Thursday, 2 May 2013

03.05.13


बड़ी मेहनत और लगन से पढ़ा था वो, जब उसके दोस्त और साथी मंहगे मंहगे टूशन पढ़ते थे, वो अपने पड़ोस के बच्चों को पढाया करता था, ताकि अपने स्कूल की फीस और किताबों का खर्च उठा सके..शायद ही वो सिनेमा देखने गया हो, और अच्छे कपडे ना होने की वजह से वो ज्यादा पार्टियों में भी नहीं जाता था..उसकी मुस्कराहट एक गंभीरता सी ओढ़े रहती थी, शायद उसकी उम्र कहती थी की हंस खेल ले, लेकिन परिवार की गरीबी दूर करने का बोझ उसे गंभीर बनाए रहता था.
खैर 78% के साथ उसने 12vi पास की और फर्स्ट एटेम्पट में Btech में एडमिशन भी हो गया.
फीस के लिए भारी भरकम बैंकलोन के तले भविष्य की खुशियों के लिए वर्तमान की खुशियों को नज़रंदाज़ करता हुआ, अपने दोस्तों को पढ़ता हुआ, मेहनत करता हुआ वो चला जा रहा था..आज उसके कॉलेज में प्लेसमेंट डे था..अच्छा एकेडमिक रिकॉर्ड रहा था उसका..सबको उम्मीद है की आज उसकी नौकरी लग जायेगी, पिताजी मन ही मन खुश हैं, और हर आहट के साथ दरवाजे की ओर देख रहे हैं, माँ ने आज उसके पसंद का हलवा बनाया है, उधर वो खड़ा है आंसुओं में, जिन्दगी के दोराहे पे, अपने मार्कशीट ओर सर्टिफिकेट लिए, बेरोजगार, बैंक के लोन तले, क्यूंकि इंटरव्यू लेने वाले ने बताया उसे इंजिनियर बनने के लिए इंजीनियरिंग तो आती थी, लेकिन नौकरी करने लायक अंग्रेजी नहीं..उसके चेहरे पे गंभीरता तो वही है, लेकिन फीकी सी ख़ुशी आज गायब है..शायद सपने टूटने से हौसले नहीं टूटा करते.


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