Monday 30 September 2013

01-10-13


!~~**जय जय श्री राधे**~~!!

किसी गांव में मित्र शर्मा नामक एक ब्राह्मण रहता था। एक बार वह अपने यजमान से एक बकरा लेकर अपने घर जा रहा था। रास्ता लंबा और सुनसान था। आगे जाने पर रास्ते में उसे तीन ठग मिले। ब्राह्मण के कंधे पर बकरे को देखकर तीनों ने उसे हथियाने की योजना बनाई।

एक ने ब्राह्मण को रोककर कहा, “पंडित जी यह आप अपने कंधे पर क्या उठा कर ले जा रहे हैं। यह क्या अनर्थ कर रहे हैं? ब्राह्मण होकर कुत्ते को कंधों पर बैठा कर ले जा रहे हैं।”ब्राह्मण ने उसे झिड़कते हुए कहा, “अंधा हो गया है क्या? दिखाई नहीं देता यह बकरा है।”
पहले ठग ने फिर कहा, “खैर मेरा काम आपको बताना था। अगर आपको कुत्ता ही अपने कंधों पर ले जाना है तो मुझे क्या? आप जानें और आपका काम।”

थोड़ी दूर चलने के बाद ब्राह्मण को दूसरा ठग मिला। उसने ब्राह्मण को रोका और कहा, “पंडित जी क्या आपको पता नहीं कि उच्चकुल के लोगों को अपने कंधों पर कुत्ता नहीं लादना चाहिए।” पंडित उसे भी झिड़क कर आगे बढ़ गया।

आगे जाने पर उसे तीसरा ठग मिला। उसने भी ब्राह्मण से उसके कंधे पर कुत्ता ले जाने का कारण पूछा। इस बार ब्राह्मण को विश्वास हो गया कि उसने बकरा नहीं बल्कि कुत्ते को अपने कंधे पर बैठा रखा है। थोड़ी दूर जाकर, उसने बकरे को कंधे से उतार दिया और आगे बढ़ गया।

इधर तीनों ठग ने उस बकरे को मार कर खूब दावत उड़ाई। इसीलिए कहते हैं कि किसी झूठ को बार-बार बोलने से वह सच की तरह लगने लगता है।

राधे राधे जी सभी को....

Sunday 29 September 2013

30-09-13


एक गाँव में एक फकीर आए। वे किसी की भी समस्या दूर कर सकते हैं। सभी लोग जल्दी से जल्दी अपनी समस्या फकीर को बताकर उपाय जानना चाहते थे। नतीजा यह हुआ कि हर कोई बोलने लगा और किसी को कुछ समझ में नहीं आया। अचानक फकीर चिल्लाए. ‘खामोश’। सब चुप हो गए। फकीर ने कहा, “मैं सबकी समस्या दूर कर दूंगा। एक साथ बोलने के बजाय सब लोग एक-एक कागज पर अपनी समस्या लिख लाएं और मुझे दें।

कुछ ही देर में फकीर के सामने कागजों का ढेर लग गया। फकीर ने कागजों को एक टोकरी में रखा और सबसे गोला बनाकर बैठ ने को कहा। गोले के बीच में टोकरी रख दी।
एक आदमी की तरफ इशारा करके कहा, “यहाँ से शुरू करके सब बारी-बारी से आएंगे और एक-एक कागज़ उठा लेंगें।” ध्यान रहे किसी को अपना कागज़ नहीं उठाना है। लोग एक-एक कर आए कागज उठा-उठा कर अपनी-अपनी जगह बैठ गए। फकीर ने कहा,”अब इस कागज़ में लिखी किसी दूसरे की समस्या पढो। अगर चाहो तो मैं तुम्हारी समस्या दूर कर दूँगा पर उसके बदले कागज़ पर लिखी समस्या तुम्हारी हो जाएगी। तुम्हें लगता है कि तुम्हारी समस्या बडी है तो उसे दूर करवाकर कागज़ पर लिखी दूसरे की छोटी-सी समस्या अपना लो। चाहो तो आपस में कागज़ बदल लो। जब तय कर लो कि अपनी समस्या के बदले कौन सी समस्या लोगे तब मेरे पास आ जाना।

लोगों ने जब कागज़ पर लिखी समस्या पढी तो वे घबरा गए। लोग एक दूसरे से कागज़ बदल-बदल कर पढ रहे और बार-बार उन्हें लगता कि उनकी समस्या तो जैसी है वैसी है, पर इस नई समस्या का सामना वे कैसे कर पाएंगे। कुछ देर में हर किसी को समझ में आ गया कि उनकी समस्या जैसी भी है उनके अपने जीवन का हिस्सा है और वे उसी का सामना कर सकते हैं। एक-एक कर के लोग चुपचाप वहाँ से चले गये।

Saturday 28 September 2013

29-09-13


तुलसी न सिर्फ समाज में पूजनीय है, बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी हैं। इसका स्‍वाद भले ही कुछ लोगों को पसंद न आए, लेकिन सेहत के लिए यह बहुत फायदेमंद है। खासतौर पर दिल के लिए इसे अत्‍यंत उपयोगी माना जाता है। तुलसी पित्तनाशक, वातनाशक, कुष्ठरोग निवारक, पसली में दर्द, खून में विकार, कफ और फोड़े-फुन्सियों के उपचार में रामबाण की तरह फायदा करती है।


कड़वी और तीखी तुलसी सांस, कफ और हिचकी को तुरन्त मिटा देती है। उल्‍टी होने, दुर्गन्ध, कुष्ठ, विषनाशक तथा मानसिक पीड़ा को मिटाने में बड़ी कारगर सिद्ध होती है। तुलसी की महत्ता के साक्ष्‍य बारे में कई ऐतिहासिक पुस्‍तकों में वर्णन मिलता है। इसका प्रयोग वैद्यों द्वारा बहुत पहले से होता आया है। मंदिरों में पूजा-अर्चना के पश्चात् गंगाजल में तुलसी के पत्तों को डालकर प्रसाद वितरण किया जाता है। इन सब प्रयोगों के पीछे एक ही संकेत है कि लोग तुलसी का प्रयोग अपनी दैनिक जीवनचर्या में निरन्तर करें तो कई बीमारियों से फायदा होगा।


जहां पर तुलसी के पौधे का आरोपण होगा वहां की वायु भी शुद्ध होगी और विषैले कीटाणु भी प्रभावहीन हो जाते है। यूनानी चिकित्सकों के मतानुसार तुलसी के सेवन से रोगाणु नष्ट होने लगते है। यह एक प्रकार की हृदय में शक्ति भर देने की महाऔषधि है। वायु को परिशोधित करने की शक्ति रखती है। उनकी दृष्टि में इस पौधे में अनेकों तरह के औषधीय गुण विद्यमान रहते है। एलोपैथी चिकित्सा प्रणाली में तो इसे सद्गुण सम्पन्न बताया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि तुलसी में मलेरिया रोग को भगाने की शक्ति विद्यमान है। सर्दी, खांसी, निमोनिया को नष्ट कर देती है।

स्वास्थ्य-संवर्धन की दृष्टि से तुलसी की गंध को अत्यधिक उपयोगी माना जाता है। इसकी पीली पत्तियों में हरे रंग के एक तैलीय पदार्थ की सत्ता समाहित है। हवा में इस औषधि के मिलने से कई कीटाणु समाप्‍त होते हैं। रात्रि को सोते समय यदि तुलसी को कपूर को हाथ-पैरों पर मालिश कर लिया जाए तो मच्छर पास नहीं आयेंगे।


पानी में तुलसी डालकर प्रयोग करने से कई बीमारियां समाप्‍त होती हैं। तुलसी की पत्तियों को मिलकार जल नित्य प्रति सेवन करने से मुखमण्डल का तेज निखर कर आता है। तुलसी का प्रयोग करने से स्मरणशक्ति बढ़ती है। तुलसी में एक विशेष प्रकार का एसिड पाया जाता है जो दुर्गन्ध को भगाता है। भोजन के पश्चात तुलसी की दो-चार पत्तिया चबा लेने से मुंह से दुर्गंध नही आती है।

दमा अथवा तपैदिक के रोगी को तुलसी की लकड़ी अपने पास सदैव रखनी चाहिए। तुलसी की माला पहनने संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा कम होता है। तुलसी विश्व प्रसिद्ध औषधि है और उच्चतम कोटि का रसायन है। तुलसी के प्रयोग से शरीर के सफेद दाग मिटते और सुन्दरता बढ़ती है। क्योंकि इसमें रक्त शोधन क्षमता विद्यमान है। नींबू के रस में तुलसी की पत्तियों का रस मिलाकर चेहरे पर लगाया जाये तो चर्मरोग मिटता है और चेहरा खिलता है।

Friday 27 September 2013

28.-09-13


एक किसान था. उसके खेत में एक पत्थर का एक हिस्सा ज़मीन से ऊपर निकला हुआ था जिससे ठोकर खाकर वह कई बार गिर चुका था और कितनी ही बार उससे टकराकर खेती के औजार भी टूट चुके थे.

