Monday 26 November 2012

27.11.12

कहते हैं जो केवल देता ही देता है। गाय केवल
देती ही देती है, लेती क्या है-केवल घास-पूस जो मनुष्य के
कोई काम का नहीं।

गाय हमें स्थूल और सूक्ष्म दोनों तरह
से देती है। गाय में तेतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास है,
इसका यही अभिप्रायः है
कि जो हमें 33 करोड़ देवी-
देवताओं से मिलता है वो सब हमें गाय भी देती है। गाय सहज में अपनी ओर से जो भी देती है वो सब हमारे लिये
अमृत है जैसे- दूध, दही, घी, छाछ
, गोमूत्र, गोबर आदि। ये
सब हमारे लिये बहुत ही लाभकारी और पवित्र हैं। कुछ
लोग इसका विरोध करते हैं और उल्टी-उल्टी बातें
लिखते हैं गो के बारे में, तो यही समझना चाहिये
कि उनकी मति विपरीत हो गयी है इसलिये वे अच्छी बात की बुराई करेंगे ही। राक्षस का स्वभाव
ही अच्छाई का विरोध करना होता है

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