Monday 8 October 2012

आस्था और विश्वास - 09.10.2012

भक्ति में अविश्वास का कोई स्थान नहीं होता। आस्था और विश्वास ही वह कारण है जिनके बूते ही भक्त और भगवान का मिलन हो जाता है। धर्मशास्त्र भी यही कहते हैं कि प्रेम और भावना ईश्वर को भी भक्त के पास आने को मजबूर करती है। भगवान शिव भी ऐसे ही देवता माने जाते हैं, जो भक्तो की थोड़ी ही उपासना से प्रसन्न हो जाते हैं।

शिव की प्रसन्नता के ही इन उपायों में महामृत्युञ्जय मंत्र को बहुत ही अचूक माना जाता है। शिवपुराण में तो शिव भक्ति के काल जैसे सोमवार, चतुर्दशी, सावन या हर रोज भी महादेव के इस मंत्र का अलग-अलग रूप और संख्या में जप तन, मन और धन का हर सुख देने वाला बताया गया है। इसके लिए यह भी जरूरी है कि भक्त बिना किसी कामना के शिव का ध्यान करे। पूरी पवित्रता व निष्काम यानी बिना स्वार्थ के नियत संख्या में मंत्र जप तो जन्म-जन्मान्तर के कर्मों का स्मरण कराने के साथ शिव के साक्षात दर्शन कराने वाला माना गया है।

यहां जानिए, कितनी संख्या में शिव के इस महामंत्र को बोलने या जप करने क्या-क्या घट जाता है-

- महामृत्युञ्जय मंत्र के एक लाख जप करने पर शरीर पवित्र हो जाता है।

- महामृत्युञ्जय मंत्र के दो लाख जप पूरे होने पर पूर्वजन्म की बातें याद आ जाती हैं।

- महामृत्युञ्जय मंत्र के तीन लाख जप पूरे होने पर सभी मनचाही सुख-सुविधा और वस्तुएं मिल जाती है।

- महामृत्युञ्जय मंत्र चार लाख जप पूरे होने पर भगवान शिव सपनों में दर्शन देते हैं।

- पांच लाख महामृत्युंजय मंत्र जप पूरे होते ही भगवान शिव फौरन ही भक्त के सामने प्रकट हो जाते हैं।

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