कार बाद में लेलूंगा और स्वयं अपनी ड्रीम गर्ल के साथ बस में बेठा क़र चला जाऊँगा !साक्षत्कार करने वाले ने उठ क़र उस से हाथ मिलाया और कहा यू आर सलेक्टेड!
थैंक यू सर कह क़र युवक मुस्कुराता हुआ बाहर आ गया !
साक्षत्कार समाप्त हो चूका था !
कहानी कैसी लगी?
बताइयेगा जरूर।

Friday 13 December 2013

14-12-13


एक दिन किसी कारण से स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने पर एक दर्जी का बेटा अपने पापा की दुकान पर चला गया ।

वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा । उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं । फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सुई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं ।

जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया और उसने अपने पापा से कहा कि वह उनसे एक बात पूछना चाहता है ।

पापा ने कहा - बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ?

बेटा बोला - पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं । आप जब भी कपड़ा काटते हैं । उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं और सुई से कपड़ा सीने के बाद उसे टोपी पर लगा लेते हैं । ऐसा क्यों ?

इसका जो उत्तर पापा ने दिया । उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया ।

उत्तर था - ”बेटा, कैंची काटने का काम करती है और सुई जोड़ने का काम करती है । काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है । यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे
रखता हूं” ।

Thursday 12 December 2013

13-12-13


यादों का नमक ,

सुबह आठ बजे मैं मैड्रिड पहुंच गया. यहां मुझे कुछ घंटे ही रुकना था इसलिए मैंने यह तय किया कि कुछ दोस्तों को फोन करके मुलाकात की जाए. फिर मैं अपनी जानी-पहचानी जगहों तक पैदल चलकर गया और अंत में रिटाइरो पार्क की एक बेंच पर सिगरेट पीने के लिए बैठ गया.
“तुम कहीं खोए हुए हो”, बेंच पर मेरे करीब बैठे एक बुज़ुर्गवार ने कहा.
“हम्म.. शायद”, मैंने कहा, “मुझे याद आ गया कि मैं 1986 में इसी बेंच पर मेरे दोस्त अनास्तासियो रांचाल के साथ बैठा हुआ था और हम दोनों मेरी पत्नी क्रिस्टीना को देख रहे थे जो थोड़ी ज्यादा पी लेने के बाद फ़्लेमेंको डांस करने की कोशिश कर रही थी”.
“अपनी स्मृतियों का आनंद लो”, बुज़ुर्गवार ने कहा, “लेकिन यह कभी मत भूलना कि स्मृतियां नमक की भांति होतीं हैं. खाने में नमक की सही-सही मात्रा ज़ायका लाती है लेकिन ज्यादा नमक उसे बिगाड़ देता है. यदि तुम अतीत की स्मृतियों में बहुत अधिक समय बिताने लगोगे तो तुम्हारा वर्तमान स्मृतियों से रिकत हो जाएगा”.

Wednesday 11 December 2013

12-12-13


ट्रेन में रेलवे का कंबल करते हैं इस्तेमाल"..."तो हो जाइए सावधान" ?

ठण्ड के दिनों में यदि आप रेल की यात्रा कर रहे हैं,
तो जरा सावधान रहें, क्योंकि रेलवे का कंबल आपको बीमार बना सकता है..

बीएचयू चेस्ट विभाग के ओपीडी में रोज ऐसे मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है,
जो सफर के दौरान रेल में मिलने वाले कंबल को इस्तेमाल करते हैं..

बोगी में मिलने वाले ज्यादातर कंबलों से माइट एलर्जी हो सकती है,
इसकी वजह से कभी-कभी दमा के अटैक भी पड़ जाते हैं,
दरअसल माइट एक जीवित कण होता है,
जो इंसान की त्वचा में पाया जाता है..

अक्सर रेल में सफर कर रहे लोग उस कंबल का इस्तेमाल कर लेते हैं,
जो पहले किसी ने ओढ़ा हो..

दरअसल माइट एक जीवित कण होता है,
जो इंसान की त्वचा में पाया जातेा है..

माइट के कण शरीर की मरी हुए सेलों को खाते हैं,
फिर शरीर से झड़ जाते हैं..

जब कई लोग लगातार सफर के दौरान एक ही कंबल का इस्तेमाल करते हैं,
तो शरीर से झड़ा हुआ माइट का कण कंबल के धूल के कणों के साथ मिल जाता है,
इससे अक्सर एलर्जी हो जाती है..

आप देखते या महसूस करते होंगे,
रेलवे के उन कंबलों को ओढ़ने से,
ज्यादा छिंक, खांसी, सांस लेने में समस्या आती है,
जिसका इस्तेमाल सार्वजनिक रूप से होता है..

क्या है इलाज....?
जब भी रेल में सफ़र करे तो कंबल को ध्यान से देख लें और हो सके तो,
कवर वाला कंबल ही इस्तेमाल करें..

मुंह पर प्लेन साफ कपड़ा रखकर सोए,
हो सके तो घर से लाये हुए कंबल का इस्तेमाल करें........

Tuesday 10 December 2013

11-12-13


एक बार रेलवे-स्टेशन पर एक वृद्ध सज्जन बैठे रेल का इंतजार कर रहे थे. वहां संता जी आए और उन वृद्ध आदमी से पूछा.
संता - “अंकल, टाइम क्या हुआ है.”
वृद्ध सज्जन – “मुझे नहीं मालूम.”
संता – “लेकिन आपके हाथ में घडी तो है. प्लीज बता दीजिए न कितने बजे हैं ?”
वृद्ध सज्जन – “मैं नहीं बताऊंगा.”
संता – “पर क्यों ?”
वृद्ध सज्जन – “क्योंकि अगर मैं तुम्हे टाइम बता दूंगा तो तुम मुझे थैंक्यू बोलोगे और अपना नाम बताओगे. फिर तुम मेरा नाम, काम आदि पूछोगे. फिर संभव है हम लोग आपस में और भी बातचीत करने लगें. हम दोनों में जान-पहचान हो जायेगी तो हो सकता है कि ट्रेन आने पर तुम मेरी बगल वाली सीट पर ही बैठ जाओ. फिर हो सकता है कि तुम भी उसी स्टेशन पर उतरो जहां मुझे उतरना है. वहाँ मेरी बेटी, जोकि बहुत सुन्दर है, मुझे लेने स्टेशन आयेगी. तुम मेरे साथ ही होगे तो निश्चित ही उसे देखोगे. वह भी तुम्हे देखेगी. हो सकता है तुम दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठो और शादी करने की जिद करने लगो. इसलिए भाई, मुझे माफ करो …..! मैं ऐसा कंगाल दामाद नहीं चाहता जिसके पास टाइम देखने के लिए अपनी घडी तक नहीं है.हो हो हो..

