Sunday 12 May 2013

13.05.13


 दीवार को उधेड़ रहा तो उसने
देखा कि वहां दीवार में एक
छिपकली फंसी हुई थी।
छिपकली के एक पैरमें कील
ठुकी हुईथी। उसने यह देखा और उसे छिपकली पर रहम आया। उसने
इस मामले में उत्सुकता दिखाई
और गौर से उस छिपकली के पैर में
ठुकी कील को देखा। अरे यह
क्या! यह तो वही कील है जो दस
साल पहले मकान बनाते वक्त ठोकी गई थी। यह क्या !!!!
क्यायह छिपकली पिछले दस
सालों से इसी हालत से दो चार
है? दीवार के अंधेरे हिस्से में
बिना हिले-डुले पिछले दस
सालों से!! यह नामुमकिन है। मेरा दिमाग
इसको गवारा नहीं कर रहा। उसे
हैरत हुई।यह छिपकली पिछले दस
सालों से आखिरजिंदा कैसे है!!!
बिना एक कदम हिले-डुले
जबकि इसके पैर में कील ठुकी है! उसने अपना काम रोक दिया और
उस छिपकली को गौर से देखने
लगा। आखिर यह अब तक कैसे रह
पाई औरक्या और किस तरह
की खुराक इसे अब तक मिल पाई।
इस बीच एक दूसरी छिपकली ना जाने
कहां से वहां आई जिसके मुंह में
खुराक थी।
अरे!!!!! यह देखकर वह अंदर तक हिल
गया। यह दूसरी छिपकली पिछले
दस सालों से इस फंसी हुई छिपकली को खिलाती रही।
जरा गौर कीजिए वह
दूसरी छिपकली बिना थके और
अपने साथी की उम्मीद छोड़े
बिना लगातार दस साल से उसे
खिलाती रही।आप अपने गिरेबां में झांकिए क्या आप
अपने जीवनसाथी के लिए

ऐसी कोशिश कर सकते हैं?
सोचिए क्या तुम अपनी मां के
लिए ऐसा कर सकते हो जो तुम्हें
नौ माह तक परेशानीपर परेशानी उठाते हुए अपनी कोख
में लिए-लिए फिरती है?
और कम से कम अपने पिता के लिए,
अपने भाई- बहिनों के लिए
या फिर अपने दोस्त के लिए?

गौर और फिक्र कीजिए अगर एक छोटा सा जीव ऐसा कर
सकता है तो वह जीव
क्यों नहीं जिसको ईश्वर ने सबसे
ज्यादा अक्लमंद बनाया है..

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