Wednesday 4 December 2013

05-12-13


पैसा पैसा हाय पैसा:

कुछ दिन पहले एक नामी गिरामी बाबा चल बसे, अब यह
कैसे बाबा थे, जो आदमी की जेब देख कर ही दर्शन देते थे, अब
जब मर गये तो अपने पीछे आकूत दोलत छोड गये, उस दोलत के
लिये उसी के बंदे जो उस के धंधे मे शामिल थे लड रहे हे,
सभी को अपनी अपनी पडी हे, यानि वह दोलत जो उस
बाबा ने जादू दिखा कर लुटी, भोले भाले लोगो से,
लालची लोगो से, दुसरो को लुटने वालो से, इन नेताओ से,
वगेरा वगेरा...इस आकूत दोलत मे से एक पैसा भी बाबा के
संग नही गया, बस उस बाबा के कर्म ही उस के संग गये हे, ओर
इस खेल को मै रोजाना समाचार पत्रो मे पढ रहा हुं, आज
एक विचार आया मन मे सो आप सब से बांटना चाहा, हम
आराम से अगर रोजाना मजदुरी कर के जितना कमा लेते हे,
वो हमारे लिये ओर हमारे परिवर के लिये
काफ़ी होता हे,हम उस मे किसी का हक भी नही मारते,
फ़िर हमे अच्छॆ कर्म करने की जरुरत भी नही होगी,
क्योकि हम पापो से तो दुर ही हे,अगर सभी हमारी तरह से
सोचे तो इस भारत क्या पुरी दुनिया मे कोई
भुखा ना सोये.
इस बाबा ने तडप तडप कर ही अपने प्राण छोडे हे, उस
की आकूत दोलत भी उस के पराण नही बचा पाई, उस
की भक्ति भी उसे नही बचा पाई, बाल्कि भगवान
भी उसे सबक देना चाहता था, उस के संग हम सब को भी एक
सबक इस बाबा की मृत्यु से लेना चाहिये कि हमारे संग कुछ
नही जाना, तो क्यो हम दुसरो का हक मार मार कर बेंक
बेलेंस बढाने पर लगे हे, क्यो खुद भी सुख से नही रहते ओर
हजारो लाखो की वद दुआ भी लेते हे, यह अरब पति, करोड
पति, लखपति क्या मेहनत से ईमानदारी से बने हे, यह नेतओ ने
जो काला धन स्विस बेंक या अपने रिशते दारो के नाम से
जमा कर रखा हे, क्या इस धन से यह आसान मोत मरेगे?
या स्वर्ग मे जायेगे? या मरने के बाद अपने परिवार को सुख
शांति दे पायेगे? तो क्यो यह दुसरो के मुंह से
निवाला छीन कर दुसरो को दुखी करते हे, अपने चंद पल
खुशी मे बिताने के लिये क्यो यह लाखॊ अरबो की बद
दुयाऎ... नन्हे नन्हे बच्चो के मुंह से दुध छीन कर यह अपने पेग
पीते हे, क्या यह सब सुखी रहेगे? कई लोग कुत्तो की तरह से
भीख मांग कर खाते हे इन की वजह से, क्या यह अपने
परिवार को सुख शांति दे पायेगे,
हम सब की जिन्दगी कितने बरस की हे, ओर उस दोरान हम
इस समाज को इस दुनिया को क्या दे रहे हे? जो दे रहे हे,
वो तो हम एक कर्ज दे रहे हे, कल को ब्याज के संग हमे वापिस
तो मिलेगा ही, उस समय जब हम एक एक सांस के लिये तडपेगे
तब पशछताने से क्या लाभ, जानवर भी सदियो के लिये
खाना जमा कर के नही रखते, चुहे, ओर चींटिया भी ३, ४
महीने का खाना ही जमा रखती हे, ओर हमारा बस चले
तो हम अपनी बीस ्पिढियंओ के लिये जमा रखे, जब कि हमे
पता नही हमारी अगली पिढी भी आयेगी जा नही,ओर
अगर आई तो वो केसी निकलेगी? कोकि कोई भी हराम
की कमाई खा कर हलाल का काम नही करेगा.
हाय पैसा हाय पैसा कया करेगे यह इतने पैसो का, अपने कुछ
साल तो ’ऎश मै बिता लेगे, बाकी परिवार इन के जाते हे
आपस मे लडेगा; भाई भाई दुशमन बन जाते हे,
अपनी जिन्दगी के कुछ साल ऎश मे बीताने के लिये
क्यो हजारो लाखॊ को दुखी करते हे,कितने लोग भुख से
मरते हे, कितने बच्चे बिना दुध के बिना दवा के मरते हे, उन सब
के जिम्मेदार यही लोग हे जो पैसा पैसा करते हे...

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