Friday 20 December 2013

21-12-13


एक युवक क़रीब 20 साल के बाद विदेश से अपने
शहर लौटा था !
बाज़ार में घुमते हुए सहसा उसकी नज़रें
सब्जी का ठेला लगाये एक बूढे पर जा टिकीं !
बहुत कोशिश के बावजूद भी युवक उसको पहचान
नहीं पा रहा था !
लेकिन न जाने बार बार ऐसा क्यों लग
रहा था की वो उसे बड़ी अच्छी तरह से जनता है !
उत्सुकता उस बूढ़े से भी छुपी न रही,
उसके चेहरे पर आई अचानक मुस्कान से मैं समझ
गया था कि उसने युवक को पहचान लिया था !
काफी देर ...की जेहनी कशमकश के बाद जब युवक ने
उसे पहचाना तो उसके पाँव के नीचे से
मानो ज़मीन खिसक गई !
जब युवक विदेश गया था तो उनकी एक
बड़ी आटा मिल हुआ करती थी,
घर में नौकर चाकर कIम किया करते थे !
धर्म कर्म, दान पुण्य में सब से अग्रणी इस
दानवीर पुरुष को युवक ताऊजी कह कर
बुलाया करता था !
वही आटा मिल का मालिक और आज
सब्जी का ठेला लगाने पर मजबूर .. ?
युवक से रहा नहीं गया और वो उसके पास
जा पहुँचा और बहुत मुश्किल से रुंधे गले से पूछा :
"ताऊ जी, ये सब कैसे हो गया ...?"
भरी ऑंखें से बूढ़े ने युवक के कंधे पर हाथ रख उत्तर
दिया :
"बच्चे बड़े हो गए हैं बेटा" !!

No comments:

Post a Comment