रोजाना की तरह आज भी वह सुबह-सुबह खेती करने पहुंचा और इस बार वही हुआ, किसान का हल पत्थर से टकराकर टूट गया. किसान क्रोधित हो उठा, और उसने निश्चय किया कि आज जो भी हो जाए वह इस चट्टान को ज़मीन से निकाल कर इस खेत के बाहर फ़ेंक देगा.

वह तुरंत गाँव से ४-५ लोगों को बुला लाया और सभी को लेकर वह उस पत्त्थर के पास पहुंचा और बोल, ” यह देखो ज़मीन से निकले चट्टान के इस हिस्से ने मेरा बहुत नुक्सान किया है, और आज हम सभी को मिलकर इसे आज उखाड़कर खेत के बाहर फ़ेंक देना है.” और ऐसा कहते ही वह फावड़े से पत्थर के किनार वार करने लगा, पर यह क्या ! अभी उसने एक-दो बार ही मारा था कि पूरा-का पूरा पत्थर ज़मीन से बाहर निकल आया. साथ खड़े लोग भी अचरज में पड़ गए और उन्ही में से एक ने हँसते हुए पूछा , “क्यों भाई , तुम तो कहते थे कि तुम्हारे खेत के बीच में एक बड़ी सी चट्टान दबी हुई है , पर ये तो एक मामूली सा पत्थर निकला ??”

किसान भी आश्चर्य में पड़ गया सालों से जिसे वह एक भारी-भरकम चट्टान समझ रहा था दरअसल वह बस एक छोटा सा पत्थर था ! उसे पछतावा हुआ कि काश उसने पहले ही इसे निकालने का प्रयास किया होता तो ना उसे इतना नुकसान उठाना पड़ता और ना ही दोस्तों के सामने उसका मज़ाक बनता .

हम भी कई बार ज़िन्दगी में आने वाली छोटी-छोटी बाधाओं को बहुत बड़ा समझ लेते हैं और उनसे निपटने की बजाय तकलीफ उठाते रहते हैं. ज़रुरत इस बातकी है कि हम बिना समय गंवाएं उन मुसीबतों से लडें , और जब हम ऐसा करेंगे तो कुछ ही समय में चट्टान सी दिखने वाली समस्या एक छोटे से पत्थर के समान दिखने लगेगी जिसे हम आसानी से हल पाकर आगे बढ़ सकते हैं.

Thursday 26 September 2013

27-09-13


मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं है.

कहते हैं कि आप जैसी भावना मन में लाते हैं या बोलते हैं वैसा करने के लिए सारी कायनात जुट जाती है. जैसा आप चौबीस घंटे सोचते हैं वैसा ही आपके साथ होने भी लगता है. इसलिये कहा गया है कि आपके विचार हमेशा सकारात्मक होना चाहिये.

एक साधु था. वह् गाँव गाँव भ्रमण करता था और एक गाँव में कभी भी एक महीने से ज्यादा नहीं रुकता था. भोजन के लिए वह् गाँव के मात्र पाँच घरों में भि
क्षा के लिए जाता था और जो मिल जाता था उसे खाकर संतुष्ट रहता था. प्रति दिन वह् भिक्षा के लिए घर बदल लेता था और किसी हाल में पाँच घर से ज्यादा नहीं जाता था फिर भिक्षा मिलें या न मिलें.

एक दिन वह् रोज़ की भांति भिक्षा के लिए निकाला. एक घर पर महिला ने भिक्षा न देते हुए साधु को बहुत ही भला बुरा कहा. साधु चुप चाप आगे बड़ गया. यह किस्सा 3-4 दिनों तक चलता रहा. साधु का गाँव छोड़ने का समय आ गया. वह् अन्तिम बार उस महिल के घर भिक्षा माँगने गया. महिला, जो कि साधु से बहुत ही परेशान हो चुकी थी, चिल्ला कर बोली कि उसके पास साधु को देने के लिये कुछ भी नहीं है. इस पर साधु ने कहा कि ,"बहिन तुम एक सम्पन्न परिवार की महिला हो और तुम्हे यह कहना शोभा नहीं देता है कि तुम्हारे पास मुझे देने के लिए कुछ भी नहीं है. हम जो विचार मन में लाते है और बोलते है, कई बार हमारे साथ वैसा ही होने लगता है. अतः तुम्हारा यह कहना कि तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है. ग़लत है." फिर साधु ने जमीन की एक मुट्ठी मिट्ठी उठाई और महिलाको देते हुए कहा , " बहिन ये मिट्ठी तुम्हारे आँगन की है. तुम मुझे यही मिट्ठी भिक्षा में दे दो और आज से भविष्य में कभी भी ये न कहना कि तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है."

Wednesday 25 September 2013

26-.09-13


एक हिन्दू सन्यासी अपने शिष्यों के साथ गंगा नदी के तट पर नहाने पहुंचा. वहां एक ही परिवार के कुछ लोग अचानक आपस में बात करते-करते एक दूसरे पर क्रोधित हो उठे और जोर-जोर से चिल्लाने लगे .

सन्यासी यह देख तुरंत पलटा और अपने शिष्यों से पुछा ;

” क्रोध में लोग एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं ?’

शिष्य कुछ देर सोचते रहे ,एक ने उत्तर दिया, ” क्योंकि हम क्रोध में शांति खो देते हैं इसलिए !”

” पर जब दूसरा व्यक्ति हमारे सामने ही खड़ा है तो भला उस पर चिल्लाने की क्या ज़रुरत है , जो कहना है वो आप धीमी आवाज़ में भी तो कह सकते हैं “, सन्यासी ने पुनः प्रश्न किया .

कुछ और शिष्यों ने भी उत्तर देने का प्रयास किया पर बाकी लोग संतुष्ट नहीं हुए .

अंततः सन्यासी ने समझाया …

“जब दो लोग आपस में नाराज होते हैं तो उनके दिल एक दूसरे से बहुत दूर हो जाते हैं . और इस अवस्था में वे एक दूसरे को बिना चिल्लाये नहीं सुन सकते ….वे जितना अधिक क्रोधित होंगे उनके बीच की दूरी उतनी ही अधिक हो जाएगी और उन्हें उतनी ही तेजी से चिल्लाना पड़ेगा.

क्या होता है जब दो लोग प्रेम में होते हैं ? तब वे चिल्लाते नहीं बल्कि धीरे-धीरे बात करते हैं , क्योंकि उनके दिल करीब होते हैं , उनके बीच की दूरी नाम मात्र की रह जाती है.”

सन्यासी ने बोलना जारी रखा ,” और जब वे एक दूसरे को हद से भी अधिक चाहने लगते हैं तो क्या होता है ? तब वे बोलते भी नहीं , वे सिर्फ एक दूसरे की तरफ देखते हैं और सामने वाले की बात समझ जाते हैं.”

“प्रिय शिष्यों ; जब तुम किसी से बात करो तो ये ध्यान रखो की तुम्हारे ह्रदय आपस में दूर न होने पाएं , तुम ऐसे शब्द मत बोलो जिससे तुम्हारे बीच की दूरी बढे नहीं तो एक समय ऐसा आएगा कि ये दूरी इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि तुम्हे लौटने का रास्ता भी नहीं मिलेगा. इसलिए चर्चा करो, बात करो लेकिन चिल्लाओ मत.

Tuesday 24 September 2013

25-09-13


चाणक्य के 15 अमर वाक्य
1 दूसरों की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी।
2 किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए। सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं।
3 अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे दंश भले ही न दो पर दंश दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए।
4 हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है, यह कड़वा सच है।
5 कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो ---मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा?
6 भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला कर दो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो।
7 दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है।
8 काम का निष्पादन करो, परिणाम से मत डरो।
9 सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है।"
10 ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ।
11 व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं।
12 ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे। समान स्तर के मित्र ही सुखदायक होते हैं।
13 अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो। छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो। सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो। आपकी संतति ही आपकी सबसे अच्छी मित्र है।"
14 अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक समान उपयोगी है।
15 शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है। शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं

Monday 23 September 2013

24-09-13


😴😀 SOMETHING YOU
MIGHT HAVE NOT
KNOWN And NEED
TO KNOW !!