Monday 9 December 2013

10-12-13


एक भक्त था वह हनुमान जी को बहुत मनाता था,।
बड़े प्रेम और भाव से उनकी सेवा किया करता था. ।

एक दिन भगवान से कहने लगा–
मैँ आपकी इतनी भक्ति करता हूँ पर आज तक मुझे आपकी अनुभूति नहीं हुई।
मैं चाहता हूँ कि आप भले ही मुझे दर्शन ना दे पर ऐसा कुछ कीजिये की मुझे ये अनुभव हो की आप हो. भगवान ने कहा ठीक है।
तुम रोज सुबह समुद्र के किनारे सैर पर जाते हो,
जब तुम रेत पर चलोगे तो तुम्हे दो पैरो की जगह चार पैर दिखाई देँगे।
दो तुम्हारे पैर होगे और दो पैरो के निशान मेरे होगे.
इस तरह तुम्हे मेरी अनुभूति होगी.अगले दिन वह सैर पर गया,
जब वह रेत पर चलने लगा तो उसे अपने पैरों के साथ-साथ दो पैर और भी दिखाई दिये वह बड़ा खुश हुआ,
अब रोज ऐसा होने लगा.
एक बार उसे व्यापार में घाटा हुआ सब कुछ चला गया,
वह कंगाल हो गया उसके अपनो ने उसका साथ छोड दिया.
(देखो यही इस दुनिया की समस्या है, मुसीबत मे सब साथ छोड देते है).

अब वह सैर पर गया तो उसे चार पैरों की जगह दो पैर दिखाई दिये. उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि बुरे वक्त मेँ भगवान ने साथ छोड दिया.
धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होने लगा फिर सब लोग उसके पास वापस आने लगे.
एक दिन जब वह सैर पर गया तो उसने देखा कि चार पैर वापस दिखाई देने लगे.
उससे अब रहा नही गया, वह बोला- भगवान जब मेरा बुरा वक्त था तो
सब ने मेरा साथ छोड़ दिया था पर मुझे इस बात का गम नहीं था क्योकि इस दुनिया में ऐसा ही होता है, पर आप ने भी उस समय मेरा साथ छोड़ दिया था,

ऐसा क्यों किया?

तो भगवान ने कहा – तुमने ये कैसे सोच लिया की मैँ तुम्हारा साथ छोड़ दूँगा, तुम्हारे बुरे वक्त में जो रेत पर तुमने दो पैरोँ के निशान देखे वे तुम्हारे पैरों के नहीं मेरे पैरों के थे। उस समय मैँ तुम्हे अपनी गोद में उठाकर चलता था और आज जब तुम्हारा बुरा वक्त खत्म हो गया तो मैंने तुम्हे नीचे उतार दिया है।
इसलिए तुम्हे फिर से चार पैर दिखाई दे रहे हैं।


Sunday 8 December 2013

09-12-13


5 Ways to Keep a Relationship Working... .

1. Love each other
2. Don’t lie
3. Keep communication open
4. Stay sweet
5. When you get hurt, focus on forgiving
6. Never talk about break-ups
7. Never say ‘it’s ok’ when it’s not
8. Learn to put your ego aside
9. If you say ‘sorry,' mean it
10. Don’t compare yourpast with your present
11. Don’t talk about your ex’s
12. Practice 'give and take'
13. Be aware of your partner’s feelings
14. After a fight, work on resolving the issue right away; don’t let the days go by
15. Although there is no perfect person’ out there, There is a ‘right one for u.

Saturday 7 December 2013

08-12-13


कमरे का रहस्य
एक अस्पताल में ICU वार्ड के एक पलंग पर मरीज हमेशा ही मर जाता था, बहुत ही रहस्यपूर्ण बात थी की मरीज की कैसी भी हलात हो, कितनी भी सावधानी रखी जाये पर उसी पलंग पर प्रति रविवार
सुबह ११.०० बजे ही मौत होती थी .
पूरा अस्पताल प्रशासन परेशान, कैसी विडम्बना है, कोई रास्ता तो सोचना होगा, ये देवीक आपदा है या कोई रहस्य,किसी बुरी आत्मा का साया है या भूत प्रेत का चक्कर ..कुछ समझ नहीं आ रहा . मेडिकल साइंस मानने को तैयार भी नहीं पर सच भी लगता है ..
कोई भी इस रहस्य को नहीं सुलझा पाया की रविवार को ११ बजे ही मौत क्यूँ होती है?
अगले रविवार ११ बजे से कुछ पहले ही अस्पताल के सभी डॉक्टर्स, नर्स,अन्य स्टाफ और मीडिया उस वार्ड के बाहर बहुत ही बैचेनी, उत्सुकता, खौफ के साथ प्रतीक्षा कर रहे है कि देखेँ आखिर क्या होता है,
किसी के हाथ मे लकड़ी का क्रॉस (सलीब) है तो कोई धार्मिक पुस्तक लिए हुए है, कोई माला ले कर फेर रहा है ..कोई पवित्र जल लिए हुए है .. की वो बुरी आत्मा के साए से बच सके ..
जैसे ही ११ बजते है , उस वार्ड मे साप्ताहिक सफाई कर्मी प्रवेश करता है अन्दर घुसते ही वो उस पलंग के पास जाकर जीवन रक्षक उपकरण बंद करता है और उस बिलजी के प्लग मे वेक्यूम
क्लीनर का प्लग लगा देता है ..
सभी आश्चर्य चकित हो कर देखते रह जाते है ..बहुत ही गहरा रहस्य बेपर्दा हो जाता है ...

Friday 6 December 2013

07-12-13


लोहे की दुकान में अपने पिता के साथ काम कर रहे एक बालक ने अचानक ही अपने पिता से पुछा – “पिताजी इस दुनिया में मनुष्य की क्या कीमत होती है ?”

पिताजी एक छोटे से बच्चे से ऐसा गंभीर सवाल सुन कर हैरान रह गये.

फिर वे बोले “बेटे एक मनुष्य की कीमत आंकना बहुत मुश्किल है, वो तो अनमोल है.”

बालक – क्या सभी कीमती और महत्त्वपूर्ण हैं ?

पिताजी – हाँ बेटे.

बालक कुछ समझा नही उसने फिर सवाल किया – तो फिर इस दुनिया मे कोई गरीब तो कोई अमीर क्यो है? किसी की कम रिस्पेक्ट तो किसी की ज्यादा क्यो होती है?

सवाल सुनकर पिताजी कुछ देर तक शांत रहे और फिर बालक से स्टोर रूम में पड़ा एक लोहे का रॉड लाने को कहा.

रॉड लाते ही पिताजी ने पुछा – इसकी क्या कीमत होगी?

बालक – 200 रूपये.

पिताजी – अगर मै इसके बहुत से छोटे-छटे कील बना दू तो इसकी क्या कीमत हो जायेगी ?

बालक कुछ देर सोच कर बोला – तब तो ये और महंगा बिकेगा लगभग 1000 रूपये का .

पिताजी – अगर मै इस लोहे से घड़ी के बहुत सारे स्प्रिंग बना दूँ तो?

बालक कुछ देर गणना करता रहा और फिर एकदम से उत्साहित होकर बोला ” तब तो इसकी कीमत बहुत ज्यादा हो जायेगी.”

फिर पिताजी उसे समझाते हुए बोले – “ठीक इसी तरह मनुष्य की कीमत इसमे नही है की अभी वो क्या है, बल्की इसमे है कि वो अपने आप को क्या बना सकता है.”

बालक अपने पिता की बात समझ चुका था .

