Monday, 1 April 2013

02.04.13


हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन, सुन
लो मेरी पुकार |
पवनसुत विनती बारम्बार ||
अष्ट सिद्धि नव निद्दी के दाता, दुखिओं के
तुम भाग्यविदाता |
सियाराम के काज सवारे, मेरा करो उधार
||
अपरम्पार है शक्ति तुम्हारी, तुम पर रीझे
अवधबिहारी |
भक्ति भाव से ध्याऊं तुम्हे, कर दुखों से पार
||
जपूं निरंतर नाम तिहरा, अब नहीं छोडूं
तेरा द्वारा |
राम भक्त मोहे शरण मे लीजे भाव सागर से
तार |

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