🐜 Ants Problem:
Ants hate Cucumbers.
"KEEP the skin of
Cucumbers near the
Place where they are
or at Ant Hole.

To Get Pure & Clean
Ice :
"Boil Water first
before placing in the
Freezer"

To make the Mirror
Shine:
"Clean with Sprite"

To remove Chewing
Gum from Clothes:
"Keep the Cloth in
the Freezer for One
Hour"

💭 To Whiten White
Clothes:
"Soak White Clothes
in hot water with a
Slice of Lemon for 10
Minutes"

To give a Shine to
your Hair:
"Add one Teaspoon
of Vinegar to Hair,
then wash Hair"

🍋 To get maximum
Juice out of Lemons:
"Soak Lemons in Hot
Water for One Hour,
and then juice them"

To avoid smell of
Cabbage while
cooking:
"Keep a piece of
Bread on the
Cabbage in the
Vessel while cooking"

To avoid Tears while
cutting Onions 🍑:
"Chew Gum"

To boil Potatoes
quickly:
"Skin one Potato
from one side only
before boiling"

To remove Ink from
Clothes:
"Put Toothpaste 🍥
on the Ink Spots
generously and let it
dry completely, then
wash"

🍠 To skin Sweet
Potatoes quickly :
"Soak in Cold Water
immediately after
boiling"

🐀 To get rid of Mice or
Rats:
"Sprinkle Black
Pepper in places
where you find Mice &
Rats. They will run
away"

Take Water Before
Bedtime..
"About 90% of Heart
Attacks occur Early in
the Morning & it can
be reduced if one
takes a Glass or two
of Water before going
to bed at Night"

We Know Water is
important but never
knew about the
Special Times one
has to drink it.. !!

Did you ???

Drinking Water at the
Right Time ⏰
Maximizes its
effectiveness on the
Human Body;

1 Glass of Water
after waking up -
⛅ helps to
activate internal
organs..

1 Glass of Water
30 Minutes 🕧
before a Meal -
helps digestion..

1 Glass of Water
before taking a
Bath 🚿 - helps
lower your blood
pressure.

1 Glass of Water
before going to
Bed - avoids
Stroke or Heart
Attack.

Sunday 22 September 2013

23-09-13


एक दिन किसी निर्माण के दौरान भवन की छटी मंजिल से सुपर वाईजर ने नीचे कार्य करने वाले मजदूर को आवाज दी.
निर्माण कार्य की तेज आवाज के कारण नीचे काम करने वाला मजदूर कुछ समझ नहीं सका की उसका सुपरवाईजर उसे आवाज दे रहा है.
फिर
सुपरवाईजर ने उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए एक १० रु का नोट नीचे फैंका, जो ठीक मजदूर के सामने जा कर गिरा
मजदूर ने नोट उठाया और अपनी जेब मे रख लिया, और फिर अपने काम मे लग गया .
अब उसका ध्यान खींचने के लिए सुपर वाईजर ने पुन: एक ५०० रु का नोट नीचे फैंका .
उस मजदूर ने फिर वही किया और नोट जेब मे रख कर अपने काम मे लग गया .
ये देख अब सुपर वाईजरने एक छोटा सा पत्थर का टुकड़ा लिया और मजदूर के उपर फैंका जो सीधा मजदूर के सिर पर लगा. अब मजदूर ने ऊपर देखा और उसकी सुपर वाईजर से बात चालू हो गयी.
ये वैसा ही है जो हमारी जिन्दगी मे होता है.....
भगवान् हमसे संपर्क करना ,मिलना चाहता है, लेकिन हम दुनियादारी के कामो मे व्यस्त रहते है, अत: भगवान् को याद नहीं करते.
भगवान् हमें छोटी छोटी खुशियों के रूप मे उपहार देता रहता है, लेकिन हम उसे याद नहीं करते, और वो खुशियां और उपहार कहाँ से आये ये ना देखते हुए,उनका उपयोग कर लेते है, और भगवान् को याद नहीं करते.
भगवान् हमें और भी खुशियों रूपी उपहार भेजता है, लेकिन उसे भी हम हमारा भाग्य समझ कर रख लेते है, भगवान् का धन्यवाद नहीं करते ,उसे भूल जाते है.
तब भगवान् हम पर एक छोटा सा पत्थर फैंकते है , जिसे हम कठिनाई कहते है, और तुरंत उसके निराकरण के लिए भगवान् की और देखते है,याद करते है.
यही जिन्दगी मे हो रहा है.
यदि हम हमारी छोटी से छोटी ख़ुशी भी भगवान् के साथ उसका धन्यवाद देते हुए बाँटें, तो हमें भगवान् के द्वारा फैंके हुए पत्थर का इन्तजार ही नहीं करना पड़ेगा...!!!!!

Saturday 21 September 2013

22-09-13


भारत के बारे में 10 आश्चर्यजनक तथ्य:-

1. पेंटियम चिप का आविष्कार 'विनोद धाम' ने किया था। (आज दुनिया के 90% कम्प्युटर इसी से चलते हैं)

2. सबीर भाटिया ने हॉटमेल बनाई। (हॉटमेल दुनिया का न.1 ईमेल प्रोग्राम है)

3. अमेरिका में 38% डॉक्टर भारतीय हैं।

4. अमेरिका में 12% वैज्ञानिक भारतीय हैं।

5. नासा में 36% वैज्ञानिक भारतीय हैं।

6. माइक्रोसॉफ़्ट के 34% कर्मचारी भारतीय हैं।

7. आईबीएम के 28% कर्मचारी भारतीय हैं।

8. इंटेल के 17% वैज्ञानिक भारतीय हैं।

9. ज़िरॉक्स के 13% कर्मचारी भारतीय हैं।

10. प्रसिद्ध खेल 'शतरंज' की खोज भारत में हुई थी।

Friday 20 September 2013

21.09.13


*** सफलता की कुंजी ***

* वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है।
* प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है।
* ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है।
* एकाग्रता से ही विजय मिलती है।
* कीर्ति वीरोचित कार्यो की सुगन्ध है।
* भाग्य साहसी का साथ देता है।
* सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है।
* विवेक बहादुरी का उत्तम अंश है।
* कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही।
* संकल्प ही मनुष्य का बल है।
* प्रचंड वायु मे भी पहाड विचलित नही होते।
* कर्म करने मे ही अधिकार है, फल मे नही।
* मंजिल मिल ही जायेगी भटकते ही सही,
गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं
* मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है।
* अपनी शक्तियो पर भरोसाकरने वाला कभी असफल नही होता।

Thursday 19 September 2013

20-09-13


एक दिन चाणक्य का एक परिचित उनके पास
आया और उत्साह से कहने लगा,
'आप जानते हैं, अभी-अभी मैंने आपके मित्र के बारे
में क्या सुना?'
चाणक्य अपनी तर्क-शक्ति, ज्ञान और व्यवहार-
कुशलता के लिए विख्यात थे।
उन्होंने अपने परिचित से कहा, 'आपकी बात मैं
सुनूं, इसके पहले मैं चाहूंगा कि आप त्रिगुण
परीक्षण से गुजरें।'
उस परिचित ने पूछा, ' यह त्रिगुण परीक्षण
क्या है?'
चाणक्य ने समझाया , 'आप मुझे मेरे मित्र के बारे
में बताएं, इससे पहले अच्छा यह
होगा कि जो कहें,उसे थोड़ा परख लें, थोड़ा छान
लें।
इसीलिए मैं इस प्रक्रिया को त्रिगुण परीक्षण
कहता हूं।
इसकी पहली कसौटी है सत्य।
इस कसौटी के अनुसार जानना जरूरी है
कि जो आप कहने वाले हैं, वह सत्य है।
आप खुद उसके बारे में अच्छी तरह जानते हैं?'
'नहीं,' वह आदमी बोला, 'वास्तव में मैंने इसे
कहीं सुना था।
खुद देखा या अनुभव नहीं किया था।'
'ठीक है,' - चाणक्य ने कहा, 'आपको पता नहीं है
कि यह बात सत्य है या असत्य।
दूसरी कसौटी है -' अच्छाई।
क्या आप मुझे मेरे मित्र की कोई अच्छाई बताने
वाले हैं?'
'नहीं,' उस व्यक्ति ने कहा।
इस पर चाणक्य बोले,'जो आप कहने वाले हैं,वह न
तो सत्य है, न ही अच्छा।
चलिए, तीसरा परीक्षण कर ही डालते हैं ।'
'तीसरी कसौटी है - उपयोगिता।
जो आप कहने वाले हैं, वह क्या मेरे लिए
उपयोगी है?'
'नहीं, ऐसा तो नहीं है।'
सुनकर चाणक्य ने आखिरी बात कह दी। 'आप मुझे
जो बताने वाले हैं, वह न सत्य है, न अच्छा और न
ही उपयोगी, फिर आप मुझे बताना क्यों चाहते
हैं?
जो लोग हमेशा दूसरों की बुराई करके खुश होते
हो।
ऐसे लोगों से दूर ही रहें।
क्योंकि वे कभी भी आपके साथ धोखा कर सकते है।
जो किसी और का ना हुआ
वो भला आपका क्या होगा।

