♥ छोटी छोटी मगर मोटी बातें ♥
इन खास बातों का ध्यान रख बोलें गायत्री मंत्र तो मिलेंगे चमत्कारी फल---
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हिन्दू धर्मशास्त्रों के मुताबिक गायत्री मंत्र द्वारा जगत की आत्मा माने
गए साक्षात देवता सूर्य की उपासना निरोगी जीवन के साथ-साथ यश, प्रसिद्धि,
धन व ऐश्वर्य देने वाली होती है। किंतु इसके लिए गायत्री मंत्र की साधना
विधि विधान और मन, वचन, कर्म की पवित्रता के साथ जरूरी माना ग
या है।
वेदमाता मां गायत्री की उपासना 24 देवशक्तियों की भक्ति का फल व कृपा देने
वाली भी मानी गई है। इससे सांसारिक जीवन में सुख, सफलता व शांति की चाहत
पूरी होती है। खासतौर पर हर सुबह सूर्योदय या ब्रह्ममुहूर्त में गायत्री
मंत्र का जप ऐसी ही कामनाओं को पूरा करने में बहुत शुभ व असरदार माना गया
है।
आप भी गायत्री मंत्र की शक्ति और शुभ प्रभाव से सफलता चाहते हैं तो
बताई जा रही गायत्री मंत्र जप से जुड़ी जरूरी बातों का ध्यान जरूर रखें-
- गायत्री मंत्र जप किसी गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए।
- गायत्री मंत्र जप के लिए सुबह का समय श्रेष्ठ होता है। किंतु यह शाम को भी किए जा सकते हैं।
- गायत्री मंत्र के लिए स्नान के साथ मन और आचरण पवित्र रखें। किंतु सेहत
ठीक न होने या अन्य किसी वजह से स्नान करना संभव न हो तो किसी गीले
वस्त्रों से तन पोंछ लें।
- साफ और सूती वस्त्र पहनें।
- कुश या चटाई का आसन बिछाएं। पशु की खाल का आसन निषेध है।
- तुलसी या चन्दन की माला का उपयोग करें।
- ब्रह्ममूहुर्त में यानी सुबह होने के लगभग 2 घंटे पहले पूर्व दिशा की ओर
मुख करके गायत्री मंत्र जप करें। शाम के समय सूर्यास्त के घंटे भर के अंदर
जप पूरे करें। शाम को पश्चिम दिशा में मुख रखें।
- इस मंत्र का मानसिक जप किसी भी समय किया जा सकता है।
- शौच या किसी आकस्मिक काम के कारण जप में बाधा आने पर हाथ-पैर धोकर फिर
से जप करें। बाकी मंत्र जप की संख्या को थोड़ी-थोड़ी पूरी करें। साथ ही एक
से अधिक माला कर जप बाधा दोष का शमन करें।
- गायत्री मंत्र जप करने
वाले का खान-पान शुद्ध और पवित्र होना चाहिए। किंतु जिन लोगों का सात्विक
खान-पान नहीं है, वह भी गायत्री मंत्र जप कर सकते हैं। क्योंकि ऐसा माना
जाता है कि इस मंत्र के असर से ऐसा व्यक्ति भी शुद्ध और सद्गुणी बन जाता
है।
या है।
वेदमाता मां गायत्री की उपासना 24 देवशक्तियों की भक्ति का फल व कृपा देने वाली भी मानी गई है। इससे सांसारिक जीवन में सुख, सफलता व शांति की चाहत पूरी होती है। खासतौर पर हर सुबह सूर्योदय या ब्रह्ममुहूर्त में गायत्री मंत्र का जप ऐसी ही कामनाओं को पूरा करने में बहुत शुभ व असरदार माना गया है।
आप भी गायत्री मंत्र की शक्ति और शुभ प्रभाव से सफलता चाहते हैं तो बताई जा रही गायत्री मंत्र जप से जुड़ी जरूरी बातों का ध्यान जरूर रखें-
- गायत्री मंत्र जप किसी गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए।
- गायत्री मंत्र जप के लिए सुबह का समय श्रेष्ठ होता है। किंतु यह शाम को भी किए जा सकते हैं।
- गायत्री मंत्र के लिए स्नान के साथ मन और आचरण पवित्र रखें। किंतु सेहत ठीक न होने या अन्य किसी वजह से स्नान करना संभव न हो तो किसी गीले वस्त्रों से तन पोंछ लें।
- साफ और सूती वस्त्र पहनें।
- कुश या चटाई का आसन बिछाएं। पशु की खाल का आसन निषेध है।
- तुलसी या चन्दन की माला का उपयोग करें।
- ब्रह्ममूहुर्त में यानी सुबह होने के लगभग 2 घंटे पहले पूर्व दिशा की ओर मुख करके गायत्री मंत्र जप करें। शाम के समय सूर्यास्त के घंटे भर के अंदर जप पूरे करें। शाम को पश्चिम दिशा में मुख रखें।
- इस मंत्र का मानसिक जप किसी भी समय किया जा सकता है।
- शौच या किसी आकस्मिक काम के कारण जप में बाधा आने पर हाथ-पैर धोकर फिर से जप करें। बाकी मंत्र जप की संख्या को थोड़ी-थोड़ी पूरी करें। साथ ही एक से अधिक माला कर जप बाधा दोष का शमन करें।
- गायत्री मंत्र जप करने वाले का खान-पान शुद्ध और पवित्र होना चाहिए। किंतु जिन लोगों का सात्विक खान-पान नहीं है, वह भी गायत्री मंत्र जप कर सकते हैं। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के असर से ऐसा व्यक्ति भी शुद्ध और सद्गुणी बन जाता है।
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