एक गाँव में एक बूढा़ किसान रहता था ।
वह बहुत गरीब था, लेकिन फ़िर भी उसके पडोसी उससे बहुत जलते थे,
क्योंकि उस बूढे के पास एक शानदारसफ़ेद घोडा था ।
अनेक बार वहाँ के राजा ने किसान को उस घोडे को खरीदने के लिये
आकर्षक कीमत देने की पेशकश की थी,
लेकिन हमेशा ही उसने राजा को मना कर दिया था ।
किसान का कहना था, “यह घोडा मात्र एक जानवर नहीं है,
यह मेरा मित्र है, भला मित्र को कोई बेचता है ?”
उस किसान ने बेहद गरीबी के बावजूद घोडे को नहीं बेचा ।
एक दिन सुबह उसने देखा कि घोडा अपने अस्तबल से गायब हो गया था ।
सब गाँव वाले उसके घर एकत्रित हुए और शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा,
‘तुम बहुत मूर्ख हो, हम जानते थे
कि इतना शानदार घोडा एक ना एक दिन चोरी हो जायेगा ।
तुम इतने गरीब हो, भला इतने कीमती घोडे की रखवाली कैसे कर सकते थे ??
अब घोडा चला गया, यह दैवीय श्राप और तुम्हारा दुर्भाग्य है”…
बूढे नेजवाब दिया, ‘कृपया भविष्य की बातना करें,
सिर्फ़ यह कहें कि घोडा अपने अस्तबल में नहीं है,
क्योंकि यही सच है, बाकी की सारी बातें और वचन
आपके अपने स्वघोषित निर्णय हैं,
आपको कैसे मालूम कि यह मेरे लिये दुर्भाग्य है ?
आपको क्या मालूम कि भविष्य में क्या होने वाला है ?..
सारे गाँव वाले खूब हँसे, और उन्होंने सोचा बूढा पागलहो गया है ।
लगभग पन्द्रह दिनों के बाद वह घोडा अचानक वापस आ गया,
वह चोरी नहीं हुआ था, बल्कि जंगल की तरफ़ भाग गया था,
और जब वहवापस आया तो अपने साथा १०-१२ जंगली घोडों को भी ले आया ।
फ़िर सारे गाँव वाले एकत्रित हुए और बोले,, महाशय हमें माफ़ कर दीजिये,
आप ही सही थे.. वह आपका दुर्भाग्य नहीं था, बल्कि सौभाग्य था ।
बूढा फ़िर वही बोला, आप लोग फ़िर गलती कर रहे हैं,
हकीकत सिर्फ़ यही है कि मेरे घोडे के वापस आने से मैं खुश हूँ, बस ।
भीड़ शांत हो गई, लेकिन मन ही मन सभी सोचते रहे
कि यह वाकई बूढे का सौभाग्य है ।
उस बूढे किसान का एक जवान पुत्र था,
उसने सोचा कि मैं इन जंगली घोडों को प्रशिक्षित करूँ ।
एक दिन उसका बेटा घोडों को प्रशिक्षित करते समय गिर गया
और उसके पैर टूट गये । एक बार फ़िर गाँव वाले उसके घर गये और बोले,
भाई तुम सही कहते हो, यह दुर्भाग्य ही था,
तुम्हारा एकमात्र जवान बेटा जो कि बुढापे का सहारा था,
अब विकलांग हो गया… तुम तो अबऔर भी गरीब हो गये हो ।
बूढा बोला, क्या आप लोग वर्तमान में नहीं रह सकते ?
आप लोगों को वास्तविकता देखनी चाहिये, सिर्फ़ एक घटना हुई है
और उसे उसी तरह से देखना चाहिये…।
कुछ महीनों के पश्चात उस देश में युद्ध प्रारम्भ हो गया
और राजा ने सभी नौजवानों को जबरदस्ती सेना में भरती कर लिया,
लोग-बाग बडे निराश हो गये,
उनके पुत्रों के वापस आने की सम्भावनायें क्षीण हो गईं ।
वे फ़िर उस किसान से बोले.. तुम्हारा पुत्र भले विकलांग हो,
लेकिन कम से कम बुढापे में वह तुम्हारे पास ही रहेगा ।
उसकी टाँग का टूटना भी एक सौभाग्य ही रहा…
किसान ने अपना माथा ठोंक लिया और बोला..
आप लोग किसी भी घटना का एक ही अंश ही देखते हैं
और उसे सौभाग्य या दुर्भाग्य से जोडकर भविष्य की बातें करने लगते हैं ।
आप लोगों को समझाना बहुत मुश्किल है ।
..............