Wednesday 18 September 2013

19.09.13


सफलता के 20 मँत्र
=============
1.खुद की कमाई से कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनाओ..!
2. दिन मेँ कम से कम 3 लोगो की प्रशंशा करो..!
3. खुद की भुल स्वीकार ने मेँ कभी भी संकोच मत करो..!
4. किसी के सपनो पर हँसो मत..!
5. आपके पीछे खडे व्यक्ति को भी कभी कभी आगे जाने का मौका दो..!
6. रोज हो सके तो सुरज को उगता हुए देखे..!
7. खुब जरुरी हो तभी कोई चीज उधार लो..!
8. किसी के पास से कुछ जानना हो तो विवेक से दो बार पुछो..!
9. कर्ज और शत्रु को कभी बडा मत होने दो..!
10. ईश्वर पर पुरा भरोशा रखो..!
11. प्रार्थना करना कभीमत भुलो, प्रार्थना मेँ अपार शक्ति होती है..!
12. अपने काम से मतलब रखो..!
13. समय सबसे ज्यादा किमती है, इसको फालतु कामो मेँ खर्च मत करो..!
14. जो आपके पास है, उसी मेँ खुश रहना सिखो..!
15. बुराई कभी भी किसी कि भी मत करो करो,
क्योकिँ बुराई नाव मेँ छेद समान है, बुराई छोटी हो बडी नाव तो डुबोही देती है..!
16. हमेशा सकारात्मक सोच रखो..!
17. हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता बस उस हुनर को दुनिया के सामने लाओ..!
18. कोई काम छोटा नही होता हर काम बडा होता है जैसे कि सोचो जो काम आप कर रहे हो अगर आप वह काम आप नही करते हो तो दुनिया पर क्या
असर होता..?
19. सफलता उनको ही मिलती है जो कुछकरते है
20. कुछ पाने के लिए कुछ खोना नही बल्कि कुछ करना पडता है||

Tuesday 17 September 2013

18.09.13


बाज की उड़ान


एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया. कुछ दिनों बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था.वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीकी तरह चूँ-चूँ करता. बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता . फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था. तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि-

” इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?”



तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!”

बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की. वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा, और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया.


दोस्तों , हममें से बहुत से लोग उस बाज की तरह ही अपना असली potential जाने बिना एक second-class ज़िन्दगी जीते रहते हैं, हमारे आस-पास की mediocrity हमें भी mediocre बना देती है.हम में ये भूल जाते हैं कि हम आपार संभावनाओं से पूर्ण एक प्राणी हैं. हमारे लिए इस जग में कुछ भी असंभव नहीं है,पर फिर भी बस एक औसत जीवन जी के हम इतने बड़े मौके को गँवा देते हैं.



आप चूजों की तरह मत बनिए , अपने आप पर ,अपनी काबिलियत पर भरोसा कीजिए. आप चाहे जहाँ हों, जिस परिवेश में हों, अपनी क्षमताओं को पहचानिए और आकाश की ऊँचाइयों पर उड़ कर दिखाइए क्योंकि यही आपकी वास्तविकता है.

Monday 16 September 2013

17-09-13


एक अमीर आदमी था। उसने समुद्र मेँ अकेले घूमने के लिए एक नाव बनवाई।
छुट्टी के दिन वह नाव लेकर समुद्र की सेर करने निकला।

आधे समुद्र तक पहुंचा ही था कि अचानक एक जोरदार तुफान आया।
उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहस हो गई लेकिन वह लाईफ जैकेट की मदद से समुद्र मेँ कूद गया। जब तूफान शांत हुआ तब वह तैरता ततैरता एक टापू पर
पहुंचा लेकिन वहाँ भी कोई नही था। टापू के चारो और समुद्र के अलावा कुछ
भी नजर नही आ रहा था।

उस आदमी ने सोचा कि जब मैंने पूरी जिदंगी मेँ किसी का कभी भी बुरा नही किया तो मे साथ ऐसा क्यूँ हुआ..?

उस आदमी को लगा कि भगवान ने मौत से बचाया तो आगे का रास्ता भी भगवान ही बताएगा। धीरे धीरे वह वहाँ पर उगे झाड-पत्ते खाकर दिन बिताने लगा।

अब धीरे-धीरे उसकी श्रध्दा टूटने लगी, भगवान पर से उसका विश्वास उठ गया।

उसको लगा कि इस दुनिया मेँ भगवान है ही नही।
फिर उसने सोचा कि अब पूरी जिंदगी यही इस टापू पर ही बितानी है तो क्यूँ ना एक झोपडी बना लूँ ......?

फिर उसने झाड की डालियो और पत्तो से एक छोटी सी झोपडी बनाई।
उसने मन ही मन कहा कि आज से झोपडी मेँ सोने को मिलेगा आज से बाहर
नही सोना पडेगा।

रात हुई ही थी कि अचानक मौसम बदला बिजलियाँ जोर जोर से कड़कने लगी.!
तभी अचानक एक बिजली उस झोपडी पर आ गिरी और झोपडी धधकते हुए जलने लगी। यह देखकर वह आदमी टूट गया आसमान की तरफ देखकर बोला तू भगवान नही, राक्षस है।

तुझमे दया जैसा कुछ है ही नही तू बहुत क्रूर है। वह व्यक्ति हताश होकर सर पर हाथ रखकर रो रहा था। कि अचानक एक नाव टापू के पास आई।

नाव से उतरकर दो आदमी बाहर आये और बोले कि हम तुमे बचाने आये हैं।
दूर से इस वीरान टापू मे जलता हुआ झोपडा देखा तो लगा कि कोई उस टापू
पर मुसीबत मेँ है। अगर तुम अपनी झोपडी नही जलाते तो हमे पता नही चलता कि टापू पर कोई है।
उस आदमी की आँखो से आँसू गिरने लगे। उसने ईश्वर से माफी माँगी और बोला कि मुझे क्या पता कि आपने मुझे बचाने के लिए मेरी झोपडी जलाई थी।
==========================
moral - दिन चाहे सुख के हों या दुख के, भगवान अपने भक्तों के साथ हमेशा रहते हैं।

Sunday 15 September 2013

16-09-13


===विश्व के कुछ आश्चर्यजनक तथ्य==
1. विश्व मेँ सबसे अधिक बच्चे पैदा करने वाली महिला का नाम रूस की मारिया इसकोवा 42 वर्ष की उम्र मेँ 58 बच्चे (4 बच्चे 3 बार, 3 बच्चे 10 बार और 2 बच्चे 8 बार) ।
2. विश्व का सबसे अमीर देश स्विटजरलैंड है।
3. सऊदी अरब मेँ एक भी नदी नही है।
4. विश्व का सबसे दानी आदमी अमेरिका का राकफेलर है जिसने अपने जीवन मेँ सार्वजनिक हित के लिए 75 अरब रुपए दान मेँ दे दिए।
5. सबसे महँगी वस्तु यूरेनियम है।
6. दक्षिण ऑस्ट्रेलिया की मेँ आयार्स नामक पहाडी प्रतिदिन अपना रंग बदलती है।
7. विश्व मेँ रविवार की छुट्टी 1843 से शुरु हुई थी।
8. सारे संसार मेँ कुल मिलाकर 2792 भाषाएँ बोली जाती है। ...