Friends अक्सर हम अपनी सही कीमत आंकने मे गलती कर देते है. हम अपनी present status को देख कर अपने आप को valueless समझने लगते है. लेकिन हममें हमेशा अथाह शक्ति होती है. हमारा जीवन हमेशा सम्भावनाओ से भरा होता है. हमारी जीवन मे कई बार स्थितियाँ अच्छी नही होती है पर इससे हमारी Value कम नही होती है. मनुष्य के रूप में हमारा जन्म इस दुनिया मे हुआ है इसका मतलब है हम बहुत special और important हैं . हमें हमेशा अपने आप को improve करते रहना चाहिये और अपनी सही कीमत प्राप्त करने की दिशा में बढ़ते रहना चाहिये..

Thursday 5 December 2013

06-12-13


इंसान है तो गलतिया तो होगी ही न उससे ....पर कभी कभी छोटी छोटी गलती पर भी उसको बड़ी सजा मिल जाती है ....जो उसके भावुक मन में जख्म दे जाती है ..किस्मत वाले नहीं होते सभी लोग ..बहुत से लोगो को अपनापन नहीं मिलता ...उनके दिल को प्यार से भरने वाला ..उनके जख्म को अपनेपन का मलहम लगाने वाला नहीं होता ...हम समझ नहीं सकते उनके दर्द को ..ऐसे में बहुत बार उस इंसान की मजबूरी समझे बगैर ..उसे अपनापन देकर उसकी छोटी से गलती को माफ़ कर उसे सुधरने का मौका देने के बजाय बड़ी सजा दे बैठते है .ऐसे में वो व्यक्ति जो पहले से ही दुखी है वो और टूट जाता है और टुटा हुआ व्यक्ति स्वयं और औरो के लिए भी घातक होता है ..कैसा संवेदनहीन होता जा रहा है समाज ..जरा सा पैसा क्या ज्यादा हो जाता है ..गरीबो के प्रति भावना ही जैसे समाप्त हो जाती है ....बहुत बार ऐसे ही व्यक्ति किसी गरीब बच्चे का दिल दुखा बैठते है ..और अपनेपन के अभाव में वो बच्चा गलत राह में चला जाता है ..जबकि उसे कोई अपनेपन का मलहम लगा देता तो वो समाज में एक अच्छे इंसान के रूप में जीवन व्यतीत करता होता .....
कैसे निष्ठुर हो गए है हम जो गलती करने के बाद हमने कभी किसी को गले लगाना नहीं सीखा...गलती करने वालो को आत्मीयता और अपनापन देना नहीं जाना ..गलतियों पर कभी माफ़ करना नहीं सीखा..
कोई भी व्यक्ति में बदलाव आता है तो उसके दिल को छूने से ही आता है ..यदि दिल के जख्म को कुरेदोगे तो वो हिंसक वृत्ति का होकर अपराधी हो सकता है..और अगर उसके जख्म को अपनेपन का मलहम लगा दोगे तो वो श्रेष्ठ इंसान बन सकता है ...ये सब भावनाओं और संवेदनाओ का ही खेल है ..मत बनो इतने निष्ठुर ..माफ़ करना सीखो ..हमसे भी बहुत बार गलती होती है ...और अगर हमने किसी को छोटी सी गलती पर माफ़ करने के बजाय उसे बड़ी सजा दे दी जो कि उसके जीवन भर के लिए जख्म बन जाए तो फिर आपकी इस बड़ी गलती को तो भगवान् भी माफ़ नहीं करेंगे ...तो फिर क्यों न हम सब प्यार बाटे और अपनेपन से बाते करे ..समाज को कुछ देना है तो इसी रूप में दे ....जय श्री कृष्ण.

Wednesday 4 December 2013

05-12-13


पैसा पैसा हाय पैसा:

कुछ दिन पहले एक नामी गिरामी बाबा चल बसे, अब यह
कैसे बाबा थे, जो आदमी की जेब देख कर ही दर्शन देते थे, अब
जब मर गये तो अपने पीछे आकूत दोलत छोड गये, उस दोलत के
लिये उसी के बंदे जो उस के धंधे मे शामिल थे लड रहे हे,
सभी को अपनी अपनी पडी हे, यानि वह दोलत जो उस
बाबा ने जादू दिखा कर लुटी, भोले भाले लोगो से,
लालची लोगो से, दुसरो को लुटने वालो से, इन नेताओ से,
वगेरा वगेरा...इस आकूत दोलत मे से एक पैसा भी बाबा के
संग नही गया, बस उस बाबा के कर्म ही उस के संग गये हे, ओर
इस खेल को मै रोजाना समाचार पत्रो मे पढ रहा हुं, आज
एक विचार आया मन मे सो आप सब से बांटना चाहा, हम
आराम से अगर रोजाना मजदुरी कर के जितना कमा लेते हे,
वो हमारे लिये ओर हमारे परिवर के लिये
काफ़ी होता हे,हम उस मे किसी का हक भी नही मारते,
फ़िर हमे अच्छॆ कर्म करने की जरुरत भी नही होगी,
क्योकि हम पापो से तो दुर ही हे,अगर सभी हमारी तरह से
सोचे तो इस भारत क्या पुरी दुनिया मे कोई
भुखा ना सोये.
इस बाबा ने तडप तडप कर ही अपने प्राण छोडे हे, उस
की आकूत दोलत भी उस के पराण नही बचा पाई, उस
की भक्ति भी उसे नही बचा पाई, बाल्कि भगवान
भी उसे सबक देना चाहता था, उस के संग हम सब को भी एक
सबक इस बाबा की मृत्यु से लेना चाहिये कि हमारे संग कुछ
नही जाना, तो क्यो हम दुसरो का हक मार मार कर बेंक
बेलेंस बढाने पर लगे हे, क्यो खुद भी सुख से नही रहते ओर
हजारो लाखो की वद दुआ भी लेते हे, यह अरब पति, करोड
पति, लखपति क्या मेहनत से ईमानदारी से बने हे, यह नेतओ ने
जो काला धन स्विस बेंक या अपने रिशते दारो के नाम से
जमा कर रखा हे, क्या इस धन से यह आसान मोत मरेगे?
या स्वर्ग मे जायेगे? या मरने के बाद अपने परिवार को सुख
शांति दे पायेगे? तो क्यो यह दुसरो के मुंह से
निवाला छीन कर दुसरो को दुखी करते हे, अपने चंद पल
खुशी मे बिताने के लिये क्यो यह लाखॊ अरबो की बद
दुयाऎ... नन्हे नन्हे बच्चो के मुंह से दुध छीन कर यह अपने पेग
पीते हे, क्या यह सब सुखी रहेगे? कई लोग कुत्तो की तरह से
भीख मांग कर खाते हे इन की वजह से, क्या यह अपने
परिवार को सुख शांति दे पायेगे,
हम सब की जिन्दगी कितने बरस की हे, ओर उस दोरान हम
इस समाज को इस दुनिया को क्या दे रहे हे? जो दे रहे हे,
वो तो हम एक कर्ज दे रहे हे, कल को ब्याज के संग हमे वापिस
तो मिलेगा ही, उस समय जब हम एक एक सांस के लिये तडपेगे
तब पशछताने से क्या लाभ, जानवर भी सदियो के लिये
खाना जमा कर के नही रखते, चुहे, ओर चींटिया भी ३, ४
महीने का खाना ही जमा रखती हे, ओर हमारा बस चले
तो हम अपनी बीस ्पिढियंओ के लिये जमा रखे, जब कि हमे
पता नही हमारी अगली पिढी भी आयेगी जा नही,ओर
अगर आई तो वो केसी निकलेगी? कोकि कोई भी हराम
की कमाई खा कर हलाल का काम नही करेगा.
हाय पैसा हाय पैसा कया करेगे यह इतने पैसो का, अपने कुछ
साल तो ’ऎश मै बिता लेगे, बाकी परिवार इन के जाते हे
आपस मे लडेगा; भाई भाई दुशमन बन जाते हे,
अपनी जिन्दगी के कुछ साल ऎश मे बीताने के लिये
क्यो हजारो लाखॊ को दुखी करते हे,कितने लोग भुख से
मरते हे, कितने बच्चे बिना दुध के बिना दवा के मरते हे, उन सब
के जिम्मेदार यही लोग हे जो पैसा पैसा करते हे...

