Sunday 5 May 2013

06.05.13


एक किसान को गाँव
के साहूकार से कुछ धन उधार लेना पड़ा।
बूढा साहूकार बहुत चालाक
और धूर्त था, उसकी नज़र किसान
की खूबसूरत बेटी पर थी।
अतः उसने किसान से एक सौदा करने
का प्रस्ताव रखा। उसने
कहा कि अगर
किसान अपनी बेटी की शादी साहूकार
से कर दे
तो वो उसका सारा कर्ज माफ़
कर देगा। किसान और उसकी बेटी,
साहूकार के इस प्रस्ताव से कंपकंपा उठे।
तब साहूकार ने उनसे कहा कि ठीक
है,अब ईश्वर को ही यह
मामला तय करने देते हैं। उसने
कहा कि वो दो पत्थर
उठाएगा,एक काला और एक सफ़ेद, और
उन्हें एक खाली थैले में
डाल देगा। फिर किसान
की बेटी को उसमें से एक पत्थर
उठाना होगा-
१-अगर
वो काला पत्थर उठाती है
तो वो मेरी पत्नी बन
जायेगी और किसान का सारा कर्ज
माफ़ हो जाएगा ,
२-अगर वो सफ़ेद पत्थर उठाती है
तो उसे साहूकार से शादी करने
की जरूरत नहीं रहेगी और फिर
भी किसान का कर्ज माफ़ कर
दिया जाएगा,
३-पर अगर वो पत्थर उठाने से
मना करती है तो किसान को जेल में
डाल दिया जाएगा।
वो लोग किसान के खेत में एक
पत्थरों से भरी पगडण्डी पर
खड़े थे, जैसे ही वो बात कर रहे थे,
साहूकार ने नीचे झुक कर
दो पत्थर उठा लिये, जैसे ही उसने
पत्थर उठाये, चतुर बेटी ने
देख लिया कि उसने दोनों ही काले
पत्थर उठाये हैं और उन्हें
थैले में डाल दिया। फिर साहूकार ने
किसान की बेटी को थैले में से एक
पत्थर
उठाने के लिये कहा। अब किसान
की बेटी के लिये
बड़ी मुश्किल हो गयी, अगर
वो मना करती है तो उसके
पिता को जेल में डाल दिया जाएगा,
और अगर पत्थर उठाती है
तो उसे साहूकार से
शादी करनी पड़ेगी।
किसान की बेटी बहुत समझदार थी,
उसने थैले में हाथ डाला और एक पत्थर
निकाला, उसे देखे बिना ही घबराहट
में पत्थरों से
भरी पगडण्डी पर नीचे गिरा दिया,
जहां वो गिरते ही अन्य
पत्थरों के बीच गुम हो गया।
"हाय, मैं भी कैसी अनाड़ी हूँ", उसने
कहा, " किन्तु कोई बात
नहीं, अगर आप थैले में दूसरा पत्थर देखेंगे
तो पता चल
जाएगा कि मैंने कौनसा पत्थर
उठाया था।" क्योंकि थैले में
अभी दूसरा पत्थर है, किसान की बेटी
जानती थी कि थैली से केवल काला
पत्थर निकलेगा और यही
माना जायेगा कि उसने सफ़ेद
पत्थर उठाया था और
साहूकार भी अपनी बेईमानी को स्वीकार
नहीं कर पाता इस तरह होशियार किसान
की बेटी ने असंभव को संभव
कर दिखाया।

"बड़ी से बड़ी समस्या का भी हल होता है, बस
हम उसे हल करने का कदम नहीं उठाते"

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