Saturday 14 September 2013

15-09-13




आपकी ज़िन्दगी बदल सकती हैं!


एक मकड़ी थी. उसने आराम से रहने के लिए एक शानदार जाला बनाने का विचार किया और सोचा की इस जाले मे खूब कीड़ें, मक्खियाँ फसेंगी और मै उसे आहार बनाउंगी और मजे से रहूंगी . उसने कमरे के एक कोने को पसंद किया औरवहाँ जाला बुनना शुरू किया. कुछ देर बाद आधा जाला बुनकर तैयार हो गया. यह देखकर वह मकड़ी काफी खुश हुई कि तभी अचानक उसकी नजर एक बिल्ली पर पड़ी जो उसे देखकर हँस रही थी.


मकड़ी को गुस्सा आ गया और वह बिल्ली से बोली , ” हँस क्यो रही हो?”

”हँसू नही तो क्या करू.” , बिल्ली ने जवाब दिया , ” यहाँ मक्खियाँ नही है ये जगह तो बिलकुल साफ सुथरी है,यहाँ कौन आयेगा तेरे जाले मे.”

ये बात मकड़ी के गले उतर गई. उसने अच्छी सलाह के लिये बिल्ली को धन्यवाद दिया और जाला अधूरा छोड़कर दूसरी जगह तलाश करने लगी. उसने ईधर ऊधर देखा. उसे एक खिड़की नजर आयी और फिर उसमे जाला बुनना शुरू किया कुछ देर तकवह जाला बुनती रही , तभी एक चिड़िया आयी और मकड़ी का मजाक उड़ाते हुए बोली , ” अरे मकड़ी , तू भी कितनी बेवकूफ है.”

“क्यो ?”, मकड़ी ने पूछा.

चिड़िया उसे समझाने लगी , ” अरे यहां तो खिड़की से तेज हवा आती है. यहा तो तू अपने जाले के साथ ही उड़ जायेगी.”

मकड़ी को चिड़िया की बात ठीक लगीँ और वह वहाँ भी जालाअधूरा बना छोड़कर सोचने लगी अब कहाँ जाला बनायाँ जाये. समय काफी बीत चूका था और अब उसे भूख भी लगने लगीथी .अब उसे एक आलमारी का खुला दरवाजा दिखा और उसने उसी मे अपना जाला बुनना शुरू किया. कुछ जाला बुना ही था तभी उसे एक काक्रोच नजर आया जो जाले को अचरज भरे नजरो से देख रहा था.

मकड़ी ने पूछा – ‘इस तरह क्यो देख रहे हो?’

काक्रोच बोला-,” अरे यहाँ कहाँ जाला बुनने चली आयी येतो बेकार की आलमारी है. अभी ये यहाँ पड़ी है कुछ दिनों बाद इसे बेच दिया जायेगा और तुम्हारी सारी मेहनत बेकार चली जायेगी. यह सुन कर मकड़ी ने वहां से हट जाना ही बेहतर समझा .

बार-बार प्रयास करने से वह काफी थक चुकी थी और उसके अंदर जाला बुनने की ताकत ही नही बची थी. भूख की वजह सेवह परेशान थी. उसे पछतावा हो रहा था कि अगर पहले ही जाला बुन लेती तो अच्छा रहता. पर अब वह कुछ नहीं कर सकती थी उसी हालत मे पड़ी रही.

जब मकड़ी को लगा कि अब कुछ नहीं हो सकता है तो उसने पास से गुजर रही चींटी से मदद करने का आग्रह किया .

चींटी बोली, ” मैं बहुत देर से तुम्हे देख रही थी , तुम बार- बार अपना काम शुरू करती और दूसरों के कहने पर उसे अधूरा छोड़ देती . और जो लोग ऐसा करते हैं , उनकी यही हालत होती है.” और ऐसा कहते हुए वह अपने रास्ते चली गई और मकड़ी पछताती हुई निढाल पड़ी रही.

दोस्तों , हमारी ज़िन्दगी मे भी कई बार कुछ ऐसा ही होता है. हम कोई काम start करते है. शुरू -शुरू मे तो हम उस काम के लिये बड़े उत्साहित रहते है पर लोगो के comments की वजह से उत्साह कम होने लगता है और हम अपना काम बीच मे ही छोड़ देते है और जब बाद मे पता चलता है कि हम अपने सफलता के कितने नजदीक थे तो बाद मे पछतावे के अलावा कुछ नही बचता.

Friday 13 September 2013

14-09-13



पेन्सिल की कहानी

एक बालक अपनी दादी मां को एक पत्र लिखते हुए देख रहा था। अचानक उसने अपनी दादी मां से पूंछा,
" दादी मां !" क्या आप मेरी शरारतों के बारे में लिख रही हैं ? आप मेरे बारे में लिख रही हैं, ना "
यह सुनकर उसकी दादी माँ रुकीं और बोलीं , " बेटा मैं लिख तो तुम्हारे बारे में ही रही हूँ, लेकिन जो शब्द मैं यहाँ लिख रही हूँ उनसे भी अधिक महत्व इस पेन्सिल का है जिसे मैं इस्तेमाल कर रही हूँ। मुझे पूरी आशा है कि जब तुम बड़े हो जाओगे तो ठीक इसी पेन्सिल की तरह होगे। "

यह सुनकर वह बालक थोड़ा चौंका और पेन्सिल की ओर ध्यान से देखने लगा, किन्तु उसे कोई विशेष बात
नज़र नहीं आयी। वह बोला, " किन्तु मुझे तो यह पेन्सिल बाकी सभी पेन्सिलों की तरह ही दिखाई दे रही है।"
इस पर दादी माँ ने उत्तर दिया,
" बेटा ! यह इस पर निर्भर करता है कि तुम चीज़ों को किस नज़र से देखते हो। इसमें पांच ऐसे गुण हैं, जिन्हें
यदि तुम अपना लो तो तुम सदा इस संसार में शांतिपूर्वक रह सकते हो। "

" पहला गुण : तुम्हारे भीतर महान से महान उपलब्धियां प्राप्त करने की योग्यता है, किन्तु तुम्हें यह कभी
भूलना नहीं चाहिए कि तुम्हे एक ऐसे हाथ की आवश्यकता है जो निरन्तर तुम्हारा मार्गदर्शन करे। हमारे
लिए वह हाथ ईश्वर का हाथ है जो सदैव हमारा मार्गदर्शन करता रहता है। "

"दूसरा गुण : बेटा ! लिखते, लिखते, लिखते बीच में मुझे रुकना पड़ता है और फ़िर कटर से पेन्सिल की नोक
बनानी पड़ती है। इससे पेन्सिल को थोड़ा कष्ट तो होता है, किन्तु बाद में यह काफ़ी तेज़ हो जाती है और अच्छी
चलती है। इसलिए बेटा ! तुम्हें भी अपने दुखों, अपमान और हार को बर्दाश्त करना आना चाहिए, धैर्य से सहन
करना आना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से तुम एक बेहतर मनुष्य बन जाओगे। "

" तीसरा गुण : बेटा ! पेन्सिल हमेशा गलतियों को सुधारने के लिए रबर का प्रयोग करने की इजाज़त देती है।
इसका यह अर्थ है कि यदि हमसे कोई गलती हो गयी तो उसे सुधारना कोई गलत बात नहीं है। बल्कि ऐसा
करने से हमें न्यायपूर्वक अपने लक्ष्यों की ओर निर्बाध रूप से बढ़ने में मदद मिलती है। "

" चौथा गुण : बेटा ! एक पेन्सिल की कार्य प्रणाली में मुख्य भूमिका इसकी बाहरी लकड़ी की नहीं अपितु
इसके भीतर के 'ग्रेफाईट' की होती है। ग्रेफाईट या लेड की गुणवत्ता जितनी अच्छी होगी,लेख उतना ही सुन्दर होगा। इसलिए बेटा ! तुम्हारे भीतर क्या हो रहा है, कैसे विचार चल रहे हैं, इसके प्रति सदा सजग रहो। "

"अंतिम गुण : बेटा ! पेन्सिल सदा अपना निशान छोड़ देती है। ठीक इसी प्रकार तुम कुछ भी करते हो तो तुम भी अपना निशान छोड़ देते हो।
अतः सदा ऐसे कर्म करो जिन पर तुम्हें लज्जित न होना पड़े अपितु तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का सिर
गर्व से उठा रहे। अतः अपने प्रत्येक कर्म के प्रति सजग रहो।

