Tuesday, 10 September 2013

11-09-13


बहुत समय पहले की बात है। देवताओं ने एक व्यक्त्ति की प्रार्थनाओं से परेशान होकर मुख्य देवता से कहा,” देव, यह व्यक्त्ति बिल्कुल भी वर देने योग्य नहीं है परंतु यह लगातार प्रार्थना कर रहा है सो अब इसे टाला भी नहीं जा सकता। इसके साथ दिक्कत यह है कि यह वर पाने के बाद उसका दुरुपयोग कर सकता है”।

मुख्य देव ने कुछ देर प्रार्थनारत व्यक्त्ति के बारे में विचारा और कहा,” घबराने की बात नहीं है इसे वर दे दो”।

देवताओं ने उस व्यक्त्ति से कुछ माँगने को कहा।

व्यक्त्ति ने तीन इच्छायें पूरी करने के लिये वर देने की माँग की।

देवताओं ने उसे अंडे जैसे नाजुक तीन गोले दे दिये और कहा,” जब भी तुम्हे अपनी इच्छा की पूर्ती करनी हो, एक गोले को जमीन पर गिराकर फोड़ देना और जो भी चाहो माँग लेना। तुम्हारी इच्छा पूरी हो जायेगी। ध्यान रखना कि एक गोला सिर्फ एक ही बार काम करेगा अतः सोच समझकर ही इन्हे उपयोग में लाना”।

व्यक्त्ति को तो जैसे सारा जहाँ मिल गया वह खुशी और उत्साह से भागता हुआ घर पहुँचा।

वह तुरंत अपने कमरे में जाकर वर माँगना चाहता था। वह कमरे में घुस ही रहा था कि उसका छोटा सा बेटा भागकर आया और उससे लिपट गया। इस अचानक हमले से व्यक्त्ति के हाथों का संतुलन बिगड़ गया और एक गोला नीचे गिर कर फूट गया। उसके क्रोध का ठिकाना न रहा और उसने क्रोधित होकर बेटे को डपटा,”तेरी आँखें नहीं हैं”।

व्यक्त्ति पर यह देखकर गाज गिर गयी कि इतना कहते ही उसके बेटे के चेहरे से दोनों आँखें गायब हो गयीं।

व्यक्त्ति तो जैसे आसमान से गिरा। वह रोने लगा। उसे बाकी दोनों गोले याद आये।

उसने एक और गोला अपने हाथ में लिया और आँखें बंद करके गोला जमीन पर गिराकर फोड़ दिया और माँगा,” मेरे बेटे के चेहरे पर आँखें लग जायें”।

उसने आँखें खोलीं तो यह देखकर वह आश्चर्य और दुख से भर गया कि उसके बेटे के सारे चेहरे पर आँखें ही आँखें लग गयीं थीं और वह विचित्र लग रहा था। अब व्यक्त्ति को माँगने में गलती करने का अहसास होने लगा।

मरता क्या न करता। उसने तीसरा गोला भी फोड़ा और माँगा कि उसके बेटे का चेहरा सामान्य हो जाये और पहले की तरह केवल दो ही आँखें सामान्य तरीके से उसके चेहरे पर रहें।

इस तरह से उसके कमाये गये तीनों वर बेकार हो गये।

पात्रता और वाणी का संयम दोनों बहुत महत्वपूर्ण बातें हैं जीवन में।

पात्रता कमायें और कदापि भी न अनर्गल बोलें न विचारें।

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