Tuesday 3 December 2013

04-12-13


क्या सिखाता है भगवान कृष्ण का स्वरूप ?

कभी सोचा है भगवान कृष्ण का स्वरूप हमें क्या सिखाता है। क्यों भगवान जंगल में पेड़ के नीचे खड़े बांसुरी बजा रहे हैं, मोरमुकुट पहने, तन पर पीतांबरी, गले में वैजयंती की माला, साथ में राधा, पीछे गाय। कृष्ण की यह छवि हमें क्या प्रेरणा देती है। क्यों कृष्ण का रूप इतना मनोहर लगता है। दरअसल कृष्ण हमें जीवन जीना सिखाते हैं, उनका यह स्वरूप अगर गहराई से समझा जाए तो इसमें हमें सफल जीवन के कई सूत्र मिलते हैं। विद्वानों का मत है कि भगवान विरोधाभास में दिखता है।

आइए जानते हैं कृष्ण की छवि के क्या मायने हैं।

1. मोर मुकुट - भगवान के मुकुट में मोर का पंख है। यह बताता है कि जीवन में विभिन्न रंग हैं। ये रंग हमारे जीवन के भाव हैं। सुख है तो दुख भी है, सफलता है तो असफलता भी, मिलन है तो बिछोह भी। जीवन इन्हीं रंगों से मिलकर बना है। जीवन से जो मिले उसे माथे लगाकर अंगीकार कर लो। इसलिए मोर मुकुट भगवान के सिर पर है।

2. बांसुरी - भगवान बांसुरी बजा रहे हैं, मतलब जीवन में कैसी भी घडी आए हमें घबराना नहीं चाहिए। भीतर से शांति हो तो संगीत जीवन में उतरता है। ऐसे ही अगर भक्ति पानी है तो अपने भीतर शांति कायम करने का प्रयास करें।

3. वैजयंती माला - भगवान के गले में वैजयंती माला है, यह कमल के बीजों से बनती है। इसके दो मतलब हैं कलम के बीच सख्त होते हैं, कभी टूटते नहीं, सड़ते नहीं, हमेशा चमकदार बने रहते हैं। भगवान कह रहे हैं जब तक जीवन है तब तक ऐसे रहो जिससे तुम्हें देखकर कोई दुखी न हो। दूसरा यह माला बीज की है और बीज ही है जिसकी मंजिल होती है भूमि। भगवान कहते हैं जमीन से जुड़े रहो, कितने भी बड़े क्यों न बन जाओ, हमेशा अपने अस्तित्व की असलियत के नजदीक रहो।

4. पीतांबर - पीला रंग सम्पन्नता का प्रतीक है। भगवान कहते हैं ऐसा पुरुषार्थ करो कि सम्पन्नता खुद आप तक चल कर आए। इससे जीवन में शांति का मार्ग खुलेगा।

5. कमरबंद - भगवान ने पीतांबर को ही कमरबंद बना रखा है। इसका अर्थ है हमेशा चुनौतियों के लिए तैयार रहें। धर्म के पक्ष में जब भी कोई कर्म करना पड़े हमेशा तैयार रहें।

Monday 2 December 2013

-03-12-13


रोचक तथ्य
********************
1. टाइटैनिक जहाज को बनाने को लिए
उस समय 35 करोड़ 70 लाख रूपये लगे थे
जब कि टाइटैनिक फिलम बनाने के लिए
1000 करोड़ के लगभग लागत आई.
2. बिल गेट्स हर सेकेण्ड में करीब
12000 रुपये कमाते हैं यानि एक दिन में
करीब 102 करोड़ रूपये.
3. राष्ट्रपति जार्ज बुश ने एक बार
जपानी प्रधानमंन्त्री की कुर्सी पर
उल्टी कर दी थी.
4. चीन में एक 17 साल के लड़के ने i
pad2 और i phone के लिए
अपनी kidney बेच दी थी.
5. धरती पे जितना भार
सारी चीटीयों का है उतना ही सारे
मनुष्यो का है.
6. Octopus के तीन दिल होते हैं.
8. सिर्फ मादा मच्छर ही आपका ख़ून
चूसती हैं. नर मच्छर सिर्फ आवाजे करते हैं.
9. ब्लु वेहल एक साँस में 2000
गुबारो जितनी हवा खिचती है और बाहर
निकालती है.
10. मच्छलीयो की यादआसत सिर्फ कुछ
सेकेंड की होती है.
11. पैराशूट की खोज हवाईजहाज से 1
सदी पहले हुई थी.
12. कंगारु उल्टा नही चल सकते.
13. चीन में आप किसी व्यकित को 100
रूपया प्रति घंटा अपनी जगह लाइन में
लगने के लिए कह सकते है.
14. Facebook उपयोग करने
वाली सबसे बुजुर्ग मनुष्य 105 साल
की एक महिला है जिसका नाम Lillion
Lowe है.
15. ग्रीक और बुलगागिया में एक युद्ध
सिर्फ इसलिए लड़ा गया था क्योंकि एक
कुत्ता उनका border पार कर गया था.
16. 1894 में जो सबसे
पहला कैमरा बना था उससे
आपको अपनी फोटो खीचने के लिए उसके
सामने 8 घंटे तक बैठना पड़ेगा.