Thursday 12 September 2013

13-09-13


एक साधु नदी किनारे, एक धोबी के कपड़े धोने के पत्थर पर खड़े होकर ध्यान कर रहा था।

जब धोबी वहां कपड़े धोने के लिए पहुंचा तो साधु को ध्यानमग्न देखकर वह उसके पत्थर से हटने का रास्ता देखने लगा।

सुबह से दोपहर हो गई, पर साधु नहीं हटा। इस पर धोबी ने साधु से निवेदन किया कि वे पत्थर से हट जाएं, पर साधु ने उस पर ध्यान नहीं दिया। कुछ देर बाद फिर उसने कहा, पर साधु ने ध्यान नहीं दिया। इस पर धोबी ने साधु का हाथ पकड़ा और पत्थर से एक तरफ हटा दिया।

धोबी द्वारा हाथ पकड़े जाने में साधु को अपना अपमान नजर आया और उसने धोबी को धक्का दे दिया। इस पर धोबी को क्रोध आ गया और उसने भी साधु को उठाकर पटक दिया।

धोबी के इस जवाबी हमले से घबराकर साधु भगवान से प्रार्थना करने लगा, "हे भगवान, मैं रोज आपकी पूजा करता हूं, फिर भी आप मुझे इससे बचाते क्यों नहीं हो ?"

जवाब में साधु ने आकाशवाणी सुनी, "बचाना तो चाहते हैं, पर समझ नहीं आ रहा है कि दोनों में साधु कौन है और धोबी कौन है??"

Wednesday 11 September 2013

12-09-13


किसी गांव में एक चरवाहा रहता था । वह नदी पर
जब नहाने जाता तो अपने साथ अपने कंधे पर अपने से कई
गुना भारी भैंस को उठा कर ले जाता और उसे अपने साथ
नहलाकर वैसे ही कंधे पर उठाकर वापस घर लाता था । गांव
के सभी लोग उसके इस क्रम से भली-भांति परिचित थे
इसलिये उन्हें कोई आश्चर्य भी नहीं होता था ।
एक बार किसी राजनेता के आगमन की पूर्व
तैयारी करते उनके कुछ समर्थकों का उस गांव में आना हुआ ।
उन्होंने जब उस चरवाहे को इस तरह भैंस को कंधे पर उठाकर
नदी तक जाते-आते देखा तो वे सभी आश्चर्यचकित हो गये
। उन्होंने उस चरवाहे से पूछा कि तुम्हारे वजन से कई
गुना भारी इस भैंस को तुम इतनी आसानी से कंधे पर कैसे
उठा पाते हो ? क्या तुम्हे इसमें कोई कठिनाई नहीं होती
? तब उस चरवाहे ने जवाब दिया कि कठिनाई
तो होती है, लेकिन मेरे बचपन में मेरे पिताजी इसे बछडे के रुप
में घर लाए थे और खेल-खेल में मैं तबसे ही इसे इसी तरह कंधे पर
उठाकर तालाब तक नहलाने ले जाता था । जब इसका वजन
मुझसे ज्यादा होता गया और मुझे इसे उठाने में कठिनाई हुई
तो मेरे मन ने मुझसे कहा कि कल तो तुमने इसे उठाया था ।
बस यही एक सोच है जो रोज मुझे इस भैंस को मेरे कंधे पर
उठा लेने में मेरे साथ चलती है कि कल तो मैंने इसे
उठाया था तो आज क्यों नहीं
?

Tuesday 10 September 2013

11-09-13


बहुत समय पहले की बात है। देवताओं ने एक व्यक्त्ति की प्रार्थनाओं से परेशान होकर मुख्य देवता से कहा,” देव, यह व्यक्त्ति बिल्कुल भी वर देने योग्य नहीं है परंतु यह लगातार प्रार्थना कर रहा है सो अब इसे टाला भी नहीं जा सकता। इसके साथ दिक्कत यह है कि यह वर पाने के बाद उसका दुरुपयोग कर सकता है”।

मुख्य देव ने कुछ देर प्रार्थनारत व्यक्त्ति के बारे में विचारा और कहा,” घबराने की बात नहीं है इसे वर दे दो”।

देवताओं ने उस व्यक्त्ति से कुछ माँगने को कहा।

व्यक्त्ति ने तीन इच्छायें पूरी करने के लिये वर देने की माँग की।

देवताओं ने उसे अंडे जैसे नाजुक तीन गोले दे दिये और कहा,” जब भी तुम्हे अपनी इच्छा की पूर्ती करनी हो, एक गोले को जमीन पर गिराकर फोड़ देना और जो भी चाहो माँग लेना। तुम्हारी इच्छा पूरी हो जायेगी। ध्यान रखना कि एक गोला सिर्फ एक ही बार काम करेगा अतः सोच समझकर ही इन्हे उपयोग में लाना”।

व्यक्त्ति को तो जैसे सारा जहाँ मिल गया वह खुशी और उत्साह से भागता हुआ घर पहुँचा।

वह तुरंत अपने कमरे में जाकर वर माँगना चाहता था। वह कमरे में घुस ही रहा था कि उसका छोटा सा बेटा भागकर आया और उससे लिपट गया। इस अचानक हमले से व्यक्त्ति के हाथों का संतुलन बिगड़ गया और एक गोला नीचे गिर कर फूट गया। उसके क्रोध का ठिकाना न रहा और उसने क्रोधित होकर बेटे को डपटा,”तेरी आँखें नहीं हैं”।

व्यक्त्ति पर यह देखकर गाज गिर गयी कि इतना कहते ही उसके बेटे के चेहरे से दोनों आँखें गायब हो गयीं।

व्यक्त्ति तो जैसे आसमान से गिरा। वह रोने लगा। उसे बाकी दोनों गोले याद आये।

उसने एक और गोला अपने हाथ में लिया और आँखें बंद करके गोला जमीन पर गिराकर फोड़ दिया और माँगा,” मेरे बेटे के चेहरे पर आँखें लग जायें”।

उसने आँखें खोलीं तो यह देखकर वह आश्चर्य और दुख से भर गया कि उसके बेटे के सारे चेहरे पर आँखें ही आँखें लग गयीं थीं और वह विचित्र लग रहा था। अब व्यक्त्ति को माँगने में गलती करने का अहसास होने लगा।

मरता क्या न करता। उसने तीसरा गोला भी फोड़ा और माँगा कि उसके बेटे का चेहरा सामान्य हो जाये और पहले की तरह केवल दो ही आँखें सामान्य तरीके से उसके चेहरे पर रहें।

इस तरह से उसके कमाये गये तीनों वर बेकार हो गये।

पात्रता और वाणी का संयम दोनों बहुत महत्वपूर्ण बातें हैं जीवन में।

पात्रता कमायें और कदापि भी न अनर्गल बोलें न विचारें।

10-09-13


एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे
हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया.
उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ कि हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं!!!
ये स्पष्ट था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे. उसने पास खड़े महावत स
पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ?
तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को छोटे से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती कि इस
बंधन को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों नहीं तोड़ सकते, और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.”
आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!!
इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले मिली असफलता के
कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं सकता और
अपनी ही बनायीं हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं.

याद रखिये असफलता जीवन का एक हिस्सा है और निरंतर प्रयास करने
से ही सफलता मिलती है. यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधें हैं
जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए…..
आप हाथी नहीं इंसान हैं ।

Sunday 8 September 2013

09-09-13


The meaning of Lord Ganesh

Big Head of Lord Ganesha represents the "Eternal Soul" and the ability to "Think Big"

Small Eyes of Lord Ganesh represents "Concentrating Power"

Large Ears of Ganesha represents the ability to "Listen More"

Small Mouth of Ganapati represents "Talk Less"

One Tusk of Lord Ganesh teaches to "Retain Good while Throw Away the Bad"

Long Trunk of Ganesha represents "High Efficiency and Adaptability"

Large Stomach of Ganesh represents Peacefully Digest all good and bad in life

The Axe in Lord Ganesha's hand represents the ability "to cut off all bonds of attachment"

The Rope in Ganesha's hand represents "To pull you nearer to the highest Goal"

Modaka in Lord Ganapati's hand are the "Rewards of Sadhana"
Lord Ganesha Right hand Blessings represents a symbol of protectiveness and blessings devotees on Spiritual path to Supreme

The Mouse near Lord Ganesha's feet represents and teaches devotees that "Desire, unless under control can cause havoc, you ride the desire and keep it under control and don't allow it to take you for a ride."

