17-09-13
एक अमीर आदमी था। उसने समुद्र मेँ अकेले घूमने के लिए एक नाव बनवाई।
छुट्टी के दिन वह नाव लेकर समुद्र की सेर करने निकला।
आधे समुद्र तक पहुंचा ही था कि अचानक एक जोरदार तुफान आया।
उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहस हो गई लेकिन वह लाईफ जैकेट की मदद से समुद्र
मेँ कूद गया। जब तूफान शांत हुआ तब वह तैरता ततैरता एक टापू पर
पहुंचा लेकिन वहाँ भी कोई नही था। टापू के चारो और समुद्र के अलावा कुछ
भी नजर नही आ रहा था।
उस आदमी ने सोचा कि जब मैंने पूरी जिदंगी मेँ किसी का कभी भी बुरा नही किया तो मे साथ ऐसा क्यूँ हुआ..?
उस आदमी को लगा कि भगवान ने मौत से बचाया तो आगे का रास्ता भी भगवान ही
बताएगा। धीरे धीरे वह वहाँ पर उगे झाड-पत्ते खाकर दिन बिताने लगा।
अब धीरे-धीरे उसकी श्रध्दा टूटने लगी, भगवान पर से उसका विश्वास उठ गया।
उसको लगा कि इस दुनिया मेँ भगवान है ही नही।
फिर उसने सोचा कि अब पूरी जिंदगी यही इस टापू पर ही बितानी है तो क्यूँ ना एक झोपडी बना लूँ ......?
फिर उसने झाड की डालियो और पत्तो से एक छोटी सी झोपडी बनाई।
उसने मन ही मन कहा कि आज से झोपडी मेँ सोने को मिलेगा आज से बाहर
नही सोना पडेगा।
रात हुई ही थी कि अचानक मौसम बदला बिजलियाँ जोर जोर से कड़कने लगी.!
तभी अचानक एक बिजली उस झोपडी पर आ गिरी और झोपडी धधकते हुए जलने लगी। यह
देखकर वह आदमी टूट गया आसमान की तरफ देखकर बोला तू भगवान नही, राक्षस है।
तुझमे दया जैसा कुछ है ही नही तू बहुत क्रूर है। वह व्यक्ति हताश होकर सर पर हाथ रखकर रो रहा था। कि अचानक एक नाव टापू के पास आई।
नाव से उतरकर दो आदमी बाहर आये और बोले कि हम तुमे बचाने आये हैं।
दूर से इस वीरान टापू मे जलता हुआ झोपडा देखा तो लगा कि कोई उस टापू
पर मुसीबत मेँ है। अगर तुम अपनी झोपडी नही जलाते तो हमे पता नही चलता कि टापू पर कोई है।
उस आदमी की आँखो से आँसू गिरने लगे। उसने ईश्वर से माफी माँगी और बोला कि
मुझे क्या पता कि आपने मुझे बचाने के लिए मेरी झोपडी जलाई थी।
==========================
moral - दिन चाहे सुख के हों या दुख के, भगवान अपने भक्तों के साथ हमेशा रहते हैं।
No comments:
Post a Comment