20-10-13
नमस्कार मित्रो आप का दिन शुभ हो.
-----''''बुद्धिमान और मूर्ख व्यक्ति''''----- '' ( आचार्य चाणक्य के अनुसार)
आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी बुद्धिमान और मूर्ख व्यक्ति के सम्बन्ध में
यह कहना है कि मुर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि
एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना उपयोगी है ! जिस प्रकार किसी अंधे व्यक्ति के
लिए आईना व्यर्थ है ! ठीक इसी प्रकार किसी भी मूर्ख व्यक्ति के लिए
किताबें या ज्ञान की बात भी फिजूल ही है ! क्योंकि मूर्ख व्यक्ति ज्ञान की
बातों पर भी तर्क-वितर्क करते हैं और उन्हें समझ नहीं पाते !
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति अक्सर कुतर्क में ही समय नष्ट
करते रहते हैं जबकि बुद्धिमान व्यक्ति ज्ञान को ग्रहण कर उसे अपने जीवन में
उतार लेते हैं ! ऐसे में बुद्धिमान लोग तो जीवन में कुछ उल्लेखनीय कार्य
कर लेते हैं लेकिन मूर्ख व्यक्ति का जीवन कुतर्क करने में ही निकल जाता है !
''मूर्ख व्यक्ति को कोई भी समझा नहीं सकता है !''
अत: बेहतर यही होता है कि उनसे बहस न की जाए, ना ही उन्हें समझाने का प्रयास किया जाए !
किसी भी मूर्ख व्यक्ति के सामने ज्ञान की किताबों का ढेर लगा देने से भी
वह उनसे कुछ भी ग्रहण नहीं कर पाएगा। उनके लिए किताबें मूल्यहीन ही है और
किताबों में लिखी ज्ञान की बातें फिजूल है। अत: किसी भी मूर्ख व्यक्ति को
समझाने में अपना समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए।
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