GANPATI BAPPA MORIYA

Saturday 7 September 2013

08-09.13


************* ताज़ी और बासी का रहस्य **************

एक धनी परिवार की कन्या तारा का विवाह , एक सुयोग्य परिवार मे होता है , लड़का पढ़ा लिखा और अति सुन्दर लेकिन बेरोजगार था। परिवार की आर्थिक स्थति बहुत ही अच्छी थी जिसके कारण उसके माता -पिता उसे किसी भी कार्य करने के लिये नहीं कहते थे और कहते थे कि बेटा जिगर , तू हमारी इकलौती संतान है ,तेरे लिये तो हमने खूब सारा धन दौलत जोड़ दिया है और हम कमा रहे है, तू तो बस मजे ले ।
इस बात को सुनकर तारा बेहद चिंतित रहती मगर किसी से अपनी मन की व्यथा कह नहीं पाती । एक दिन एक महात्मा जो छ:माह मे फेरी लगाते थे उस घर पर पहुँच गये और बोले । माई एक रोटी की आस है तारा रोटी ले कर महात्मा फ़क़ीर को देने चल पड़ी ,सास भी दरबाजे पर ही खडी थी । महात्मा ने लड़की से कहा बेटी रोटी ताजा है या वासी तारा ने जबाब दिया कि महाराज रोटी बासी है।
सास बही खडी सुन रही थी और उसने कहा हरामखोर, तुझे ताजी रोटी भी बासी दिखाई पड़ रही है । महात्मा चुप चाप घर से मुख मोड़ कर चल पड़ा और तारा से बोल़ा कि बेटी मे उस दिन वापस आऊंगा जब रोटी ताजा होगी ।
समय व्यतीत होता गया और तारा के पति को कुछ समय बाद रोजगार मिल गया। अब तारा बहुत खुश रहने लगी । कुछ दिन बाद महात्मा जी वापस फेरी लगाने आये और तारा के ससुराल जाकर रोटी मांगने लगे, महात्मा के लिये तारा रोटी लाती है । महात्मा जी का फिर बही सबाल था, बेटी रोटी ताजा है या बासी तारा ने जबाब दिया की महात्मा जी रोटी एक दम ताजी है,महात्मा ने रोटी ले ली और लड़की को खुशी से बहुत आशीर्वाद दिया।
सास दरबाजे पर खडी सुन रही थी और बोली की हरामखोर, उस दिन तो रोटी बासी थी और आज ताजा वाह ! बहुत बढ़िया ! संत रुके और बोले अरी पगली ! तू क्या जाने, तू तो अज्ञानी है, तेरी बहू वास्तब मे बहुत होशियार है जब मे पहले आया था तो इसने रोटी को बासी बताया था क्योकि यह तुम्हारे जोड़े और कमाये धन से गुजारा कर रहे थे जो इनके लिये बासी था । मगर अब तेरा बेटा रोजगार पर लग गया है और अपनी कमाई का ताजा धन लाता है इसलिये तेरी बहू ने पहले बासी और अब ताजी रोटी बताई । माँ बाप का जुड़ा धन किसी ओखे- झोके के लिये होता है जो बासी होता है , काम तो अपने द्वारा कमाये ताजा धन से ही चलता है । सास महात्मा के पैरों मे गिर पड़ी और उसको ताजी - बासी का ज्ञान व अपनी बहू पर गर्व हुआ इसलिये मानव को हमेशा जुडे धन पर आश्रित नहीं रहना चाहिये वल्कि सदैव ताजे धन की ओर ललायित रहना चाहिये ,अगर हम जुडे धन पर ही आश्रित रहेंगे तो वो भी एक दिन खत्म हो जायेगा इसलिये हमे ताजा धन की आस करके सदैव प्रगति पथ पर निरंतर प्रवाह करना चाहिये ।

Friday 6 September 2013

07-09-13



जय श्री कृष्‍ण राधे राधे।।
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एक थे पण्डित जी और एक
थी पण्डिताइन।
पण्डित जी के मन में
जातिवाद कूट-कूट कर
भरा था। परन्तु
पण्डिताइन समझदार थी।
समाज की विकृत
रूढ़ियों को नही मानती थी।
एक
दिन पण्डित
जी को प्यास लगी।
संयोगवश् घर में
पानी नही था। इसलिए
पण्डिताइन पड़ोस से
पानी ले आयी। पानी पीकर
पण्डित जी ने
पूछा।)
पण्डित जी- कहाँ से लाई
हो। बहुत
ठण्डा पानी है।
पण्डिताइन जी- पड़ोस के
कुम्हार के घर से।
(पण्डित जी ने यह सुन कर
लोटा फेंक दिया और
उनके तेवर चढ़
गये। वे जोर-जोर से चीखने
लगे।)
पण्डित जी- अरी तूने
तो मेरा धर्म भ्रष्ट कर
दिया। कुम्हार के घर
का पानी पिला दिया।
(पण्डिताइन भय से थर-थर
काँपने लगी, उसने
पण्डित जी से
माफी माँग ली।)
पण्डिताइन- अब ऐसी भूल
नही होगी।
(शाम को पण्डित जी जब
खाना खाने बैठे
तो पण्डिताइन ने उन्हें
सूखी रोटियाँ परस दी।)
पण्डित जी- साग
नही बनाया।
पण्डिताइन जी-
बनाया तो था, लेकिन फेंक
दिया। क्योंकि जिस
हाँडी में वो पकाया था,
वो तो कुम्हार के घर
की थी।
पण्डित जी- तू तो पगली है।
कहीं हाँडी में भी छूत
होती है?
(यह कह कर पण्डित जी ने
दो-चार कौर खाये
और बोले-)
पण्डित जी- पानी तो ले आ।
पण्डिताइन जी-
पानी तो नही है जी।
पण्डित जी- घड़े कहाँ गये?
पण्डिताइन जी- वो तो मैंने
फेंक दिये। कुम्हार के
हाथों से बने थे ना।
(पण्डित जी ने फिर दो-
चार कौर खाये और
बोले-)
पण्डित जी- दूध ही ले आ।
उसमें ये
सूखी रोटी मसल कर
खा लूँगा।
पण्डिताइन जी- दूध भी फेंक
दिया जी। गाय
को जिस नौकर ने
दुहा था, वह भी कुम्हार
ही था।
पण्डित जी- हद कर दी! तूने
तो, यह
भी नही जानती दूध में छूत
नही लगती।
पण्डिताइन जी- यह
कैसी छूत है जी! जो पानी में
तो लगती है,
परन्तु दूध में नही लगती।
(पण्डित जी के मन में
आया कि दीवार से सर
फोड़ ले, गुर्रा कर
बोले-)
पण्डित जी- तूने मुझे चौपट
कर दिया। जा अब
आँगन में खाट डाल
दे। मुझे नींद आ रही है।
पण्डिताइन जी- खाट! उसे
तो मैंने तोड़ कर फेंक
दिया। उसे
नीची जात के आदमी ने
बुना था ना।
(पण्डित जी चीखे!)
पण्डित जी- सब मे आग
लगा दो। घर में कुछ
बचा भी है या नही।
पण्डिताइन जी- हाँ! घर
बचा है। उसे
भी तोड़ना बाकी है।
क्योकि उसे
भी तो नीची जाति के
मजदूरों ने
ही बनाया है।
(पण्डित जी कुछ देर गुम-सुम
खड़े रहे! फिर
बोले-)
पण्डित जी- तूने मेरी आँखें
खोल दीं। मेरी ना-
समझी से ही सब गड़-
बड़ हो रही थी।
कोई
भी छोटा बड़ा नही है।
सभी मानव समान हैं ।

Thursday 5 September 2013

06-09-13


एक जगह संत कथा कर रहे थे , उसी समय एक व्यक्ति उठा और संत के गंजे सर पर ठोला मार कर चला गया,
और वहा बेठे सभी भक्त जन सोच रहे थे की हम सभी तो गुरु जी को प्रणाम करते है और ये कैसा दुष्ट है जो गुरु जी के सर पर ठोला मार रहा है?

सभी भक्तो को बड़ा ही क्रोध आया और कहा की
गुरुजी आप आज्ञा दे तो हम इस की पिटाई कर देते है !
गुरु जी ने कहा: क्यों ?