Sunday 1 December 2013

02-12-13


योगी नामक व्यक्ति अत्यंत धैर्यवान, ईमानदार और दयालु था। वह सभी की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता था। वह गेरुआ वस्त्र नहीं धारण करता था, फिर भी लोग उसे किसी साधु-संत जैसा सम्मान देते थे। उसी शहर में साधुओं की एक टोली आई हुई थी। काफी दिन बीत जाने पर भी जब साधुओं के पास कोई अपनी समस्या लेकर नहीं आया तो उन्हें अत्यंत बेचैनी हुई। वे आपस में बातें करते हुए बोले, 'यह नगर तो बड़ा अजीब है। आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि हमारे पास अपनी समस्याओं को लेकर लोगों की लंबी कतारें न लगी हों। बड़े अचरज की बात है कि लोग हमें देखकर भी हमारी ओर न आकर आगे बढ़ जाते हैं। आखिर इसका क्या कारण है?' उन्होंने अपने झुंड में शामिल एक युवा साधु अंबुज को इस बात का पता करने के लिए भेजा।

अंबुज को कई बार अपने झुंड में शामिल लोगों के अंधविश्वास व पाखंड को देखकर बुरा लगता था, लेकिन वह सबसे छोटा होने के कारण चुप रह जाता था। अंबुज ने बताया कि इस नगर में योगी नामक व्यक्ति साधु न होकर भी साधु से बढ़कर है। वह समस्याओं के समाधान चुटकियों में कर देता है और अपने कार्य में लगा रहता है। एक दिन योगी को एक रोगी के बारे में पता चला। वह उसकी मदद के लिए चला तो रास्ते में इन्हीं साधुओं की मंडली से टकरा गया। उसे टकराते देखकर सभी साधु उसे घेरकर खड़े हो गए और क्रोधित होकर उसे अपशब्द कहने लगे। यह देखकर योगी बोला, 'आपने गेरुए वस्त्र धारण कर स्वयं को साधु तो घोषित कर दिया लेकिन साधक के गुणों से दूर हैं। साधक तो क्रोध, ईर्ष्या, लोभ से दूर होता है और नि:स्वार्थ भाव से मानव सेवा में लगा रहता है।' सभी साधु दंग रह गए। अंबुज योगी से बहुत प्रभावित हुआ। उसने अपने गेरुए वस्त्र उतारे और उसके साथ रहकर लोगों की सेवा करने लगा।

Saturday 30 November 2013

01-12-13


एक संन्यासी एक राजा के पास पहुंचे। राजा ने उनका खूब आदर-सत्कार किया। संन्यासी कुछ दिन वहीं रुक गए। राजा ने उनसे कई विषयों पर चर्चा की और अपनी जिज्ञासा सामने रखी। संन्यासी ने विस्तार से उनका उत्तर दिया। जाते समय संन्यासी ने राजा से अपने लिए उपहार मांगा।

राजा ने एक पल सोचा और कहा, 'जो कुछ भी खजाने में है, आप ले सकते हैं।' संन्यासी ने उत्तर दिया, 'लेकिन खजाना तुम्हारी संपत्ति नहीं है, वह तो राज्य का है और तुम मात्र उसके संरक्षक हो। ' राजा बोले, 'तो यह महल ले लीजिए।' इस पर संन्यासी ने कहा 'यह भी तो प्रजा का है।' इस पर राजा ने कहा, 'तो मेरा यह शरीर ले लीजिए।' संन्यासी ने उत्तर दिया, 'शरीर तो तुम्हारी संतान का है। मैं इसे कैसे ले सकता हूं?'

राजा ने हथियार डालते हुए कहा, 'तो महाराज आप ही बताएं कि ऐसा क्या है जो मेरा हो और आपको देने लायक हो?' संन्यासी ने उत्तर दिया, 'हे राजा, यदि तुम सच में मुझे कुछ देना चाहते हो, तो अपना अहं दे दो। अहंकार पराजय का द्वार है। यह यश का नाश करता है। यह खोखलेपन का परिचायक है। अहंकार का फल क्रोध है। अहंकार वह पाप है जिसमें व्यक्ति अपने को दूसरों से श्रेष्ठ समझता है। वह जिस किसी को अपने से सुखी-संपन्न देखता है, ईर्ष्या कर बैठता है। अहंकार वह विचार है कि मैं ही हूं इस पूरे ब्रह्मांड का केन्द्र। अहंकार हमें सभी से अलग कर देता है।
 
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Friday 29 November 2013

30-11-13


एक हिन्दू सन्यासी अपने शिष्यों के साथ गंगा नदी के तट पर नहाने पहुंचा. वहां एक ही परिवार के कुछ लोग अचानक आपस में बात करते-करते एक दूसरे पर क्रोधित हो उठे और जोर-जोर से चिल्लाने लगे .

सन्यासी यह देख तुरंत पलटा और अपने शिष्यों से पुछा ;

” क्रोध में लोग एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं ?’

शिष्य कुछ देर सोचते रहे ,एक ने उत्तर दिया, ” क्योंकि हम क्रोध में शांति खो देते हैं इसलिए !”

” पर जब दूसरा व्यक्ति हमारे सामने ही खड़ा है तो भला उस पर चिल्लाने की क्या ज़रुरत है , जो कहना है वो आप धीमी आवाज़ में भी तो कह सकते हैं “, सन्यासी ने पुनः प्रश्न किया .

कुछ और शिष्यों ने भी उत्तर देने का प्रयास किया पर बाकी लोग संतुष्ट नहीं हुए .

अंततः सन्यासी ने समझाया …

“जब दो लोग आपस में नाराज होते हैं तो उनके दिल एक दूसरे से बहुत दूर हो जाते हैं . और इस अवस्था में वे एक दूसरे को बिना चिल्लाये नहीं सुन सकते ….वे जितना अधिक क्रोधित होंगे उनके बीच की दूरी उतनी ही अधिक हो जाएगी और उन्हें उतनी ही तेजी से चिल्लाना पड़ेगा.

क्या होता है जब दो लोग प्रेम में होते हैं ? तब वे चिल्लाते नहीं बल्कि धीरे-धीरे बात करते हैं , क्योंकि उनके दिल करीब होते हैं , उनके बीच की दूरी नाम मात्र की रह जाती है.”

सन्यासी ने बोलना जारी रखा ,” और जब वे एक दूसरे को हद से भी अधिक चाहने लगते हैं तो क्या होता है ? तब वे बोलते भी नहीं , वे सिर्फ एक दूसरे की तरफ देखते हैं और सामने वाले की बात समझ जाते हैं.”

“प्रिय शिष्यों ; जब तुम किसी से बात करो तो ये ध्यान रखो की तुम्हारे ह्रदय आपस में दूर न होने पाएं , तुम ऐसे शब्द मत बोलो जिससे तुम्हारे बीच की दूरी बढे नहीं तो एक समय ऐसा आएगा कि ये दूरी इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि तुम्हे लौटने का रास्ता भी नहीं मिलेगा. इसलिए चर्चा करो, बात करो लेकिन चिल्लाओ मत.
 

Thursday 28 November 2013

29-11-13


गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्

गायत्री मंत्र संक्षेप में
गायत्री मंत्र (वेद ग्रंथ की माता) को हिन्दू धर्म में सबसे
उत्तम मंत्र माना जाता है. यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है.

इस मंत्र का मतलब है - हे प्रभु, क्रिपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये. यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है. हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं
आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं
आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं
हे संसार के विधाता हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त
कर सकें क्रिपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के
गुणों की व्याख्या करते हैं

ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह,
सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि,
यो = जो,
नः = हमारी,
प्रचोदयात् = हमें
शक्ति दें (प्रार्थना) इस प्रकार से कहा जा सकता है कि गायत्री मंत्र में तीन
पहलूओं क वर्णं है - स्त्रोत, ध्यान और प्रार्थना.

