एक
बार लक्ष्मी को घमंड हो गया कि मैं सबसे बड़ी हूं। इस बात की जांच के लिए
वह धरती पर पहुंचीं। एक मूर्तिकार के यहां अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति के
साथ लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की मूतिर्यां भी बिक्री के लिए रखी थीं।
लक्ष्मी ने सरस्वती की मूर्ति की ओर इशारा करते हुए कहा पूछा, 'इसकी क्या
कीमत
है?' मूर्तिकार ने कहा, 'बहन जी! इसकी कीमत पांच
रुपये है।' लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुईं। उन्होंने सोचा,
दुनिया में सरस्वती की कीमत सिर्फ पांच रुपये है। फिर दुर्गा की मूर्ति की ओर इशारा करते हुए पूछा, 'इसकी क्या कीमत है?' मूर्तिकार ने कहा, 'बहनजी, इसकी भी कीमत पांच रुपये है।' लक्ष्मी ने सोचा, दुनिया में सरस्वती और दुर्गा एक ही भाव बिकती हैं। फिर उन्होंने स्वयं अपनी, लक्ष्मी की मूर्ति की ओर
इशारा करते हुए पूछा, 'इसकी क्या कीमत है?' मूर्तिकार ने कहा, 'बहन जी, इसे कोई नहीं खरीदता। जो भी हमारे यहां से सरस्वती और दुर्गा की मूर्ति खरीदते हैं, उनको हम यह मूर्ति भेंट में देते हैं। कारण, लोग लक्ष्मी देकर ही सरस्वती और दुर्गा खरीदते हैं। लक्ष्मी देकर कोई लक्ष्मी नहीं खरीदता।' इस तरह लक्ष्मी को सच
का सामना करना पड़ा।
है?' मूर्तिकार ने कहा, 'बहन जी! इसकी कीमत पांच
रुपये है।' लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुईं। उन्होंने सोचा,
दुनिया में सरस्वती की कीमत सिर्फ पांच रुपये है। फिर दुर्गा की मूर्ति की ओर इशारा करते हुए पूछा, 'इसकी क्या कीमत है?' मूर्तिकार ने कहा, 'बहनजी, इसकी भी कीमत पांच रुपये है।' लक्ष्मी ने सोचा, दुनिया में सरस्वती और दुर्गा एक ही भाव बिकती हैं। फिर उन्होंने स्वयं अपनी, लक्ष्मी की मूर्ति की ओर
इशारा करते हुए पूछा, 'इसकी क्या कीमत है?' मूर्तिकार ने कहा, 'बहन जी, इसे कोई नहीं खरीदता। जो भी हमारे यहां से सरस्वती और दुर्गा की मूर्ति खरीदते हैं, उनको हम यह मूर्ति भेंट में देते हैं। कारण, लोग लक्ष्मी देकर ही सरस्वती और दुर्गा खरीदते हैं। लक्ष्मी देकर कोई लक्ष्मी नहीं खरीदता।' इस तरह लक्ष्मी को सच
का सामना करना पड़ा।
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