Sunday, 24 March 2013

25.03.13


भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंग

 सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥2॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रात: पठेन्नर:।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥4॥

भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंग है। सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्रीसोमनाथ, श्रीशैल पर श्रीमल्लिकार्जुन, उज्जयिनी (उज्जैन) में श्रीमहाकाल, ॐकारेश्वर अथवा अमलेश्वर, परली में वैद्यनाथ, डाकिनी नामक स्थान में श्रीभीमशङ्कर, सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, दारुकावन में श्रीनागेश्वर, वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ, गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर, हिमालय पर केदारखंड में श्रीकेदारनाथ और शिवालय में श्रीघुश्मेश्वर। हिंदुओं में मान्यता है कि जो मनुष्य प्रतिदिन प्रात:काल और संध्या के समय इन बारह ज्योतिर्लिङ्गों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों का किया हुआ पाप इन लिंगों के स्मरण मात्र से मिट जाता है।

१. सोमनाथ प्रभास पाटन, सौराष्ट्र गुजरात - श्री सोमनाथ सौराष्ट्र, (गुजरात) के प्रभास क्षेत्र में विराजमान है। इस प्रसिद्ध मंदिर को अतीत में छह बार ध्वस्त एवं निर्मित किया गया है। १०२२ ई में इसकी समृद्धि को महमूद गजनवी के हमले से सार्वाधिक नुकसान पहुँचा था।


२. मल्लिकार्जुन कुर्नूल ,आन्ध्र प्रदेश - प्रांत के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तटपर श्रीशैल पर्वत पर श्रीमल्लिकार्जुन विराजमान हैं। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं।

३. महाकालेश्र्वर महाकाल, उज्जैन, मध्य प्रदेश -श्री महाकालेश्र्वर (मध्यप्रदेश) के मालवा क्षेत्र में क्षिप्रा नदी के तटपर पवित्र उज्जैन नगर में विराजमान है। उज्जैन को प्राचीनकाल में अवंतिकापुरी कहते थे।

४. कारेश्र्वर मध्य प्रदेश -नर्मदा नदी में एक द्वीप पर मालवा क्षेत्र में श्रीकारेश्र्वर स्थान नर्मदा नदी के बीच स्थित द्वीप पर है। उज्जैन से खण्डवा जाने वाली रेलवे लाइन पर मोरटक्का नामक स्टेशन है, वहां से यह स्थान १० मील दूर है। यहां कारेश्र्वर और मामलेश्र्वर दो पृथक-पृथक लिंग हैं, परन्तु ये एक ही लिंग के दो स्वरूप हैं। श्रीकारेश्र्वर लिंग को स्वयंभू समझा जाता है।

५. केदारनाथ केदारनाथ उत्तराखंड - श्री केदारनाथ हिमालय के केदार नामक श्रिंग पर स्थित हैं। शिखर के पूर्व की ओर अलकनन्दा के तट पर श्री बदरीनाथ अवस्थित हैं और पश्चिम में मन्दाकिनी के किनारे श्री केदारनाथ हैं। यह स्थान हरिद्वार से १५० मील और ऋषिकेश से १३२ मील दूर उत्तरांचल राज्य में है।

६. भीमाशंकर भीमाशंकर महाराष्ट्र- श्री भीमशंकर का स्थान मुंबई से पूर्व और पूना से उत्तर भीमा नदी के किनारे सह्याद्रि पर्वत पर है। यह स्थान नासिक से लगग १२० मील दूर है। सह्याद्रि पर्वत के एक शिखर का नाम डाकिनी है। शिवपुराण की एक कथा के आधार पर भीमशंकर ज्योतिर्लिग को असम के कामरूप जिले में गुवाहाटी के पास ब्रह्मपुर पहाड़ी पर स्थित बतलाया जाता है। कुछ लोग मानते हैं कि नैनीताल जिले के काशीपुर नामक स्थान में स्थित विशाल शिवमंदिर भीमशंकर का स्थान है। भ

७. काशी विश्र्वनाथ वाराणसी उत्तर प्रदेश -वाराणसी (उत्तर प्रदेश) स्थित काशी के श्रीविश्र्वनाथजी सबसे प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में एक हैं। गंगा तट स्थित काशी विश्र्वनाथ शिवलिंग दर्शन हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र है।

८. त्रयम्बकेश्र्वर त्रयम्बकेश्र्वर, (निकट नासिक) महाराष्ट्र - श्री त्र्यम्बकेश्र्वर ज्योतिर्लिग महाराष्ट्र प्रांत के नासिक जिले में पंचवटी से १८ मील की दूरी पर ब्रह्मगिरि के निकट गोदावरी के किनारे है। इस स्थान पर पवित्र गोदावरी नदी का उद्‌गम भी है।

९. वैद्यनाथ, जिला देवघर झारखंड -शिवपुराण में "वैद्यनाथं चिताभूमौ" ऐसा पाठ है, इसके अनुसार (झारखंड) राज्य के संथाल परगना क्षेत्र में जसीडीह स्टेशन के पास देवघर (वैद्यनाथधाम) नामक स्थान पर श्रीवैद्यनाथ ज्योतिर्लिग सिद्ध होता है, क्योंकि यही चिताभूमि है। महाराष्ट्र में पासे परभनी नामक जंक्शन है, वहां से परली तक एक ब्रांच लाइन गयी है, इस परली स्टेशन से थोडी दूर पर परली ग्राम के निकट श्रीवैद्यनाथ को भी ज्योतिर्लिग माना जाता है। परंपरा और पौराणिक कथाओं से देवघर स्थित श्रीवैद्यनाथ ज्योतिर्लिग को ही प्रमाणिक मान्यता है।

१०. नागेश्र्वर दारुकावन,द्वारका गुजरात -श्रीनागेश्र्वर ज्योतिर्ल‌ग बडोदा क्षेत्रांतर्गत गोमती द्वारका से ईशानकोण में बारह-तेरह मील की दूरी पर है। निजाम हैदराबाद राज्य के अन्तर्गत औढा ग्राम में स्थित शिवलि‌ग को ही कोई-कोई नागेश्र्वर ज्योतिर्लि‌ग मानते हैं। कुछ लोगों के मत से अल्मोड़ा से १७ मील उत्तर-पूर्व में यागेश (जागेश्र्वर) शिवलिग ही नागेश ज्योतिर्लि‌ग है।

११. रामेश्र्वर , रामेश्र्वरम तमिलनाडु - श्रीरामेश्र्वर तीर्थ तमिलनाडु प्रांत के रामनाड जिले में है। यहाँ लंका विजय के पश्र्चात भगवान श्रीराम ने अपने अराध्यदेव शंकर की पूजा की थी। ज्योतिर्लिंग को श्रीरामेश्र्वर या श्रीरामलिंगेश्र्वर के नाम से जाना जाता है।

१२. घृष्णेश्र्वर , निकट एल्लोरा, औरंगाबाद जिला महाराष्ट्र - श्रीघुश्मेश्र्वर (गिरीश्र्नेश्र्वर) ज्योतिर्लिंग को घुसृणेश्र्वर या घृष्णेश्र्वर भी कहते हैं। इनका स्थान महाराष्ट्र प्रांत में दौलताबाद स्टेशन से बारह मील दूर बेरूल गांव के पास है।
............................................. जय महारुद्र !!!
 

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