Wednesday 27 November 2013

28-11-13



एक आइसक्रीम वाला रोज एक मोहल्ले में आइसक्रीम बेचने जाया करता था , उस कालोनी में सारे पैसे वाले लोग रहा करते थे . लेकिन वह एक परिवार ऐसा भी था जो आर्थिक तंगी से गुजर रहा था. उनका एक चार साल का बेटा था जो हर दिन खिड़की से उस आइसक्रीम वाले को ललचाई नजरो से देखा करता था. आइसक्रीम वाला भी उसे पहचानने लगा था . लेकिन कभी वो लड़का घर से बाहर नहीं आया आइसक्रीम खाने .
एक दिन उस आइसक्रीम वाले का मन नहीं माना तो वो खिड़की के पास जाकर उस बच्चे से बोला ,
" बेटा क्या आपको आइसक्रीम अच्छी नहीं लगती. आप कभी मेरी आइसक्रीम नहीं खरीदते ? "
उस चार साल के बच्चे ने बड़ी मासूमियत के साथ कहा ,
" मुझे आइसक्रीम बहुत पसंद हे . पर माँ के पास पैसे नहीं हे "
उस आइसक्रीम वाले को यह सूनकर उस बच्चे पर बड़ा प्यार आया . उसने कहा ,
" बेटा तुम मुझसे रोज आइसक्रीम ले लिया करो. मुझसे तुमसे पैसे नहीं चाहिए "
वो बच्चा बहुत समझदार निकला . बहुत सहज भाव से बोला ,
" नहीं ले सकता , माँ ने कहा हे किसी से मुफ्त में कुछ लेना गन्दी बात होती हे , इसलिए में कुछ दिए बिना आइसक्रीम नहीं ले सकता "
वो आइसक्रीम वाला बच्चे के मुह से इतनी गहरी बात सूनकर आश्चर्यचकित रह गया . फिर उसने कहा ,
" तुम मुझे आइसक्रीम के बदले में रोज एक पप्पी दे दिया करो . इस तरह मुझे आइसक्रीम की कीमत मिल जाया करेगी "
बच्चा ये सुकर बहुत खुश हुआ वो दौड़कर घर से बाहर आया . आइसक्रीम वाले ने उसे एक आइसक्रीम दी और बदले में उस बच्चे ने उस आइसक्रीम वाले के गालो पर एक पप्पी दी और खुश होकर घर के अन्दर भाग गया .
अब तो रोज का यही सिलसिला हो गया. वो आइसक्रीम वाला रोज आता और एक पप्पी के बदले उस बच्चे को आइसक्रीम दे जाता .
करीब एक महीने तक यही चलता रहा . लेकिन उसके बाद उस बच्चे ने अचानक से आना बंद कर दिया . अब वो खिड़की पर भी नजर नहीं आता था .
जब कुछ दिन हो गए तो आइसक्रीम वाले का मन नहीं मन और वो उस घर पर पहुच गया . दरवाजा उस बालक की माँ ने खोला . आइसक्रीम वाले ने उत्सुकता से उस बच्चे के बारे में पूछा तो उसकी माँ ने कहा ,
" देखिये भाई साहब हम गरीब लोग हे . हमारे पास इतना पैसा नहीं के अपने बच्चे को रोज आइसक्रीम खिला सके . आप उसे रोज मुफ्त में आइसक्रीम खिलाते रहे. जिस दिन मुझे ये बात पता चली तो मुझे बहुत शर्मिंदगी हुई .आप एक अच्छे इंसान हे लेकिन में अपने बेटे को मुफ्त में आइसक्रीम खाने नहीं दे सकती . "
बच्चे की माँ की बाते सूनकर उस आइसक्रीम वाले ने जो उत्तर दिया वो आप सब के लिए सोचने का कारण बन सकता हे ,
" बहनजी , कौन कहता हे की में उसे मुफ्त में आइसक्रीम खिलाता था . में इतना दयालु या उपकार करने वाला नहीं हु में व्यापार करता हु . और आपके बेटे से जो मुझे मिला वो उस आइसक्रीम की कीमत से कही अधिक मूल्यवान था . और कम मूल्य की वास्तु का अधिक मूल्य वसूल करना ही व्यापार हे ,
एक बच्चे का निश्छल प्रेम पा लेना सोने चांदी के सिक्के पा लेने से कही अधिक मूल्यवान हे . आपने अपने बेटे को बहुत अच्छे संस्कार दिए हे लेकिन में आपसे पूछता हु क्या प्रेम का कोई मूल्य नहीं होता ?"
उस आइसक्रीम वाले के अर्थपूर्ण शब्द सूनकर बालक की माँ की आँखे भीग गयी उन्होंने बालक को पुकारा तो वो दौड़कर आ गया . माँ का इशारा पाते ही बालक दौड़कर आइसक्रीम वाले से लिपट गया . आइसक्रीम वाले ने बालक को गोद में उठा लिया और बाहर जाते हुए कहने लगा ,
" तुम्हारे लिए आज चोकलेट आइसक्रीम लाया हु . तुझे बहुत पसंद हे न ?"
बच्चा उत्साह से बोला ,
" हां बहुत "
बालक की माँ ख़ुशी से रो पड़ती है

Tuesday 26 November 2013

27-11-13


एक मकड़ी थी. उसने आराम से रहने के लिए एक शानदार जाला बनाने का विचार किया और सोचा की इस जाले मे खूब कीड़ें, मक्खियाँ फसेंगी और मै उसे आहार बनाउंगी और मजे से रहूंगी . उसने कमरे के एक कोने को पसंद किया और वहाँ जाला बुनना शुरू किया. कुछ देर बाद आधा जाला बुन कर तैयार हो गया. यह देखकर वह मकड़ी काफी खुश हुई कि तभी अचानक उसकी नजर एक बिल्ली पर पड़ी जो उसे देखकर हँस रही थी.

मकड़ी को गुस्सा आ गया और वह बिल्ली से बोली , ” हँस क्यो रही हो?”
”हँसू नही तो क्या करू.” , बिल्ली ने जवाब दिया , ” यहाँ मक्खियाँ नही है ये जगह तो बिलकुल साफ सुथरी है,

यहाँ कौन आयेगा तेरे जाले मे.” ये बात मकड़ी के गले उतर गई. उसने अच्छी सलाह के लिये बिल्ली को धन्यवाद दिया और जाला अधूरा छोड़कर दूसरी जगह तलाश करने लगी. उसने ईधर ऊधर देखा. उसे एक खिड़की नजर आयी और फिर उसमे जाला बुनना शुरू किया कुछ देर तक वह जाला बुनती रही , तभी एक चिड़िया आयी और मकड़ी का मजाक उड़ाते हुए बोली , ” अरे मकड़ी , तू भी कितनी बेवकूफ है.”
“क्यो ?”, मकड़ी ने पूछा.
चिड़िया उसे समझाने लगी , ” अरे यहां तो खिड़की से तेज हवा आती है. यहा तो तू अपने जाले के साथ ही उड़ जायेगी.”