अब आप सभी संगत प्रेम से बोलिए
|| जय सियाराम जी ||
वह बहुत गरीब था, लेकिन फ़िर भी उसके पडोसी उससे बहुत जलते थे,
क्योंकि उस बूढे के पास एक शानदारसफ़ेद घोडा था ।
अनेक बार वहाँ के राजा ने किसान को उस घोडे को खरीदने के लिये
आकर्षक कीमत देने की पेशकश की थी,
लेकिन हमेशा ही उसने राजा को मना कर दिया था ।
किसान का कहना था, “यह घोडा मात्र एक जानवर नहीं है,
यह मेरा मित्र है, भला मित्र को कोई बेचता है ?”
उस किसान ने बेहद गरीबी के बावजूद घोडे को नहीं बेचा ।
एक दिन सुबह उसने देखा कि घोडा अपने अस्तबल से गायब हो गया था ।
सब गाँव वाले उसके घर एकत्रित हुए और शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा,
‘तुम बहुत मूर्ख हो, हम जानते थे
कि इतना शानदार घोडा एक ना एक दिन चोरी हो जायेगा ।
तुम इतने गरीब हो, भला इतने कीमती घोडे की रखवाली कैसे कर सकते थे ??
अब घोडा चला गया, यह दैवीय श्राप और तुम्हारा दुर्भाग्य है”…
बूढे नेजवाब दिया, ‘कृपया भविष्य की बातना करें,
सिर्फ़ यह कहें कि घोडा अपने अस्तबल में नहीं है,
क्योंकि यही सच है, बाकी की सारी बातें और वचन
आपके अपने स्वघोषित निर्णय हैं,
आपको कैसे मालूम कि यह मेरे लिये दुर्भाग्य है ?
आपको क्या मालूम कि भविष्य में क्या होने वाला है ?..
सारे गाँव वाले खूब हँसे, और उन्होंने सोचा बूढा पागलहो गया है ।
लगभग पन्द्रह दिनों के बाद वह घोडा अचानक वापस आ गया,
वह चोरी नहीं हुआ था, बल्कि जंगल की तरफ़ भाग गया था,
और जब वहवापस आया तो अपने साथा १०-१२ जंगली घोडों को भी ले आया ।
फ़िर सारे गाँव वाले एकत्रित हुए और बोले,, महाशय हमें माफ़ कर दीजिये,
आप ही सही थे.. वह आपका दुर्भाग्य नहीं था, बल्कि सौभाग्य था ।
बूढा फ़िर वही बोला, आप लोग फ़िर गलती कर रहे हैं,
हकीकत सिर्फ़ यही है कि मेरे घोडे के वापस आने से मैं खुश हूँ, बस ।
भीड़ शांत हो गई, लेकिन मन ही मन सभी सोचते रहे
कि यह वाकई बूढे का सौभाग्य है ।
उस बूढे किसान का एक जवान पुत्र था,
उसने सोचा कि मैं इन जंगली घोडों को प्रशिक्षित करूँ ।
एक दिन उसका बेटा घोडों को प्रशिक्षित करते समय गिर गया
और उसके पैर टूट गये । एक बार फ़िर गाँव वाले उसके घर गये और बोले,
भाई तुम सही कहते हो, यह दुर्भाग्य ही था,
तुम्हारा एकमात्र जवान बेटा जो कि बुढापे का सहारा था,
अब विकलांग हो गया… तुम तो अबऔर भी गरीब हो गये हो ।
बूढा बोला, क्या आप लोग वर्तमान में नहीं रह सकते ?
आप लोगों को वास्तविकता देखनी चाहिये, सिर्फ़ एक घटना हुई है
और उसे उसी तरह से देखना चाहिये…।
कुछ महीनों के पश्चात उस देश में युद्ध प्रारम्भ हो गया
और राजा ने सभी नौजवानों को जबरदस्ती सेना में भरती कर लिया,
लोग-बाग बडे निराश हो गये,
उनके पुत्रों के वापस आने की सम्भावनायें क्षीण हो गईं ।
वे फ़िर उस किसान से बोले.. तुम्हारा पुत्र भले विकलांग हो,
लेकिन कम से कम बुढापे में वह तुम्हारे पास ही रहेगा ।
उसकी टाँग का टूटना भी एक सौभाग्य ही रहा…
किसान ने अपना माथा ठोंक लिया और बोला..
आप लोग किसी भी घटना का एक ही अंश ही देखते हैं
और उसे सौभाग्य या दुर्भाग्य से जोडकर भविष्य की बातें करने लगते हैं ।
आप लोगों को समझाना बहुत मुश्किल है ।
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अब आप सभी संगत प्रेम से बोलिए
|| जय सियाराम जी ||
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