भक्तो ने कहा की : इसने आपके सर पर ठोला मारने का अपराध जो किया है,

गुरु जी ने हँस कर संत वाणी से कहा की :
भैया आप 40 चालीस रूपया की एक मटकी लेते हो तो उनपर ठोले मार कर बजा -बजा कर लेते हो की मटकी में कोई नुक्स तो नही है

फिर ये तो मुझे अपना जीवन सोपने जा रहा है,
जिसको जीवन सोपने जा रहा हो वो सच में गुरु बनाने के लायक है या नही , यही सोच कर मेरे सर को बजा रहा था ..

जिस की सकारात्मक सोच है संत और गुरु उसी को कहते है ,
जो हर उलटी बात का सीधा मतलब निकाले....!!!

Wednesday 4 September 2013

05-09-13


एक भक्त था वह बिहारी जी को बहुत मानता था,बड़े प्रेम और भाव से उनकी सेवा किया करता था.
एक दिन भगवान से कहने लगा –
में आपकी इतनी भक्ति करता हूँ पर आज तक मुझे आपकी अनुभूति नहीं हुई.
मैं चाहता हूँ कि आप भले ही मुझे दर्शन ना दे पर ऐसा कुछ कीजिये की मुझे ये अनुभव हो की आप हो.
भगवान ने कहा ठीक है.
तुम रोज सुबह समुद्र के किनारे सैर पर जाते हो,जब तुम रेत पर चलोगे तो तुम्हे दो पैरो की जगह चार पैर दिखाई देगे, दो तुम्हारे पैर होगे और दो पैरो के निशान मेरे होगे.इस तरह तुम्हे मेरी अनुभूति होगी.
अगले दिन वह सैर पर गया,जब वह रे़त पर चलने लगा तो उसे अपने पैरों के साथ-साथ दो पैर और भी दिखाई दिये वह बड़ा खुश हुआ,अब रोज ऐसा होने लगा.
एक बार उसे व्यापार में घाटा हुआ सब कुछ चला गया, वह सड़क पर आ गया उसके अपनो ने उसका साथ छोड दिया.
देखो यही इस दुनिया की प्रॉब्लम है, मुसीबत मे सब साथ छोड देते है.
अब वह सैर पर गया तो उसे चार पैरों की जगह दो पैर दिखाई दिये.उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि बुरे वक्त मे भगवन ने साथ छोड दिया.धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होने लगा फिर सब लोग उसके पास वापस आने लगे.
एक दिन जब वह सैर पर गया तो उसने देखा कि चार पैर वापस दिखाई देने लगे.उससे अब रहा नही गया,
वह बोला-
भगवान जब मेरा बुरा वक्त था तो सब ने मेरा साथ छोड़ दिया था पर मुझे इस बात का गम नहीं था क्योकि इस दुनिया में ऐसा ही होता है, पर आप ने भी उस समय मेरा साथ छोड़ दिया था,
ऐसा क्यों किया?
भगवान ने कहा –
तुमने ये कैसे सोच लिया की में तुम्हारा साथ छोड़ दूँगा,
तुम्हारे बुरे वक्त में जो रेत पर तुमने दो पैर के निशान देखे वे तुम्हारे पैरों के नहीं मेरे पैरों के थे,
उस समय में तुम्हे अपनी गोद में उठाकर चलता था और आज जब तुम्हारा बुरा वक्त खत्म हो गया तो मैंने तुम्हे नीचे उतार दिया है. इसलिए तुम्हे फिर से चार पैर दिखाई दे रहे है.

05-09-13


A teacher is one who sees us fall
and still believes that we will get up
and reach the finish line in the race.
Thanking you for your trust.
"HAPPY TEACHERS DAY" 

Tuesday 3 September 2013

04-09-13


वास्तविक सौन्दर्य

हर सुबह घर से निकलने के पहले सुकरात आईने के सामने खड़े होकर खुद को कुछ देर तक तल्लीनता से निहारते थे.

एक दिन उनके एक शिष्य ने उन्हें ऐसा करते देखा. आईने में खुद की छवि को निहारते सुकरात को देख उसके चहरे पर बरबस ही मुस्कान तैर गई. सुकरात उसकी और मुड़े और बोले, " बेशक तुम यही सोचकर मुस्कुरा रहे हो न की यह कुरूप बूढा आईने में खुद को इतनी बारीकी से क्यों देखता है? और पता है मैं ऐसा हर दिन ही करता हूँ."

शिष्य यह सुनकर लज्जित हो गया और सर झुकाकर खडा रहा. इससे पहले की वह माफी मांगता, सुकरात ने कहा, " आईने में हर दिन अपनी छवि देखने पर मैं अपनी कुरूपता के प्रति सजग हो जाता हूँ. इससे मुझे ऐसा जीवन जीने के लिए प्रेरणा मिलाती है जिसमें मेरे सद्गुण इतने निखरे और दमकें की उनके आगे मेरे मुखमंडल की कुरूपता फीकी पड़ जाए."

शिष्य ने कहा, "तो क्या इसका अर्थ यह है की सुन्दर व्यक्तियों को आइने में अपनी छवि नहीं देखनी चाहिए/"

"ऐसा नहीं है" सुकरात ने कहा, "जब वे स्वयं को आईने में देखें तो यह अनुभव करें की उनके विचार , वाणी और कर्म उतने ही सुन्दर हों जितना उनका शरीर है. वे सचेत रहें की उनके कर्मों की छाया उनके प्रीतिकर व्यक्तित्व पर नहीं पड़े."

Monday 2 September 2013

03-09-13


किसी गाँव में रहने वाला एक छोटा लड़का अपने दोस्तों के साथ
गंगा नदी के पार मेला देखने गया। शाम को वापस लौटते समय जब
सभी दोस्त नदी किनारे पहुंचे तो लड़के ने नाव के किराये के लिए
जेब में हाथ डाला। जेब में एक पाई भी नहीं थी। लड़का वहीं ठहर
गया। उसने अपने दोस्तों से कहा कि वह और थोड़ी देर
मेला देखेगा। वह नहीं चाहता था कि उसे अपने दोस्तों से नाव
का किराया लेना पड़े। उसका स्वाभिमान उसे
इसकी अनुमति नहीं दे रहा था।
उसके दोस्त नाव में बैठकर नदी पार चले गए। जब उनकी नाव
आँखों से ओझल हो गई तब लड़के ने अपने कपड़े उतारकर उन्हें सर
पर लपेट लिया और नदी में उतर गया। उस समय नदी उफान पर
थी। बड़े-से-बड़ा तैराक भी आधे मील चौड़े पाट को पार करने
की हिम्मत नहीं कर सकता था। पास खड़े मल्लाहों ने भी लड़के
को रोकने की कोशिश की।
उस लड़के ने किसी की न सुनी और किसी भी खतरे की परवाह न
करते हुए वह नदी में तैरने लगा। पानी का बहाव तेज़ था और
नदी भी काफी गहरी थी। रास्ते में एक नाव वाले ने उसे
अपनी नाव में सवार होने के लिए कहा लेकिन वह लड़का रुका नहीं,
तैरता गया। कुछ देर बाद वह सकुशल दूसरी ओर पहुँच गया।

उस लड़के का नाम था ‘लालबहादुर शास्त्री’.

जिनका दिया नारा आज भी गूजँता है...

!! जय जवान जय किसान !!

Sunday 1 September 2013

02-09-13



संत कबीर प्रतिदिन स्नान करने के लिए गंगा तट पर जाया करते थे. एक दिन उन्होंने देखा की पानी काफी गहरा होने के कारण कुछ ब्राह्मणों को जल में घुसकर स्नान करने का साहस नहीं हो रहा है. उन्होंने अपना लोटा मांज धोकर एक व्यक्ति को दिया और कहा की जाओ ब्राह्मणों को दे आओ ताकि वे भी सुविधा से गंगा स्नान कर लें.

कबीर का लोटा देखकर ब्राह्मण चिल्ला उठे--अरे जुलाहे के लोटे को दूर रखो. इससे गंगा स्नान करके तो हम अपवित्र हो जायेंगे.

कबीर आश्चर्यचकित होकर बोले--इस लोटे को कई बार मिट्टी से मांजा और गंगा जल से धोया, फिर भी साफ़ न हुआ तो दुर्भावनाओं से भरा यह मानव शरीर गंगा में स्नान करने से कैसे पवित्र होगा?