मकड़ी को चिड़िया की बात ठीक लगीँ और वह वहाँ भी जाला अधूरा बना छोड़कर सोचने लगी अब कहाँ जाला बनायाँ जाये. समय काफी बीत चूका था और अब
उसे भूख भी लगने लगी थी .अब उसे एक आलमारी का खुला दरवाजा दिखा और उसने उसी मे अपना जाला बुनना शुरू किया. कुछ जाला बुना ही था तभी उसे एक काक्रोच नजर आया जो जाले को अचरज भरे नजरो से देख रहा था.

मकड़ी ने पूछा – ‘इस तरह क्यो देख रहे हो?’
काक्रोच बोला-,” अरे यहाँ कहाँ जाला बुनने चली आयी ये तो बेकार की आलमारी है. अभी ये यहाँ पड़ी है कुछ दिनों बाद इसे बेच दिया जायेगा और तुम्हारी सारी मेहनत बेकार चली जायेगी. यह सुन कर मकड़ी ने वहां से हट जाना ही बेहतर
समझा . बार-बार प्रयास करने से वह काफी थक चुकी थी और उसके अंदर जाला बुनने की ताकत ही नही बची थी. भूख की वजह से वह परेशान थी. उसे पछतावा हो रहा था कि अगर पहले ही जाला बुन लेती तो अच्छा रहता. पर अब वह कुछ नहीं कर सकती थी उसी हालत मे पड़ी रही.
जब मकड़ी को लगा कि अब कुछ नहीं हो सकता है तो उसने पास से गुजर रही चींटी से मदद करने का आग्रह किया .

चींटी बोली, ” मैं बहुत देर से तुम्हे देख रही थी , तुम बार- बार अपना काम शुरू करती और दूसरों के कहने पर उसे अधूरा छोड़ देती . और जो लोग ऐसा करते हैं , उनकी यही हालत होती है.”
और ऐसा कहते हुए वह अपने रास्ते चली गई और मकड़ी पछताती हुई निढाल पड़ी रही.

दोस्तों , हमारी ज़िन्दगी मे भी कई बार कुछ ऐसा ही होता है.
हम कोई काम start करते है. शुरू -शुरू मे तो हम उस काम के लिये बड़े उत्साहित रहते है पर लोगो के comments की वजह से उत्साह कम होने लगता है और हम अपना काम बीच मे ही छोड़ देते है और जब बाद मे पता चलता है कि हम अपने सफलता के कितने नजदीक थे तो बाद मे पछतावे के अलावा कुछ नही बचता.

Monday 25 November 2013

26-11-13


"स्वार्थ का बोझ"
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एक आदमी अपने सिर पर अपने खाने के लिए अनाज की गठरी ले कर जा रहा था।
दूसरे आदमी के सिर पर उससे चार गुनी बड़ी गठरी थी।
लेकिन पहला आदमी गठरी के बोझ से दबा जा रहा था, जबकि दूसरा मस्ती से गीत गाता जा रहा था।
पहले ने दूसरे से पूछा, "क्योंजी! क्या आपको बोझ नहीं लगता?"
दूसरे वाले ने कहा, "तुम्हारे सिर पर अपने खाने का बोझ है,
मेरे सिर पर परिवार को खिलाकर खाने का।
स्वार्थ के बोझ से स्नेह समर्पण का बोझ सदैव हल्का होता है।"
स्वार्थी मनुष्य अपनी तृष्णाओं और अपेक्षाओं के बोझ से बोझिल रहता है। जबकि परोपकारी अपनी चिंता त्याग कर संकल्प विकल्पों से मुक्त रहता है। —

Sunday 24 November 2013

25-11-13


एक बार नारद मुनि जी ने भगवान विष्णु जी से पुछा, हे भगवन आप का इस समय सब से प्रिय भक्त कौन है?, अब विष्णु तो भगवान है, सो झट से समझ गये अपने भक्त नारद मुनि की बात, और मुस्कुरा कर बोले ! मेरा सब से प्रिय भक्त उस गांव का एक मामुली किसान है, यह सुन कर नारद मुनि जी थोडा निराश हुये, और फ़िर से एक प्रश्न किया, हे भगवान आप का बडा भक्त तो मै हूँ, तो फ़िर सब से प्रिय क्यो नही??

भगवान विष्णु जी ने नारद मुनि जी से कहा, इस का जबाब तो तुम खुद ही दोगे, जाओ एक दिन उस के घर रहो ओर फ़िर सारी बात मुझे बताना,नारद मुनि जी सुबह सवेरे मुंह अंधेर उस किसान के घर पहुच गये, देखा अभी अभी किसान जागा है, और उस ने सब से पहले अपने जानवरो को चारा वगेरा दिया, फ़िर मुंह हाथ धोऎ, देनिक कार्यो से निवृत्त हुया, जल्दी जल्दी भगवान का नाम लिया, रुखी सूखी रोटी खा कर जल्दी जल्दी अपने खेतो पर चला गया, सारा दिन खेतो मे काम किया और शाम को वापिस घर आया जानवरो को अपनी अपनी जगह बांधा, उन्हे चारा पानी डाला, हाथ पाँव धोये, कुल्ला किया, फ़िर थोडी देर भगवान का नाम लिया, फ़िर परिवर के संग बैठ कर खान...ा खाया, कुछ बाते की और फ़िर सो गया.

अब सारा दिन यह सब देख कर नारद मुनि जी, भगवान विष्णु के पास वापिस आये, और बोले भगवन मै आज सारा दिन उस किसान के संग रहा, लेकिन वो तो ढंग से आप का नाम भी नही ले सकता, उस ने थोडी देर सुबह थोडी देर शाम को ओर वो भी जल्दी जल्दी आप का ध्यान किया, और मैं तो चौबीस घंटे सिर्फ़ आप का ही नाम जपता हुं, क्या अब भी आप का सबसे प्रिय भक्त वो गरीब किसान ही है, भगवान विष्णु जी ने नारद की बात सुन कर कहा, अब इस का जबाब भी तुम मुझे खुद ही देना.

और भगवान विष्णु जी ने एक कलश अमृत से भरा नारद मुनि को थमाया, ओर बोले इस कलश को ले कर तुम तीनो लोको की परिक्रमा कर के आओ, लेकिन ध्यान रहे अगर एक बुंद भी अमृत नीचे गिरा तो तुम्हारी सारी भक्ति और पुण्य नष्ट हो जायेगे, नारद मुनि तीनो लोको की परिक्र्मा कर के जब भगवान विष्णु के पास वापिस आये तो , खुश हो कर बोले भगवान मैंने एक बुंद भी अमृत नीचे नही गिरने दिया, विष्णु भगवान ने पुछा और इस दौरान तुम ने मेरा नाम कितनी बार लिया?मेरा स्मरण कितनी बार किया ? तो नारद बोले अरे भगवान जी मेरा तो सारा ध्यान इस अमृत पर था, फ़िर आप का ध्यान केसे करता.

