13-09-13
एक साधु नदी किनारे, एक धोबी के कपड़े धोने के पत्थर पर खड़े होकर ध्यान कर रहा था।
जब धोबी वहां कपड़े धोने के लिए पहुंचा तो साधु को ध्यानमग्न देखकर वह उसके पत्थर से हटने का रास्ता देखने लगा।
सुबह से दोपहर हो गई, पर साधु नहीं हटा। इस पर धोबी ने साधु से निवेदन
किया कि वे पत्थर से हट जाएं, पर साधु ने उस पर ध्यान नहीं दिया। कुछ देर
बाद फिर उसने कहा, पर साधु ने ध्यान नहीं दिया। इस पर धोबी ने साधु का हाथ
पकड़ा और पत्थर से एक तरफ हटा दिया।
धोबी द्वारा हाथ पकड़े जाने में साधु को अपना अपमान नजर आया और उसने धोबी
को धक्का दे दिया। इस पर धोबी को क्रोध आ गया और उसने भी साधु को उठाकर पटक
दिया।
धोबी के इस जवाबी हमले से घबराकर साधु भगवान से प्रार्थना
करने लगा, "हे भगवान, मैं रोज आपकी पूजा करता हूं, फिर भी आप मुझे इससे
बचाते क्यों नहीं हो ?"
जवाब में साधु ने आकाशवाणी सुनी, "बचाना तो चाहते हैं, पर समझ नहीं आ रहा है कि दोनों में साधु कौन है और धोबी कौन है??"
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