Sunday, 25 August 2013

26.08.13


ओ शंकर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे
जीवन पथ पर, शाम सवेरे छाए है घनघोर अंधेरे
ओ शंकर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे
जय भोले जय भंडारी, तेरी है महिमा नयारी,
तेरी मोहिनी मूरत लगेहै प्यारी।

कण कण में है तेरा वासप्रभु, है तीनो लोक में तू ही तू।
जल में है, थल में है, नभ में है, पवन में है, तेरी छवि समाई,
डमरू की धुन में है, झूमे है श्रृष्टि, महिमा यह कैसी रचाई।
ओ शंकर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे
जीवन पथ पर, शाम सवेरे छाए है घनघोर अंधेरे
ओ शंकर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे
जय भोले जय भंडारी, तेरी है महिमा नयारी,
तेरी मोहिनी मूरत लगेहै प्यारी।

कण कण में है तेरा वासप्रभु, है तीनो लोक में तू ही तू।
जल में है, थल में है, नभ में है, पवन में है, तेरी छवि समाई,
डमरू की धुन में है, झूमे है श्रृष्टि, महिमा यह कैसी रचाई।
ओ शंकर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे
जीवन पथ पर, शाम सवेरे छाए है घनघोर अंधेरे
ओ शंकर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे
जय भोले जय भंडारी, तेरी है महिमा नयारी,
तेरी मोहिनी मूरत लगेहै प्यारी।

कण कण में है तेरा वासप्रभु, है तीनो लोक में तू ही तू।
जल में है, थल में है, नभ में है, पवन में है, तेरी छवि समाई,
डमरू की धुन में है, झूमे है श्रृष्टि, महिमा यह कैसी रचाई।

No comments:

Post a Comment