भगवान विष्णु ने कहा, हे नारद देखो उस किसान को वो अपना कर्म करते हुये भी नियमित रुप से मेरा स्मरण करता है, क्योकि जो अपना कर्म करते हुये भी मेरा जाप करे वो ही मेरा सब से प्रिय भक्त हुआ, तुम तो सारा दिन खाली बैठे जप करते हो, और जब तुम्हे कर्म दिया तो मेरे लिये तुम्हारे पास समय ही नही था, तो नारद मुनि सब समझ गये ओर भगवान के चरण पकड कर बोले हे भगवन आप ने मेरा अंहकार तोड दिया, आप धन्य है|

Saturday 23 November 2013

24-11-13


चाय का प्याला

कल्लू चाय के घूँट ले रहा था. कल्लू का पूरा नाम कालूराम है. काम, वह् सब काम कर लेता है, जो आम आदमी नहीं कर पाता है. मकान पर कब्जा करना हो, मकान खाली करवाना हो, चुनाव जीतना या हरवाना, मारा पीटी आदि. कल्लू कोई भी काम कर सकता है बस काम का दाम चुका दो. चाय बढ़िया थी और चाय की चुस्की लेते लेते कल्लू पुरानी यादों में खो गया.

कल्लू शहर के पास के ही एक गाँव का रहने वाला है. गरीब माता पिता की संतान. 8-10 साल की उम्र में ही पिता ने गाँव के ही एक साहूकार के घर पर दिन भर के लिए काम पर रखवा दिया था. महीने की पगार के साथ सुबह की चाय और दोपहर का खाना. सुबह 7 बजे से कल्लू की नौकरी चालू हो जाती. साहूकार के घर में उनकी पत्नी चाय बनाती. घर के सभी लोगों को चाय देने के पश्चात जरा सी चाय में और पानी डाल कर, उबाल कर, छान कर कल्लू को दे देती. शुरू शुरू में तो कल्लू कुछ समझ नहीं पाया पर बाद में उसे यह सब बहुत ही बुरा लगने लगा. दोपहर के भोजन में भी उसे बचा खुचा या बासा खाना खाने को मिलता वह् भी पेट भर नहीं. सभी बच्चे स्कूल जाते और यह सब देख् कर कल्लू की भी इच्छा स्कूल जाने की होती पर मन मसोस कर रह जाता.

दिन गुजरते गए और कल्लू जवान हो गया. उसे साहूकार की नौकरी अब अच्छी नहीं लगती पर पिता की आर्थिक स्थिति को देखकर चुप रहता. एक दिन साहूकार की जवान बेटी से 5-10 मिनट बात क्या कर ली, तूफान आ गया. पता नहीं साहूकार और उसकी पत्नी ने क्या क्या बोला. वह् साहूकार की बेटी, जिसे उसने बड़ा होते देखा था, को अपनी बहिन मानता था. उसके बाद कल्लू वापस साहुकार के घर दुबारा नहीं गया. साहूकार का बुलावा आया. पिता ने भी जोर डाला.पर कल्लू का मन खट्टा हो गया.

कल्लू भाग कर वह् शहर आ गया. शरीर से बलिष्ट, अच्छी कद काठी और साँवला रंग. हम्माली करने लगा. मेहनती था और दिमाग का होशियार भी. धीरे धीरे जिसमे पैसा मिले वह् सभी काम करने लगा. अच्छा पैसा बना लिया. मकान, कार, सुख सुविधा की सभी सामग्री जुटा ली. गाँव से परिवार को बुला लिया, शादी कर ली और बच्चे शहर के अच्छे स्कूल में शिक्षा पाने लगे.

सब कुछ होने के बाद भी कल्लू के मन में हमेशा एक दर्द रहता है कि काश उसे भी साहूकार के घर में अच्छा माहौल मिला होता तो वह् भी पढ़ लिख कर अच्छा काम कर रहा होता.

Friday 22 November 2013

23-11-13


एलोवेरा को आयुर्वेद में संजीवनी कहा गया है। त्‍वचा की देखभाल से लेकर बालों की खूबसूरती तक और घावों को भरने से लेकर सेहत की सुरक्षा तक में इस चमत्‍कारिक औषधि का कोई जवाब नहीं है। एलोवेरा विटामिन ए और विटामिन सी का बड़ा स्रोत है।

* एलोवेरा का जूस नियमित पीने वाला व्‍यक्ति कभी बीमार नहीं पड़ता है।

* एलोवेरा जूस के सेवन से पेट के रोग जैसे वायु, अल्सर, अम्‍लपित्‍त आदि की शिकायतें दूर हो जाती हैं। पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में इससे बड़ा कोई औषधि नहीं है।

* जोडों के दर्द और रक्त शोधक के रूप में भी एलोवेरा बेजोड़ है।

* एलोवेरा बालों की कुदरती खूबसूरती बनाए रखता है। यह बालों को असमय टूटने और सफेद होने से बचाता है।

* रोज सोने से पहले एड़ियों पर एलोवेरा जेल की मालिश करने से एड़ियां नहीं फटती हैं।

* एलोवेरा त्वचा की नमी को बनाए रखता है।

* एलोवेरा त्वचा को जरूरी मॉश्चयर देता है।

* गर्मियों में सनबर्न की शिकायत हो जाती है। एलोवेरा वाले मोश्‍चराइजर व सनस्‍क्रीन का उपयोग त्‍वचा के सनबर्न को समाप्‍त करता है।

* एलोवेरा एक बेहतरीन स्किन टोनर है। एलोवेरा फेशवॉश से त्‍वचा की नियमित सफाई से त्‍वचा से अतिरिक्‍त तेल निकल जाता है, जो पिंपल्‍स यानी कील-मुहांसे को पनपने ही नहीं देता है।
एलोवेरा को आयुर्वेद में संजीवनी कहा गया है। त्‍वचा की देखभाल से लेकर बालों की खूबसूरती तक और घावों को भरने से लेकर सेहत की सुरक्षा तक में इस चमत्‍कारिक औषधि का कोई जवाब नहीं है। एलोवेरा विटामिन ए और विटामिन सी का बड़ा स्रोत है। * एलोवेरा का जूस नियमित पीने वाला व्‍यक्ति कभी बीमार नहीं पड़ता है। * एलोवेरा जूस के सेवन से पेट के रोग जैसे वायु, अल्सर, अम्‍लपित्‍त आदि की शिकायतें दूर हो जाती हैं। पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में इससे बड़ा कोई औषधि नहीं है। * जोडों के दर्द और रक्त शोधक के रूप में भी एलोवेरा बेजोड़ है। * एलोवेरा बालों की कुदरती खूबसूरती बनाए रखता है। यह बालों को असमय टूटने और सफेद होने से बचाता है। * रोज सोने से पहले एड़ियों पर एलोवेरा जेल की मालिश करने से एड़ियां नहीं फटती हैं। * एलोवेरा त्वचा की नमी को बनाए रखता है। * एलोवेरा त्वचा को जरूरी मॉश्चयर देता है। * गर्मियों में सनबर्न की शिकायत हो जाती है। एलोवेरा वाले मोश्‍चराइजर व सनस्‍क्रीन का उपयोग त्‍वचा के सनबर्न को समाप्‍त करता है। * एलोवेरा एक बेहतरीन स्किन टोनर है। एलोवेरा फेशवॉश से त्‍वचा की नियमित सफाई से त्‍वचा से अतिरिक्‍त तेल निकल जाता है, जो पिंपल्‍स यानी कील-मुहांसे को पनपने ही नहीं देता है।