एक
बार श्री राधिका रानी ने बड़े प्यार से श्री कृष्ण से पूछा - कि प्रभु!
,मै आपसे कितना स्नेह, कितना प्रेम करती हूँ इस से तो आप भली भांति परिचित
है.पर आज मै आपसे पूछती हूँ कि आप मुझे कितना प्रेम करते हैं ? " राधे रानी
की यह बात सुनकर प्रभु मुस्काए और बड़े प्यार से बोले " प्रिये मै आपसे
नमक जितना प्रेम करता हूँ." यह बात सुनकर राधा रानी को बड़ा ही आश्चर्य हुआ
कि मै प्रभु को
इतना प्रेम करती हूँ कि अप
इतना प्रेम करती हूँ कि अप
ना समस्त जीवन उन पर न्योंछावर कर दिया है.और प्रभु मुझे केवल नमक जितना ही चाहते है ? भरे गले से उन्होंने यह बात प्रभु से कही.
प्रभु ने सोचा राधा रानी के मन में चल रहे प्रश्न का निराकरण करना ही होगा. उन्होंने राधा रानी से कहा कि - प्रिये! अपनी राजधानी में सभी को आज निमंत्रण दो और तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर उन्हें खिलाओ. पर एक बात ध्यान रहे कि आप किसी भी व्यंजन में नमक मत डालना.
भोली भाली राधा रानी ने ऐसा ही किया. निर्धारित समय पर सभी एकत्रित हुए. राधा रानी ने बड़े ही आदर सत्कार से सभी का स्वागत किया. और भोजन करने को कहा.सारी प्रजा राधा रानी के आँगन में भोजन करने हेतु बैठ गयी. भोजन परोसा गया. प्रभु कि आज्ञा पाकर सभी ने भोजन करना आरम्भ किया.
कोई एक निवाला खाता. कोई दो निवाला खाता. सभी एक दुसरे को निहारते. प्रभु कहते..खाइए-खाइए, प्रेम से खाइए, प्रभु की बात सुनकर एक बुज़ुर्ग ने कहा -कि प्रभु! ५६ प्रकार के भोजन आपने बनवाये है. जिन्हें देखने मात्र से मुंह में पानी आ रहा है. परन्तु इनमे से किसी भी व्यंजन में नमक नहीं है. इसलिए यह सभी फीके लग रहे है. कृपा करके राधा रानी से कहे की इनमे नमक डाले. ताकि यह भोजन खाने योग्य हो. प्रभु बोले- प्रिये! अब सभी व्यंजन में नमक डाल दो.
प्रभु आज्ञा पाकर राधा रानी ने सभी व्यंजनों में नमक डाल दिया. और प्रजा को दोबारा भोजन करने को कहा. सारी प्रजा ने सभी व्यंजन को भरपूर आनंद के साथ ग्रहण किया.
यह देख प्रभु मुस्कुरा कर राधा रानी की ओर देखा. राधा रानी को अपने भीतर चल रहे प्रश्न का उत्तर मिल गया था. और वो समझ गयीं की प्रभु उन्हें कितना प्रेम करते है.
प्रभु ने सोचा राधा रानी के मन में चल रहे प्रश्न का निराकरण करना ही होगा. उन्होंने राधा रानी से कहा कि - प्रिये! अपनी राजधानी में सभी को आज निमंत्रण दो और तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर उन्हें खिलाओ. पर एक बात ध्यान रहे कि आप किसी भी व्यंजन में नमक मत डालना.
भोली भाली राधा रानी ने ऐसा ही किया. निर्धारित समय पर सभी एकत्रित हुए. राधा रानी ने बड़े ही आदर सत्कार से सभी का स्वागत किया. और भोजन करने को कहा.सारी प्रजा राधा रानी के आँगन में भोजन करने हेतु बैठ गयी. भोजन परोसा गया. प्रभु कि आज्ञा पाकर सभी ने भोजन करना आरम्भ किया.
कोई एक निवाला खाता. कोई दो निवाला खाता. सभी एक दुसरे को निहारते. प्रभु कहते..खाइए-खाइए, प्रेम से खाइए, प्रभु की बात सुनकर एक बुज़ुर्ग ने कहा -कि प्रभु! ५६ प्रकार के भोजन आपने बनवाये है. जिन्हें देखने मात्र से मुंह में पानी आ रहा है. परन्तु इनमे से किसी भी व्यंजन में नमक नहीं है. इसलिए यह सभी फीके लग रहे है. कृपा करके राधा रानी से कहे की इनमे नमक डाले. ताकि यह भोजन खाने योग्य हो. प्रभु बोले- प्रिये! अब सभी व्यंजन में नमक डाल दो.
प्रभु आज्ञा पाकर राधा रानी ने सभी व्यंजनों में नमक डाल दिया. और प्रजा को दोबारा भोजन करने को कहा. सारी प्रजा ने सभी व्यंजन को भरपूर आनंद के साथ ग्रहण किया.
यह देख प्रभु मुस्कुरा कर राधा रानी की ओर देखा. राधा रानी को अपने भीतर चल रहे प्रश्न का उत्तर मिल गया था. और वो समझ गयीं की प्रभु उन्हें कितना प्रेम करते है.
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