Jai sri Krishna.
सकारात्मक सोच
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पुराने जमाने की बात है। ग्रीस देश के स्पार्टा राज्य में पिडार्टस नाम का एक नौजवान रहता था। वह पढ़-लिखकर बड़ा विद्वान बन गया था।
एक बार उसे पता चला कि राज्य में तीन सौ जगहें खाली हैं। वह नौकरी की तलाश में था ही, इसलिए उसने तुरन्त अर्जी भेज दी।
लेकिन जब नतीजा निकला तो मालूम पड़ा कि पिडार्टस को नौकरी के लिए नहीं चुना गया था।
जब उसके मित्रों को इसका पता लगा तो उन्होंने सोचा कि इससे पिडार्टस बहुत दुखी हो गया होगा, इसलिए वे सब मिलकर उसे आश्वासन देने उसके घर पहुंचे।
पिडार्टस ने मित्रों की बात सुनी और हंसते-हंसते कहने लगा, “मित्रों, इसमें दुखी होने की क्या बात है? मुझे तो यह जानकर आनन्द हुआ है कि अपने राज्य में मुझसे अधिक योग्यता वाले तीन सौ मनुष्य हैं।”
मित्रो, अगर ऐसा ही हमारे साथ हो तो क्या हमारी सोच भी यही होती है जो पिडार्टस की थी या कुछ और ? कोई हमारा जबाब पूछे तो शायद हम कुछ ये कहते हैं :
वहां पर तो सोर्स और रिश्वत चल रही थी। मैंने भी सोर्स तो बहुत लगायी थी पर काम नहीं हुआ। बहुत से लोग तो नौकरी का इंटरव्यू देने से पहले जुगाड़ ढूढ़ते हैं। अपनी योग्यता पर भरोसा रहना चाहिए। एक मौका गया तो दूसरा मिलेगा। सदैव आशावान रहना चाहिए।
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