Thursday, 8 August 2013

09.08.13


एक बेटा विदेश में धन कमाने गया, वहां से उसने माँ को अपनी दिनचर्या बताई...
सुबह उठकर घर की साफ़ सफाई,
फिर स्नान,
फिर पूजा पाठ,
फिर नाश्ता बनाना,
फिर घर के सभी दरवाजे अच्छे से बंद करके घर को सुरक्षित करके काम पर जाना,
आते समय सब्जी भाजी की खरीदारी,
घर आकर खाना बनाना,
खाकर बर्तन वगरे साफ़ करना...
फिर प्रभु का नाम लेकर सो जाना...
माँ ने पुछा: बेटा घर के बाथरूम भी तुम साफ़ करते हो..?
बेटे ने कहाँ- हाँ माँ,
माँ ने पुछा- बेटा झाड़ू-पोंछा, बाजार हाट भी सब तुम्ही को करना पड़ता हैं..?
बेटे ने कहाँ - हाँ माँ.,
माँ ने पूछा - बेटा घर की सुरक्षा, हिसाब किताब, फिर पूजा पाठ भी सब तू करता हैं..?
बेटे ने कहाँ- हाँ माँ..
सबकुछ मैं ही करता हूँ...

माँ ने कहा "बेटा तू तो अब"इंसान" हो गया रे,"
बेटे ने आश्चर्य से पूछा --"इंसान" बन गया मतलब...?
माँ ने कहा -- तू चारों वर्णों के काम बिना किसी संकोच के स्वयं करता हैं..
पंडित का भी..
शुद्र का भी..
वैश्य का भी
और क्षत्रिय के समान घर की रक्षा का काम भी तू ही करता हैं.

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