Friday, 4 October 2013

05-10-13


नवरात्र विशेष: पहले दिन कीजिये मां शैलपुत्री की पूजा

आज से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे हैं। भक्तजन इस अवसर पर माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। अतः इसे नवरात्र के नाम भी जाना जाता है। देवी के नौ रूप क्रमशः इस प्रकार हैं- प्रथम-शैलपुत्री, दूसरी-ब्रह्मचारिणी, तीसरी-चन्द्रघंटा, चौथी-कुष्मांडा, पाँचवीं-स्कंधमाता, छठी-कात्यायनी, सातवीं-कालरात्रि, आठवीं-महागौरी, नौवीं-सिद्धिदात्री। नवरात्रि में देवी के इन्हीं नौ रूपों की पूजा का महात्म्य है ।

आज नवरात्र का प्रथम दिन है इसलिए आज के दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है इसलिए इन्हें ही प्रथम दुर्गा कहा जाता है।
पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। मां शैलपुत्री की आराधना के लिए भक्तों को विशेष मंत्र का जाप करना चाहिए ताकि वह मां का आर्शीवाद प्राप्त कर सकें।

यह मंत्र है वन्दे वांछितलाभाय चंद्राद्र्धकृतशेखराम। वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम।।

नवरात्र के पहले ही दिन भक्त घरों में कलश की स्थापना करते हैं जिसकी पूरे नौ दिनों तक पूजा की जाती है। मां का यह अद्भुत रूप है। दाहिने हाथ में त्रिशूल व बांए हाथ में कमल का फूल लिए मां अपने पुत्रों को आर्शीवाद देने आती है। श्वेत व दिव्य रूप में मां वृषभ पर बैठी है। कहते हैं सच्चे मन से मां से जो भी मांगो वो जरूर पूरा होता है। शैल पुत्री का रूप काफी मोहक और प्रभावशाली है इसलिए आज जातक को मन से मां की पूजा करनी चाहिए जिसके चलते उस पर आने वाले हर संकट को मां उससे दूर कर देंगी।

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