Monday 22 July 2013

23.07.13


एक भिखारी भूख – प्यास से त्रस्त होकर
आत्महत्या की योजना बना रहा था , तभी वहां सेएक
नेत्रहीन महात्मा गुजरे | भिखारी ने उन्हें अपने मन
की व्यथा सुनाई और कहा , ” मैं अपनी गरीबी से तंग
आकर आत्महत्या करना चाहता हूँ |” उसकी बात सुन
महात्मा हँसे और बोले , “ठीक है,
आत्महत्या करो लेकिन पहले अपनी एक आंख मुझे दे
दो | मैं तुम्हे एक हज़ार अशरफिया दूंगा | ”
भिखारी चोंका | उसने कहा , “आप कैसी बात करते हैं
| मैं आंख कैसे देसकता हूँ |”
महात्मा बोले, “आंख न सही , एक हाथ ही दे दो , मैं
तुम्हे एक हज़ार अशरफिया दूंगा | ” भिखारी असमंजस
में पड़ गया | महात्मा मुस्कराते हुए बोले, संसार में
सबसे बड़ा धन निरोगी काया है | तुम्हारे हाथ-पाव
ठीक है, शारीर स्वस्थ है, तुमसे बड़ा धनी और कौन
हो सकता है | तुमसे गरीब तो में हूँ कि मेरी आँखें
नहीं हैं मगर में तो कभी आत्महत्या के बारे में
नहीं सोचता | भिखारी ने उनसे छमा मांगी और संकल्प
किया कि वह कोई काम करके जीवन-यापन करेगा

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