Wednesday, 19 June 2013

20.06.13


वनस्पति जगत में पीपल ही एकमात्र ऐसा वृक्ष है जिसमें कीड़े नहीं लगते हैं। यह वृक्ष सर्वाधिक ऑक्सीजन छोड़ता है जिसे आज विज्ञान ने स्वीकार किया है। भगवान बुद्ध को जिस वृक्ष के नीचे तपस्या करने के बाद ज्ञान प्राप्त हुआ था, वह पीपल का पेड़ ही है और श्रीमद् भागवत गीता के दसवें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने स्पष्ट कहा है कि वृक्षों में श्रेष्ठ पीपल है।
भविष्य पुराण में ही बताया गया है कि शीशम, अर्जुन, जयंती, करवीर, बेल तथा पलाश के वृक्षों को लगाने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और रोपणकर्ता के तीन जन्मों के सभी पाप नष्ट हो जाते है
सौ वृक्षों का रोपण करना ब्रह्मारूप और हजार वृक्षों का रोपण करने वाला विष्णुरूप बन जाता है। अशोक वृक्ष के बारे में लिखा है कि इसके लगाने से शोक नहीं होता। अशोक वृक्ष को घर में लगाने से अन्य अशुभ वृक्षों का दोष समाप्त हो जाता है। बिल्व वृक्ष को श्रीवृक्ष भी कहते हैं। यह वृक्ष अति शुभ माना गया है। इसमें साक्षात लक्ष्मी का वास होता है तथा दीर्घ आयुष्य प्रदान करता है।
इसी प्रकार वटवृक्ष के बारे में भी विस्तार से शास्त्रों में बताया गया है। वृक्षायुर्वेद में बताया गया है कि जो व्यक्ति दो वटवृक्षों का विधिवत रोपण करता है वह मृत्योपरांत शिवलोक को प्राप्त होता है।
भविष्य पुराण में ही बताया गया है कि वटवृक्षमोक्षप्रद, आम्रवृक्ष अभीष्ट कामनाप्रद, सुपारी का वृक्ष सिद्धप्रद, जामुन वृक्ष धनप्रद, बकुल पाप-नाशक, तिनिश बल-बुद्धिप्रद तथा कदम्ब वृक्ष से विपुल लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
आंवले का वृक्ष लगाने से अनेक यज्ञों के सदृशपुण्यफल प्राप्त होता है।
गूलर के पेड़ में गुरुदत्त भगवान का वास माना गया है।
पारिजात के वृक्ष के बारे में तो यह बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण इसे स्वर्ग से लाएथे।
शास्त्रों में बताया गया है कि वृक्षों को काटने वाला गूंगा और अनेक व्याधियों से युक्त होता है। अश्वत्थ (पीपल, वटवृक्ष और श्रीवृक्ष) का छेदन करने वालों को ब्रह्म हत्या का पाप लगता है।
वृक्षों की रक्षा की प्रतिज्ञा लेते है क्या आप सहमत है ...

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